RANCHI: चमकी बुखार के कारण बिहार में हाहाकार मचा है और हॉस्पिटलों में मरीजों के भर्ती होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं रांची में भी चमकी बुखार ने दस्तक दे दी है। अबतक रिम्स में आधा दर्जन से अधिक मरीज इंसेफेलाइटिस(दिमागी बुखार) के भर्ती हो चुके हैं। इसके बाद भी रांची में चमकी बुखार से निपटने को लेकर कोई तैयारी नहीं की गई है। अगर यहां भी मुजफ्फरपुर की तरह मरीजों की संख्या बढ़ती है तो इस स्थिति भयावह हो सकती है। चूंकि रिम्स को छोड़कर राजधानी के किसी भी सरकारी हॉस्पिटल में आईसीयू की व्यवस्था नहीं है। वहीं रिम्स की बात करें तो यहां की भी स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अधिकारी अनहोनी का इंतजार क्यों कर रहे हैं?

बिहार से मरीज पहुंच रहे रिम्स

अब बिहार से इलाज के लिए मरीजों को रिम्स और पीएमसीएच भी रेफर किया जा रहा है। चूंकि बिहार के हॉस्पिटलों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बेहतर इलाज के लिए रिम्स आए मरीजों के परिजनों ने बताया कि पहले तो उन्हें पीएमसीएच भेजा गया था। वहां से चमकी बुखार के लक्षण दिखने पर तत्काल रिम्स भेज दिया गया। लेकिन यहां भी नाम का इलाज हो रहा है। ना तो आईसीयू में प्रॉपर केयर की व्यवस्था है और ना ही इमरजेंसी से निपटने की। इस बीच अगर बच्चे की हालत खराब होती है तो उसे बचाना मुश्किल होगा।

आईसीयू में सुरक्षा के इंतजाम नहीं

पेडियाट्रिक वार्ड में फिलहाल मरीजों की संख्या बढ़ी हुई है। ऐसे में आइसीयू तो पूरी तरह से फुल है। लेकिन वहां न तो पंखे काम कर रहे हैं और न ही एसी। गर्मी के कारण बच्चों का बुरा हाल हो रहा है। वहीं कंस्ट्रक्शन का काम भी बीमार बच्चों की परेशानी और बढ़ा रहा है। इतना ही नहीं, बिना सुरक्षा के ही वहां मरीज और परिजनों का आना-जाना लगा हुआ है, जिससे कि बीमार बच्चों की बीमारी और भी बढ़ जाएगी।

सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल में नहीं है आईसीयू

सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल में मैटरनिटी के अलावा पीडियाट्रिक वार्ड भी है। जहां पर गंभीर बच्चों को इलाज के लिए लाया जाता है। लेकिन इस सुपरस्पेशियलिटी विंग में भी आजतक आईसीयू का निर्माण नहीं कराया गया है। इस वजह से बच्चों को बेहतर इलाज के लिए वहां से सीधे रिम्स भेज दिया जाता है। लेकिन वहां तो पहले से ही बच्चों का काफी बोझ है।