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इनलैंड वाटर वे ट्रांसपोर्टेशन ऑफ इंडिया अक्टूबर से शुरू करेगा टर्मिनल का प्रोजेक्ट

250 करोड़ रुपये होगी टर्मिनल की लागत, दो साल में शुरू हो जाएगा आवागमन

हल्दिया से इलाहाबाद वाटर वे नंबर एक, 1620 किलोमीटर का है प्रोजेक्ट

VARANASI

तीन दशक पुराने वाटर वे ट्रांसपोर्टेशन नंबर-क् को जल्द ही मूर्त रूप मिलने वाला है। गंगा में हल्दिया से इलाहाबाद के बीच क्म्ख्0 किलोमीटर के इस जल मार्ग का एक टर्मिनल बनारस में बनाया जाना है जिसकी शुरुआत अक्टूबर से होने जा रही है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की कवायद भी पूरी की जा रही है। रामनगर में बनने वाले टर्मिनल के लिए भ्.भ्म् हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण करने के बाद प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

इनलैंट वाटर वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईडब्ल्यूएआई) के अयध्क्ष अमिताभ वर्मा ने गुरुवार को कैंटोन्मेंट स्थित एक होटल में बातचीत के दौरान बताया कि हमारा प्रोजेक्ट काफी देर से शुरू हो रहा है लेकिन इसकी शुरुआत होने से हमें कई मायनों में फायदा होगा। हल्दिया से इलाहाबाद के बीच वाटर वे नंबर वन प्रोजेक्ट के तहत वाराणसी में एक टर्मिनल बनाया जाना है। जिसकी डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हो चुकी है और इसके लिए ख्भ्0 करोड़ रुपये का बजट बनाया गया है। इसके लिए व‌र्ल्ड बैंक फाइनेंस कर रही है। इससे पहले वाटर वे के जरिए हल्दिया और फरक्का के बीच ट्रांसपोर्टेशन हो रहा है। इस बारे में उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान व‌र्ल्ड बैंक की ओर से अर्नब बंधोपाध्याय भी मौजूद रहे।

रोड और रेलवे पर कम होगा लोड

वाटर वे ट्रांसपोर्टेशन की शुरुआत होने के बाद से रोड्स और रेलवे पर पड़ने वाला लोड काफी कम हो जाएगा। रोड ट्रांसपोर्टेशन पर आज के समय से काफी लोड है और इस पर खर्च भी काफी ज्यादा होता है। अमिताभ वर्मा ने बताया कि जल मार्ग के विकास होने से सड़कों पर पड़ रहा लोड काफी हद तक कम हो जाएगा। इसके साथ ही रेलवे पर भी पड़ने वाले लोड से काफी राहत मिलेगी। जिसका फायदा पब्लिक को मिलेगा।

फ‌र्स्ट फेज में रोड कनेक्टिविटी

बनारस में बनने वाले टर्मिनल का फ‌र्स्ट फेज का बजट ख्भ्0 करोड़ का होगा। जिसमें ख्क्0 करोड़ रुपये टर्मिनल के निर्माण के लिए लगाया जाएगा और बाकी की रकम इसे सड़क से जोड़ने के साथ और इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवेलपमेंट के लिए होगा। फ‌र्स्ट फेज में इस टर्मिनल को रोड से कनेक्ट करने का प्रोजेक्ट है।

सेकेंड फेज रेलवे कनेक्टिविटी

फ‌र्स्ट फेज प्रोजेक्ट सक्सेसफुल होता है और रेवेन्यू आने लगता है तो सेकेंड फेज में आईडब्ल्यूएआई रेलवे कनेक्टिविटी के प्रोजेक्ट पर काम करेंगा। इसके लिए भ्00 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा। जिसमें पांच किमी की रेल लाइन जीवनाथपुर से टर्मिनल के बीच बनायी जाएगी।

यूरोप भेजी गयी थी टीम

वाटर वे प्रोजेक्ट के लिए आईडब्ल्यूएआई की एक टीम यूरोप गयी थी। यूरोप में सफलतापूर्वक चल रहे वाटर वे ट्रांसपोर्ट को किस तरह से चलाया जा रहा है इसका गहन निरीक्षण किया। वहां पर पोर्ट मैनेजमेंट, ट्रैफिक मैनेजमेंट किस तरीके से मैनेज किया जा रहा है इसकी जानकारी ली गयी।

फरक्का और पटना में है रोड़ा

वाटर वे से गंगा में ख् हजार टन के माल वाहक जहाज का आवागमन होगा। इसके बीच में फरक्का और पटना में रोड़ा आ रहा है। फरक्का में बना बैराज जिसमें एक नेविगेशन लॉक बनाया जाना है और एक पहले से मौजूद है। जिससे होकर जहाज पार हो सके। वहीं पटना से होकर गुजरने वाली गंगा में पत्थर काफी है। जिन्हें हटाये बिना जहाज का संचालन नहीं हो पायेगा। इन दोनों पर काम शुरू कर दिया गया है।

छह भारतीय और तीन विदेशी कंपनी करेंगी काम

इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए देश और विदेश में टेंडर किया गया था। जिस पर काम करने के लिए देश की छह कंपनियों को और विदेश की तीन कंपनियां टेंडर दिया गया है। जिसमें विदेश की हैबर्ग पोर्ट कंसल्टेंट, यूनिवर्सल ट्रांसपोर्ट कंसल्टेंट, आईएमए, रैंबुल इंडिया के साथ काम देश की म् कंपनियां काम करेंगी।

प्रदूषण रहित है पूरा प्रोजेक्ट

इस प्रोजेक्ट की स्थापना के वक्त से लोगों में यह अफवाह थी कि इससे गंगा में प्रदूषण होगा। लेकिन इसके लिए सभी तरह की एनओसी ले ली गयी है। आईडब्ल्यूएआई के डायरेक्टर अमिताभ वर्मा ने बताया यह पूरा प्रोजेक्ट प्रदूषण मुक्त होगा। बनारस की कछुआ सैंक्चुअरी भी पूरी तरह से सुरक्षित रहेगी। इसके लिए चीफ वाइल्ड लाइफ ऑफिस से एनओसी ली गयी है।

हाईकोर्ट से अनुमति है बाकी

हाईकोर्ट ने गंगा के ख्00 मीटर दायरे में किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा रखी है। यह एक इश्यू है जिस पर अभी हाईकोर्ट और वीडीए से अनुमति मिलना बाकी है। अमिताभ वर्मा ने बताया कि इसके लिए वह हाईकोर्ट में अपील करेंगे और नियमों के आधार पर उन्हें अनुमति मिलने की पूरी उम्मीद है।

डैम नहीं बनाना पड़ेगा

इस प्रोजेक्ट की शुरुआत में जो प्लान बना था उसके आधार पर इस वाटर वे पर दो डैम की जरूरत सामने आयी थी। डैम बनाने के लिए सरकार भी तैयार नहीं था। जिसके बाद दोबारा किये गये सर्वे से यह साफ हो गया है कि डैम बनाने के जरूरत नहीं के बराबर है। आईडब्ल्यूएआई की टीम को पूरा भरोसा है कि डैम बनाने की जरूरत नहीं होगी।

क्0क् नदियों में होगा वाटर ट्रांसपोर्ट वे

देश में अब तक पांच नदियों में वाटर वे पर कम चल रहा है। इसके बाद क्0क् और नदियों को वाटर वे के लिए चयन किया जाना है। इसके बाद पूरे देश में वाटर वे ट्रांसपोर्टेशन होने लगेगा। जिससे रेवेन्यू में इजाफा होगा और रेलवे के साथ रोड पर पड़ने वाला दबाव काफी कम हो जाएगा।

जहाज का बदलेगा डिजाइन

बाढ़ और कम पानी होने के दौरान गंगा में जहाज चलाने के लिए उनकी डिजाइन पर भी काम किया जा रहा है। जब नदियों में पानी कम होता है उसे दौरान ख् हजार टन के उन जहाज को भी यहां तक आने में परेशानी जो पहले बनते है। इसे देखते हुए इसके डिजाइन में भी बदलाव किया जा रहा है।