पटना के नवनिर्मित ' खेल परिसर ' में आयोजित इस टूर्नामेंट का फ़ाइनल मुक़ाबला रविवार को भारत और ईरान की टीमों के बीच हुआ था। इसमें भारत ने ईरान को 19 के मुक़ाबले 25 अंकों से पराजित किया।

चार दिनों तक चली प्रतयोगिता में 16 देशों की महिला खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। भाग लेने वाले देश थे - बांग्लादेश, कनाडा, इंडोनेशिया, ईरान, इटली, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, मैक्सिको, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, तुर्कमेनिस्तान, अमेरिका और भारत।

पटना में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता

सबसे उल्लेखनीय पहलू ये है कि दुनिया में पहली बार महिला कबड्डी विश्व कप चैम्पियनशिप का आयोजन हुआ, और वो भी बिहार के पटना शहर में। ज़ाहिर है कि इसका ऐतिहासिक महत्त्व समझने वाले दर्शकों की अच्छी-ख़ासी भीड़ जुटी और राज्य की नीतीश सरकार ने श्रेय लेने के लिए खुलकर ख़र्च भी किया।

यहाँ के लोग बस इस बात से ही उत्साहित हैं कि महिला कबड्डी ही सही, कोई अंतरराष्ट्रीय खेल-प्रतियोगिता बिहार में हुई तो! और ऐसी अनुभूति यहाँ लोगों को लम्बे समय बाद हुई है।

सोलह साल पहले क्रिकेट विश्व कप का एक मैच पटना में हुआ था। उस समय भी लोग कहते थे कि लालू राज में ऐसा एक मैच हो गया, यही क्या कम है ! 'प्रथम विश्व कप महिला कबड्डी चैम्पियनशिप ' का पटना में आयोजन यहाँ खेल प्रेमियों के लिए सुखद आश्चर्य बना।

प्रचार की चाहत?

लोग यही मानते हैं कि तब के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद हों या अब के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, इनके खेल-कूद संबंधी राजनीतिक लाभ वाले खाते में इतना भी दर्ज हो गया, यही बहुत है।

हालांकि सब ये भी जानते हैं कि बिहार में अबतक के प्रायः सभी सत्ता-नेतृत्व की प्राथमिकता-सूची में खेलकूद को या तो जगह मिली ही नहीं, या मिली भी तो बहुत नींचे। इसबार भी महिला कबड्डी प्रतियोगिता के इस आयोजन में खेल संस्कृति-विकास के बजाय राज्य सरकार की प्रचार-लोलुपता ही ज़्यादा मुखर थी।

खेल परिसर के मुख्य द्वार पर मुख्यमंत्री के चित्र वाली ऐसी अत्याधुनिक विशालकाय होर्डिंग लगी थी कि कोई भी उस पर हुए ख़र्च का अनुमान लगाकर दंग रह जाय।

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