समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार कई स्थानीय अधिकारियों ने इसे अनैतिक प्रस्ताव बताकर ख़ारिज कर दिया है. शिक्षा विशेषज्ञों और महिला अधिकार संगठनों ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया है.

अभी इस प्रस्ताव को नगर प्रमुख और स्थानीय विधान सभा की स्वीकृति नहीं मिली है.

इंडोनेशिया की समाजार एजेंसी टेम्पो के अनुसार यह मामला तब सामने आया जब प्रबुमुलिह एजुकेशन एजेंसी के प्रमुख एचएम रशीद का बयान राष्ट्रीय वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ. इस बयान में रशीद ने कहा था कि वो 2014 का सालाना बजट प्रस्तुत कर रहे थे जिसमें हाईस्कूल छात्राओं के कौमार्य परीक्षण के लिए भी राशि आवंटित की गई थी.

टेम्पो और जकार्ता ग्लोब अख़बार के अनुसार रसीद ने कहा कि उन्हें पता है कि उनके इस नीति का विरोध होगा लेकिन क्षेत्र में लड़कियों के बीच विवाह-पूर्व संभोग और देह व्यापार की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए ये कदम उठाया गया है.

विरोध

समाजार एजेंसी एपी के अनुसार प्रांतीय शिक्षा प्रमुख विडुडु ने कहा, “इस तरह के परीक्षण से ज़्यादा ज़रूरी और उपयोगी दूसरे कई काम हैं और छात्रों के बारे में फैसले देने से ज़्यादा ज़रूरी है उनका शैक्षणिक विकास करना. मैं रसीद को सलाह दूंगा कि वो इस प्रस्ताव को वापस ले लें.”

इंडोनेशिया के शिक्षा मंत्री मोहम्मद नूह ने इस प्रस्ताव की निंदा करते हुए कहा, “अगर आप अपने बच्चों को नकारात्मक प्रभावों से बचाना चाहते हैं तो उसके लिए दूसरे तरीके हैं. यह प्रस्ताव समझदारी भरा नहीं है.”

समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार नेशनल कमीशन ऑन वायलेंस ऑन वूमेन की उप-प्रमुख मसरुचाह ने इस प्रस्ताव की आलोचना करते हुए कहा, “कौमार्य परीक्षण महिलाओं पर की जाने वाली एक तरह की यौन हिंसा है. यह अपमानजनक और भेदभावपूर्ण है.”

इंडोनीशिया में सोशल मीडिया पर भी इस प्रस्ताव के ख़िलाफ़ काफी आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है.

"इस तरह के परीक्षण से ज़्यादा ज़रूरी और उपयोगी दूसरे कई काम हैं. छात्रों के बारे में फैसले देने से ज़्यादा ज़रूरी है उनका शैक्षणिक विकास करना. मैं रसीद को सलाह दूंगा कि वो इस प्रस्ताव को वापस ले लें."

-विडुडु, प्रांतीय शिक्षा प्रमुख

पुराना प्रस्ताव

इंडोनीशिया के स्कूलों में कौमार्य परीक्षण का प्रस्ताव पहले भी आया था. पश्चिमी जावा में 2007 में ऐसे ही प्रस्ताव को लोगों की नाराजगी के बाद वापस लेना पड़ा था.

वर्ष 2010 में एक क्षेत्रीय विधान सभा में प्रस्ताव लाया गया कि लड़कियों को सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में तभी प्रवेश दिया जाए जब वो कौमार्य परीक्षण में उत्तीर्ण हो जाएँ. लेकिन यह प्रस्ताव भी अमल में नहीं आ सका.

इंडोनेशिया विश्व में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है. इंडोनीशिया में संभोग के लिए सहमति की उम्र लड़कों के लिए 19 वर्ष और लड़कियों के लिए 16 वर्ष है. समलैंगिक संबंधों के लिए सहमति की उम्र 18 वर्ष है.

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