आई फॉलोअप

-खुफिया रिपोर्ट भेजने में हुई देरी, केंद्र ने किया जवाब-तलब

-सीएम रावत ने कहा, सुरक्षा का मसला केंद्र का

-गृह राज्यमंत्री रिजिजु ने कहा, चमोली मामले में मंगवाई गई है रिपोर्ट

देहरादून

चमोली जिले के बॉर्डर एरिया बाड़ाहोती में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की खबर के बाद अब सरकार हरकत में आई है। सीएम हरीश रावत को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने दिल्ली में गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। सीएम हरीश रावत ने पुष्टि की कि चीनी सैनिकों ने बाड़ाहोती में घुसपैठ की। रावत ने यहां तक कहा कि अभी भी आशंका है कि बाड़ाहोती और इससे सटे इलाकों में चीन के सैनिक हो सकते हैं। लेकिन इस सब के लिए वे केंद्र के पाले में गेंद फेंक रहे हैं। रावत का कहना है कि सुरक्षा का मसला केंद्र सरकार का जिम्मा है और इसमें केंद्र को ही सोचना है। उधर, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजु का कहना है कि इस घटना पर रिपोर्ट मांगी गई है।

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देर से भेजी गई खुफिया रिपोर्ट

बाड़ाहोती में चीनी घुसपैठ के मामले में गृह मंत्रालय ने खुफिया विभाग से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। साथ ही बाड़ाहोती गए सिविल डेलिगेशन में शामिल इंटेलिजेंस ब्यूरो से रिपोर्ट भेजने में हुई देरी का भी जवाब तलब किया गया है। सूत्रों के अनुसार बाड़ाहोती मामले में गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजने में 24 घंटे की देरी हुई है। मीडिया में रिपोर्ट लीक होने से गृह मंत्रालय को मामले की जानकारी मिली।

गृहमंत्री राजनाथ से मिले सीएम

सीएम ने मंगलवार शाम को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर कई मसलों पर बात की।

-इंटरनेशनल सीमा से जुड़े जिलों में बेहतर मोबाइल सेवा की जरूरत।

-काली नदी से लगे टनकपुर-जौलजीवी मोटर मार्ग निर्माण व राज्य पुलिस के मॉडर्नाइजेशन के लिए 5.62 करोड़ का केंद्रांश अवमुक्त हो।

-इंटरनेशनल सीमा पर 47 आईटीबीपी, एसएसबी चेक पोस्ट पर लो पॉवर सोलर बैटरी ऑपरेटेड मोबाइल टॉवर बनाए जाने हैं।

-राज्य पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए वित्तीय वर्ष में पांच करोड़ 20 लाख व अनुपूरक कार्ययोजना एक करोड़ चार लाख का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। धनराशि अवमुक्त नहीं हुई।

-राज्य में 19 पुलिस थाने व 101 पुलिस चौकियों के आवासीय व अनावासीय भवन बनाए जाने के लिए दो सौ करोड़ का खर्च अनुमानित है। दो सालों से धनराशि स्वीकृत नहीं हो पाई।

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पहाड़ से कितना पलायन?

दरअसल सच्चाई ये है कि चीनी सैनिकों की घुसपैठ पहाड़ के सीमावर्ती इलाकों में इसलिए बढ़ रही है क्योंकि पहाड़ के गांव के गांव खाली हो चुके हैं। चीन से लगती सीमा में चमोली और पिथौरागढ़ के दर्जभर से ज्यादा इलाके हैं। ये एरिया करीब 350 किलोमीटर का है। इन घाटियों के कई गांवों में आज तक न बिजली पहुंची है और न ही सड़क। मूलभूत सुविधाएं न होने के चलते यहां के लोगों ने मैदानों का रुख कर लिया। सरकारी स्तर पर योजनाएं तो हर गांव के लिए बनीं, लेकिन यहां की सुध किसी ने नहीं ली। अलग राज्य बने 16 साल हो चुके हैं। अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2000 के बाद उत्तराखंड से करीब 32 लाख लोगों ने अपने घर छोड़ दिए। आंकड़ों के मुताबिक 2,80,615 घरों पर ताले लटक गए।

वर्जन

केंद्र को इस मसले पर सोचना चाहिए। ये भारत सरकार का मसला है। सुरक्षा से जुड़े मामले पर कोई भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए।

हरीश रावत, सीएम

चमोली में चीनी सैनिकों के घुसने की सूचना मिली है। आईटीबीपी वहां पर हर वक्त मौजूद रहती है। इस पूरे मामले पर रिपोर्ट मंगवाई जा रही है।

किरण रिजिजु, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री

केंद्र सरकार बॉर्डर एरियाज पर बहुत सीरियस है। इसका उदाहरण कश्मीर है। चमोली जिले की घटना भी गंभीर है और हम इस मसले पर पीएम से बात करेंगे।

श्याम जाजू, प्रदेश प्रभारी, बीजेपी