-नाइपर रायबरेली के चौथे दीक्षांत समारोह का सीडीआरआई में आयोजन

LUCKNOW:

वैश्रि्वक रासायनिक उद्योग का वार्षिक कारोबार करीब 4 खरब डॉलर है और फार्मास्युटिकल उद्योग जो प्रति वर्ष 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का कारोबार करती है को संभालने के लिए आज कुशल पेशेवरों की बहुत आवश्यकता है। यह डाटा इस उद्योग में अवसरों के विशाल विस्तार की एक झलक देता है। जबकि कई फार्मा कंपनियां आरएंडडी पर अपने कारोबार का 5 से 12प्रतिशत खर्च कर रही हैं। ऐसे में नाइपर जैसे संस्थानों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि वे कुशल फार्मास्यूटिकल प्रोफेशनल्स के प्रशिक्षण में अग्रणी हैं। यह नाइपर के चौथे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात एम्स दिल्ली के निदेशक प्रो। रणदीप गुलेरिया ने कही।

मेधावियो को सम्मान

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल्स एजूकेशन एंड रिसर्च (नाइपर) रायबरेली के चौथे दीक्षांत समारोह में शनिवार को रजत व स्वर्ण पदकों से स्टूडेंट्स को नवाजा गया। मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद प्रो। गुलेरिया ने कहा कि आशा है कि नाइपर जैसे संस्थानों के साथ, हम आने वाले वषरें में कई एनसीई के साथ आएंगे, जो फार्मरास्युटिकल उद्योग को एक उल्लेखनीय स्तर पर आगे ले जाएंगे।

हर तीसरी दवा भारत में

इस अवसर पर एम्स के फार्माकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो। वाई के गुप्ता ने कहा कि विश्व में खपत होने वाली हर तीसरी दवा की टेबलेट भारत में बनाई गई है। फिलहाल देश में लगभग 10000 विनिर्माण इकाइयां हैं। जिनमें 77प्रतिशत फार्मूलेशन में और 33फीसद एपीआई में शामिल हैं । वैश्रि्वक स्तर पर भारत उत्पादन की मात्रा के आधार पर तीसरे स्थान और मूल्य के आधार पर 14 वें स्थान पर है। इस अवसर पर फार्मास्युटिकल विभाग भारत सरकार के संयुक्त सचिव रजनीश टिंगल, रसायन व उर्वरक मंत्रालय के निदेशक जितेंद्र त्रिवेदी सहित अन्य लोगों ने भी संबोधित किया।