भारतीय खेल प्रेमियों ने लिए पिछले कुछ दिन ख़ासे निराशा भरे रहे हैं क्योंकि इंग्लैंड के दौरे पर गई क्रिकेट टीम को जहाँ मुँह की खानी पड़ी थी, वहीं डेविस कप मुक़ाबले में जापान गई भारतीय टेनिस टीम भी हार कर वापस लौटी।

इस बीच तुर्की के इस्तांबुल में सात दिन तक चली विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में भारत के 19 पहलवानों में से कोई मेडल जीत पाने में नाकाम रहे। इस तरह अगले साल होने वाले लंदन ओलंपिक के लिए अभी तक भारत का कोई भी पहलवान क्वालिफ़ाई नहीं कर पाया है।

भारतीय दल में 19 पहलवानों के अलावा आठ कोच, तीन मैनेजर, एक-एक रेफ़री, फ़िजियो और मालिशिया समेत कुल मिलाकर 33 सदस्यीय दल ने सात दिन तक तीनों शैलियों में अपनी चुनौती पेश की। लेकिन भारतीय खेमे को सबसे बड़ी निराशा तब हाथ लगी जब ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार भी 66 किलोग्राम वर्ग में अपना मुक़ाबला हार गए।

लंदन अभी भी सपना

भारतीय खेल प्रेमियों के लिए निराशा इस बात की भी रहेगी की अभी तक भारतीय पहलवान 2012 में होने वाले लंदन ओलंपिक खेलों के लिए क्वालिफ़ाई नहीं कर सके हैं।

ओलंपिक में भाग लेने के लिए भारतीय पहलवानों को अपने अपने वर्ग में कम से कम छठा स्थान अर्जित करना था और इस अभियान में पहलवान नाकाम रहे। लंदन ओलिंपिक खेलों के पहले पहलवानी की कुल चार प्रतियोगिताएं होनी हैं।

वर्ल्ड चैम्पियनशिप के बाद अब भारतीय पहलवानों को क्वालिफ़ाई करने के लिए दूसरा मौक़ा अगले साल 28 मार्च कजाकिस्तान में होने वाली एशियाई क्वालिफ़ाइंग प्रतियोगिता से मिल सकेगा।

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