-मरीजों की शिकायत पर नाराज हुए स्वास्थ्य सचिव

-मरीजों ने रो-रोकर सुनाई आपबीती, बाहर से दवा मंगाने पर जताया ऐतराज

ALLAHABAD: सात महीने बीत गए, डेढ़ लाख खर्च हो गए फिर भी नहीं हुआ पूरा इलाज। साहब, घर में बच्चा अकेला है, पति पेशे से किसान हैं और दवाइयों के खर्च के लिए कर्ज ले चुके हैं। चित्रकूट की रहने वाली शांति का। एसआरएन हॉस्पिटल के औचक निरीक्षण पर पहुंचे प्रमुख स्वास्थ्य सचिव अरविंद कुमार से उसने बताया कि हर महीने क्भ् से ख्0 दिन के लिए डॉक्टर उसे भर्ती कर लेते हैं। अभी तक इलाज का फायदा नहीं हुआ है। यह सुनकर सचिव ने नाराजगी जताई।

नम आंखों से बताया दिल का हाल

शिकायत मिलने पर मुख्य सचिव आलोक रंजन ने प्रमुख स्वास्थ्य सचिव को स्पेशली एसआरएन हॉस्पिटल के दौरे पर भेजा था। यहां पहुंचकर उन्होंने वार्ड-वार्ड जाकर मरीजों से पूछताछ की। वार्ड नंबर दो के बेड नंबर पांच पर भर्ती चित्रकूट की इस महिला ने नम आंखों से बताया कि आखिर ये कैसा मर्ज है जो ठीक होने का नाम नहीं ले रहा है। हर बार हजारों की दवा उसे बाहर से खरीदनी पड़ती है। इस पर स्वास्थ्य सचिव ने एमएलएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। एसपी सिंह से बाहर से दवा मंगवाने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि सरकारी बजट मिलने के बावजूद ऐसा क्यों हो रहा है। इसी तरह मेडिसिन वार्ड में एडमिट सनोवर और मनौरी की कमला देवी ने भी बाहर बाजार से दवा मंगाए जाने की शिकायत की।

मिली इम्प्लांट बदलने की गंभीर शिकायत

प्रमुख स्वास्थ्य सचिव को एसआरएन हॉस्पिटल के आर्थोपेडिक वार्ड में मरीजों के इम्प्लांट बदले जाने की गंभीर शिकायत मिली थी। उनसे बताया गया था कि डॉक्टर, मरीजों से फ्रैक्चर में लगाने के महंगे इम्प्लांट मंगाते हैं और फिर इसकी जगह सस्ते इम्पलांट फिट कर दिए जाते हैं। इस बारे में आर्थो डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। डीसी श्रीवास्तव से पूछताछ की गई तो उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया। प्रिंसिपल ने कहा कि उन्होंने शासन से दवाओं के लिए ब्ख् करोड़ रुपए का बजट मांगा था लेकिन मिला तीन करोड़ का। मजबूरी में डॉक्टरों को बाहर की दवाएं मंगवानी पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि बीपीएल कार्ड धारकों को पूरी दवाएं मुहैया कराई जा रही हैं।

सलाह के साथ प्राइवेट सेंटर का पता भी बताते हैं

हॉस्पिटल के कुछ मरीजों ने बताया कि डॉक्टर उन्हें सिटी के प्राइवेट रेडियोलॉजी सेंटर से एक्सरे कराने की सलाह देते हैं। जबकि, हॉस्पिटल एक्सरे मशीन मौजूद हैं। मरीज ने यह भी कहा कि उन्हें प्राइवेट सेंटर का विजिटिंग कार्ड भी दिया जाता है। इस पर प्रमुख स्वास्थ्य सचिव ने नाराजगी जताते हुए प्रिंसिपल से कहा कि आखिर आपके हॉस्पिटल के खिलाफ इतनी शिकायतें क्यों मिल रही हैं? इस पर प्रिंसिपल ने कहा कि हमारे पास डिजिटल एक्सरे नहीं है। ऐसे मरीजों को प्राइवेट सेंटर भेजा जाता है। आप हमें बेहतर मशीनें प्रोवाइड करा दीजिए।

दी बेली हॉस्पिटल रिफर करने की सलाह

बता दें कि एक्सरे की अच्छी मशीने बेली हॉस्पिटल के आरडीसी सेंटर में मौजूद हैं। ऐसे में प्रमुख स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि आवश्यकता के अनुसार मरीजों को एक्सरे के लिए बेली हॉस्पिटल भी रिफर किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक एसआरएन हॉस्पिटल को हाल ही में एमआरआई, सीटी स्कैन सहित दूसरे इक्विपमेंट के लिए शासन ने आठ करोड़ रुपए प्रोवाइड कराए हैं।