बच्चों को समझने के लिए क्वालिटी ऑफ टाइम शेयर करें पेरेंट्स

-आई नेक्स्ट की पेरेंटिंग मीटिंग में एक्सपर्ट ने दिए पेरेंटिंग टिप्स

Meerut: आई नेक्स्ट की ओर से रविवार को गंगानगर स्थित गार्गी ग‌र्ल्स स्कूल कॉलेज में पेरेंटिंग सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में मौजूद एक्सपर्ट ने पेरेंट्स को पेरेंटिंग टिप्स बताए। इस दौरान मौजूद पेरेंट्स ने एक्सपर्ट के साथ अपने बच्चों से जुड़ी समस्याओं को भी साझा किया।

बच्चों के दांतों की करें खास देखभाल: डॉ। मनु शर्मा

शहर के डेंटल सर्जन डॉ। मनु शर्मा ने बताया कि ह्यूमन बॉडी में दांत सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि खाने के माध्यम से बॉडी में जाने वाली एनर्जी दांतों से होकर जाती है। अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चों को दांतों की सही देखभाल के बारे में भी बताए और अगर बच्चा ब्रश नहीं करता है तो उसे ब्रश न करने के नुकसान भी समझाने चाहिए।

बच्चे की तकलीफ को न करें अनदेखा: डॉ। राजेश अग्रवाल

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। राजेश अग्रवाल ने पेरेंटिंग सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि तीन साल तक बच्चों के आहार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों को विटामिन और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में दें। इसके साथ ही रुटीन चेकअप कराएं। रुटीन चेकअप में आने वाली छोटी-छोटी कमियों को अनदेखा न करें क्योंकि छोटी कमियों से ही बड़ी बीमारी जन्म लेती है।

आखों की बीमारी को न करें नजरअंदाज: डॉ। कोपल मित्थल

आई सर्जन डॉ। कोपल मित्थल ने बताया कि रुटीन की चीजों से बच्चों की आई प्रॉब्लम को डायग्नोस करें। जैसे टीवी देखना, होमवर्क करना या किताब पढ़ना आदि जैसी बातों पर पूरा ध्यान रखना चाहिए। यह देखना चाहिए कि बच्चा काम पूरा करके ला रहा है या नहीं उसकी आंखों में कहीं कोई सफेद दाग या फिर कोई अन्य दिक्कत जैसे टेढ़ापन तो नहीं या उसकी आंखें वीक तो नही है। यदि इस तरह का कोई भी संदेह हो तो तत्काल डॉक्टर को दिखाए व उसका इलाज भी तुरंत करवा लें।

जंक फूड करें अवॉयड: डॉ। पारुल त्यागी

डॉयटीशियन डॉ। पारुल त्यागी ने पेरेंट्स बताया कि जंक फूड अवॉयड करें। इसके स्थान पर बजार में मिलने वाला फास्ट फूड घर में बनाएं। उसमें सब्जी, दाल, पनीर या सोया डालकर डैमेज कंट्रोल करें।

गैजेट्स से बच्चों को रखें दूर: डॉ। सुनील गुप्ता

केएमसी के चेयरमैन डॉ। सुनील गुप्ता ने बताया कि बच्चों की डेली एक्टीविटीज पर पैनी नजर रखें। पढ़ाई के समय मोबाइल या कंप्यूटर आदि से बच्चों को दूर कर दें। इसके साथ संस्कार और जीवन मूल्यों पर भी ध्यान दें। संस्कारों के बदलने के साथ ही बच्चों के लाइफ स्टाइल में भी बदलाव आया है जो सेहत पर भी बुरा असर डाल रहा है।

आउटडोर गेम कल्चर बेस्ट: डॉ। केपी सैनी

फिजियोथेरपिस्ट डॉ। केपी सैनी ने बताया कि बच्चों में फिजीकल एक्टीविटी कम होती जा रही है। बच्चों में आउट डोर गेम कल्चर पैदा करें। फ्लैट कल्चर से बाहर आने के लिए बच्चों की प्रेरित करें। कोशिश करें कभी कभी आप उसके साथ गेम में खुद भी शामिल हों।

टाइम मैनेजमेंट जरूरी: डॉ। इंदू कुमार

नेचुरोपैथिक डॉ। इंदू कुमार ने बताया कि बच्चों को सिस्टम में डालें। इसका मतलब खाने पीने और पढ़ने को लेकर एक सिस्टम बनाएं। टाइम मैनेजमेंट आदि पर विशेष गौर करें। बच्चे को सही समय पर सोने व सही समय पर उठने का फायदा समझाएं।

अच्छे संस्कार दें: नितिन

एडवोकेट नितिन अहलूवालिया ने बताया कि बच्चों के समाने आदर्श रूप प्रस्तुत करें। प्रयास करें कि बच्चों के सामने कुछ गलत न करें। आपराधिक प्रवृति बच्चे में घर से ही पड़ती है। जिस तरह की आदतें बच्चा हम लोगों में देखता है वह उसी तरह की आदतें अपनाने लगता है। इसलिए बच्चे को घर में पॉजीटिव माहौल देने का ही प्रयास करें।

मां-बाप की है बड़ी जिम्मेदारी: एसके दीक्षित

समाजसेवी और पत्रकार एसके दीक्षित ने बताया कि बच्चों को क्वांटिटी ऑफ टाइम के साथ क्वालिटी ऑफ टाइम दें। इसके साथ बच्चों को विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ने की प्रेरणा दें। बच्चों पर न केवल पैनी नजर रखें, बल्कि उनका निरीक्षण भी करें।

भागदौड़ की जिंदगी में पेरेंट्स यह भूलने लगे हैं कि बच्चों को क्या सिखाना चाहिए और क्या नहीं सिखाना चाहिए। बच्चों को लंच में क्या देना ठीक और क्या गलत यह सब भी ध्यान नहीं रहता है। स्कूल में सैकड़ों एक्टिविटी होती है, लेकिन उनका बच्चा उस एक्टिविटी में कितना प्रतिभाग कर रहा है यह तक भी पेरेंट्स नहीं जानना चाहते हैं। इसलिए पेरेटिंग सेमिनार एक अच्छा जरिया है पेरेंट्स को समझाने कि वास्तव में उनके बच्चों को कैसे पेरेटिंग की आवश्यकता है।

डीके गर्ग, डायरेक्टर, गार्गी ग‌र्ल्स स्कूल