Routine check up

वैसे तो हर इंसान को साल भर में अपना रूटीन टेस्ट करा लेना चाहिए। कभी भी रेगुलर चेकअप बिना डॉक्टर की गाइडेंस के नहीं कराना चाहिए। इन रूटीन चेकअप में होल बॉडी चेकअप को शामिल किया जाता है। इसमें कई तरह के ब्लड टेस्ट कराए जाते हैं। स्पेसफिकली जिन टेस्ट को जोड़ा जाता है वो आपके परिवार में होने वाली हेरेडिटी बीमारियों से जुड़े होते हैं। मगर हकीकत ये है कि लोग खुद इन रेगुलर चेकअप को नहीं कराते। उन्हें ऐसा लगता है कि चेकअप में कोई भी चीज घटी या बढ़ी आ गई तो मजबूरन दवाएं खानी पड़ेंगी, जबकि ये रूटीन चेकअप सिर्फ इस चीज की जांच के लिए कराए जाते हैं कि कहीं आपके शरीर में कोई बीमारी तो नहीं पनप रही।

Dental and eye check up

अपने डेंटल चेकअप को लेकर भी हम काफी उदासीन हैं। दांत में दर्द होता है तो मेडिकल स्टोर से पेन किलर लाकर खा लेते हैं। दर्द दब जाता है और आगे भी यही सोचकर डॉक्टर के पास नहीं जाते कि जब दर्द होगा तो एक पेनकिलर काम कर जाएगी। जब बहुत ज्यादा प्रॉब्लम होती है या फिर जब दांतों की शेप इतनी खराब हो कि खूबसूरती में कुछ कमी आती हो तब जाकर डेंटिस्ट के पास पहुंचते हैं। यही हाल आंखों को लेकर भी है। आंखों में होने वाली छोटी-मोटी समस्या को तो हम कहीं काउंट ही नहीं करते। जब दिक्कत ज्यादा गंभीर होने लगे तब कहीं जाकर आंखों की चिंता होती है और डॉक्टर के पास पहुंचते हैं।

सर्वे में भी आया सामने

हमारी इसी लापरवाही को कांटेक्ट लेंस बनाने वाली कंपनी बॉश एंड लॉम्ब ने भी पुष्ट किया है। हाल ही में जारी किए अपने एक सर्वे में कंपनी ने भारत समेत 26 देशों को शामिल किया। इस शोध के मुताबिक भारत के लोगों के लिए आंखों की देखभाल सबसे आखिरी मुद्दा है। सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में हर 10 में से एक व्यक्ति ऐसा है, जिसने कभी आंखों की जांच नहीं करवाई। करीब 70 फीसदी लोग अमूमन आंखों की जांच नहीं कराते, क्योंकि वे मानते हैं कि उन्हें कोई भी परेशानी नहीं है। करीब 58 फीसदी भारतीय मानते हैं कि अगर आंखों की कोई समस्या नहीं हो, तो आंखों की जांच जरूरी नहीं है। दि  नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा बताया गया कि 20 से 39 उम्र के व्यक्ति को 5 से 10 साल के बीच में चेकअप कराना चाहिए।

"इंडिया में यही हालात हैं लोग अपनी सेहत को लेकर इस तरह से कांशस ही नहीं हैैं जैसे होने चाहिए। जब बीमारी में उठने लायक नहीं रहते तब डॉक्टर तक पहुंचते है."

-डॉ। सुनील गुप्ता, सीनियर सर्जन, मैनेजिंग डायरेक्टर केएमसी हॉस्पिटल