फ्रांस की व्यावसायिक अंतरिक्ष परिवहन कंपनी एरियनस्पेस के एरियन-5 नामक रॉकेट को गुरुवार रात भारतीय समयानुसार एक बजकर 24 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया. 32 मिनट 48 सेकेंड बाद इनसेट-3डी को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया गया.

इनसेट-3डी के एरियन-5 से अलग होने के तत्काल बाद उपग्रह का सौर पैनल स्वत: सक्रिय हो गया और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के कर्नाटक के हासन जिला स्थित मास्टर कंट्रोल रूम फैसिलिटी (एफसीएफ) ने अंतरिक्षयान का नियंत्रण हासिल कर लिया. एरियन-5 से इनसेट-3डी के अलावा यूरोप का अब तक का सबसे बड़ा दूरसंचार उपग्रह एल्फासेट भी प्रक्षेपित किया गया.

इसरो अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने एफसीएफ में इनसेट-3डी के सिग्नल प्राप्त होने की सूचना दी. उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि अगले सात वर्षों तक इनसेट-3डी बेहतर तरीके से संचालित होगा. इससे देश के मौसम की भविष्यवाणी और आपदा चेतावनी तंत्र को मजबूत बनाया जा सकेगा.

उपग्रह के प्रक्षेपण के मौके पर राधाकृष्णन कोरो नहीं गए. हालांकि इनसेट-3डी के प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर एससी रस्तोगी, सेटेलाइट सेंटर के निदेशक एसके शिवकुमार समेत कई वरिष्ठ अधिकारी प्रक्षेपण स्थल पर मौजूद थे.

2060 किलोग्राम वजनी इनसेट-3डी में छह चैनल इमेजर, डाटा रिले ट्रांस्पोंडर के साथ 19 चैनल साउंडर लगे हैं. छह चैनल इमेजर पृथ्वी की मौसम संबंधी तस्वीरों को लेगा. इसमें पिछले एक दशक से मौसम संबंधी जानकारियां देने वाले दो भारतीय उपग्रह कल्पना-1 और इनसेट-3ए के मुकाबले कई बेहतर सुविधाएं हैं.

इनसेट-3डी में वायमुंडलीय ध्वनि तंत्र के जरिये मौसम की निगरानी को नया आयाम मिलेगा. यह वायुमंडल की सतह से शीर्ष तक के तापमान, आद्र्रता और ओजोन पर्त संबंधी जानकारी देगा. भारत में उपग्रह की मदद से खोज और बचाव सेवा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारतीय तटरक्षक, भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण, जहाजरानी निदेशालय, रक्षा सेवाएं और मछुआरे करते हैं.

भारत हिंद महासागर मेंबांग्लादेश, भूटान, मालदीव, सेशेल्स, नेपाल, श्रीलंका और तंजानिया को आपात सूचनाएं उपलब्ध कराता है.

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