आई इम्पैक्ट

- निरीक्षण में नहीं दिखे जेई से डिसेबल बच्चे, तीन कर्मचारी भी गायब

- आई नेक्स्ट ने मनोविकास केन्द्र का किया था रिएलिटी चेक, उजागर की थी अव्यवस्था

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज कैंपस में जेई से डिसेबल हुए बच्चों के विकास के लिए संचालित होने वाले मनोविकास केन्द्र की अव्यवस्था आई नेक्स्ट ने अपने रिएलिटी चेक में उजागर की थी। न्यूज पब्लिश होने के बाद विकलांग कल्याण अधिकारी ने गुरुवार को केन्द्र का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने वैसा ही पाया, जैसा कि आई नेक्स्ट के रिएलिटी चेक में मिला था। केन्द्र में एक भी बच्चा नहीं मिला वहीं तीन कर्मचारी भी गायब मिले। इस पर उन्होंने नाराजगी जाहिर की। कर्मचारियों को सुधर जाने की हिदायत देकर छोड़ दिया।

रजिस्टर पर ओवर राइटिंग

विकलांग कल्याण अधिकारी मधुवेंद्र कुमार पर्वत गुरुवार की सुबह 10.25 बजे मनोविकास केंद्र पहुंचे। कर्मचारी उन्हें खुश करने के लिए स्वागत में जुट गए। अटेंडेंस रजिस्टर की जांच की तो तीन कर्मचारी गायब मिले। इस पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए प्रभारी को सख्त निर्देश दिया कि अगर कर्मचारी दोबारा गैरहाजिर पाए गए तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। इतना ही नहीं रजिस्टर में कई जगह ओवर राइटिंग थी। इसपर भी उन्होंने नाराजगी जताई।

इन यूनिट का भी किया निरीक्षण

कर्मचारियों की उपस्थिति जांचने के बाद विकलांग कल्याण अधिकारी प्रशिक्षण कक्ष, आडियोमेंट्री, आई क्यू टेस्टिंग यूनिट, फिजियोथैरेपी यूनिट, स्पीच थेरेपी, व्यावसायिक प्रशिक्षण, विशेष शिक्षा यूनिट, एक्युप्रेशर थेरेपी यूनिट और काउंसलिंग कक्ष का जायजा लिए। प्रभारी से सभी यूनिट के संचालन के बारे में जानकारी ली।

सीआरसी सेंटर में पंचायत

सीआरसी सेंटर में विकलांग कल्याण अधिकारी ने सभी कर्मचारियों को बुलाकर पंचायत बैठा दी। इसके बाद एक-एक कर सभी से बातचीत की और उन्हें नसीहत दी कि काम के प्रति ईमानदारी बरतें। साथ ही सीआरसी सेंटर की प्रभारी पंकज आर्या से भी बात की और सुधर जाने को कहा। उन्होंने फिजियोथेरेपिस्ट विवेक भारती से व्यवस्था के बारे में पूछा। उनका कहना था कि संसाधन है लेकिन कुछ कमियां हैं। इस पर उन्होंने प्रस्ताव बनाकर विभाग के पास भेजने को कहा।

नहीं आए एक भी डिसेबल बच्चे

मनोविकास केन्द्र में जेई से विकलांग हुए बच्चों व व्यक्ति का रजिस्ट्रेशन होता है और इसके बाद उन्हें ट्रेनिंग दिलाई जाती है। लेकिन विकलांग विकास अधिकारी के निरीक्षण में वहां एक भी बच्चा नहीं दिखा। उन्होंने ट्रेनरों से बात की तो उनका कहना है कि डिसेबल बच्चे कभी आते हैं और कभी नहीं आते हैं। अधिकारी भी अपने कर्मचारियों का ही पक्ष ले रहे थे।

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यह क्या साहब, आए और चल दिए

विकलांग कल्याण अधिकारी के निरीक्षण में मनोविकास केन्द्र में कुछ भी संतोषजनक नहीं मिला। इसके बाद भी उन्होंने कर्मचारियों को सिर्फ हिदायत देकर ही छोड़ दिया। अटेंडेंस जांच में तीन कर्मचारियों के गायब रहने पर न तो उनकी हाजिरी काटी और न ही रजिस्टर में ओवरराइटिंग पर ही कार्रवाई की। यही नहीं, विकास केन्द्र में एक भी डिसेबल्ड चाइल्ड के नहीं मिलने पर भी शो कॉज नोटिस तक जारी नहीं किया। इस बात की पूरे बीआरडी में चर्चा रही। अन्य विभागों के कर्मचारी आपस में बात करते रहे कि आखिर विकलांग कल्याण अधिकारी इतनी अव्यवस्था के बाद भी कार्रवाई करने से क्यों बच रहे हैं।