सभी विभागों से मांगी गई राय
सूत्रों के मुताबिक, विनिवेश विभाग ने मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की कमेटी (CCEA) के विचार के लिये नोट का मसौदा जारी किया है. इसके चलते सरकार का कहना है कि, IOC में अपनी 68.57 परसेंट हिस्सेदारी में से वह 10 परसेंट का विनिवेश करना चाहती है. इसके अलावा विभाग ने इस प्रस्ताव पर पेट्रोलियम मंत्रालय के अलावा व्यय, लोक उपक्रम तथा आर्थिक मामलों के विभाग से भी विचार मांगे हैं. हालांकि इस मामले में विधि मंत्रालय व कारपोरेट मामलों के मंत्रालय की भी राय मांगी है. वहीं बताया तो यह भी जा रहा कि, IOC के 24.27 करोड़ शेयरों की बिक्री के लिये सब्सिडी को जिम्मेदार ठहराया है. सब्सिडी की समस्या के कारण तेल क्षेत्र की एक अन्य प्रमुख कंपनी तेल एंव प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) का विनिवेश अटक गया है.

अरुण जेटली ने की थी बैठक
गौरतलब है कि, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 8 जनवरी को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ ONGC को छोड़ कर पेट्रोलियम क्षेत्र की उन कंपनियों पर विचार विमर्श किया था, जिनका विनिवेश किया जा सकता है. बताते चलें कि सरकार को ONGC में अपनी 5 परसेंट हिस्सेदारी की बिक्री करनी थी, जिससे 17-18 हजार करोड़ रुपये प्राप्त होते. हालांकि ग्लोबली लेवल पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट व बढ़ते सब्सिडी बोझ से ONGC के शेयरों में जोरदार गिरावट आई है.

क्या कहते हैं आंकडे
आपको बताते चलें कि पिछले साल जून में ONGC का शेयर 472 रुपये का था, जो मार्केट बंद होने के समय 343.85 रुपये पर था. इस मूल्य पर ONGC में हिस्सेदारी बिक्री से सरकार को 15,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं मिलेंगे. सरकार ने 2014-15 में इस्पात कंपनी सेल में 5 परसेंट हिस्सेदारी बिक्री से 1,700 करोड़ रुपये जुटाये हैं. वहीं चालू वित्त वर्ष में 43,425 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य हासिल करने के लिये सरकार के पास अब काफी कम समय बचा है. ऐसे में ONGC, NHPC व कोल इंडिया जैसी बड़ी कंपनियों का विनिवेश होना है.

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