- सेंट जोसेफ स्कूल में पढ़ती थी छात्रा, मजिस्ट्रेरियल जांच के दिये आदेश

- यूपी राज्य बाल अधिकार आयोग के सदस्य ने किया स्कूल का दौरा

- कहा, मामला साबित होने पर स्कूल पर दर्ज होनी चाहिए एफआईआर

LUCKNOW: राजधानी के सेंट जोसेफ इंटर कॉलेज में छात्रा को स्कूल में स्कार्फ पहन के आने से रोके जाने पर जिला प्रशासन ने इस पूरे मामले के जांच के आदेश दिए हैं। जिला अधिकारी ने इस पूरे मामले पर क्9 मई तक जांच किये जाने के आदेश दिए हैं। गौरतलब हो कि ठाकुरगंज स्थित सेंट जोसेफ इंटर कॉलेज ने एक विशेष धर्म समुदाय की छात्रा को स्कार्फ पहनकर स्कूल आने पर रोक लगाने का फरमान जारी कर दिया था। जिसे लेकर थर्सडे को स्कूल कैम्पस में विवाद खड़ा हो गया था। इसके बाद छात्रा के अभिभावक ने उसे स्कूल से निकालने के लिए स्कूल प्रशासन को एप्लीकेशन सौंपी है। इस पूरे मामले पर स्कूल प्रशासन का कहना है कि स्कार्फ पहनकर क्लास में बैठना ड्रेस कोड का हिस्सा नहीं है, इसलिए स्कूल मैनेजमेंट ने स्टूडेंट्स को अनुमति देने से इंकार कर दिया था।

महिला आयोग की टीम ने किया दौरा

स्कूल में छात्रा के साथ हुए इस मामले के बाद फ्राइडे को यूपी राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य ने स्कूल का दौरा किया। आयोग की सदस्य नाहिद लारी खान ने इस पूरे प्रकरण को संज्ञान में लेकर स्कूल पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स से बातचीत हुई है। यह पूरा मामला बच्चों के अधिकार के उल्लंघन का है। इस मामले पर स्कूल प्रशासन पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूल में स्टूडेंट्स को कम्यूनल फीलिंग सिखायी जा रही। अगर यह मामला गहराता है तो इस स्कूल के खिलाफ मामला जरूर दर्ज होना चाहिए।

अभिभावकों ने नहीं दी पहले से सूचना

इस पूरे मामले पर स्कूल के मैनेजर अनिल अग्रवाल ने बताया कि छात्रा के अभिभावाकों ने एडमिशन के समय स्कार्फ पहन कर आने की बात नहीं कही थी। उन्होंने बताया कि जब छात्रा स्कूल में स्कार्फ पहन कर आई तो उसे कहा गया कि वह क्लास में इसे पहनकर नहीं बैठ सकती है। पर वह स्कूल में स्कार्फ पहनकर आ सकती है। उन्होंने बताया कि ऐसे छात्राओं के लिए स्कूल में एक अलग से रूम की व्यवस्था की गई है। जहां पर वह स्कार्फ को रख सकती है और स्कूल छूटने के बाद वह दोबारा से पहनकर घर जा सकती है। अनिल अग्रवाल ने बताया कि इस मामले में पूरी जानकारी जिला अधिकारी को भेज दी गई है। उन्होंने कहा कि एडमिशन के समय अभिभावकों ने यह नहीं बताया कि बच्ची स्कूल में स्कार्फ पहनकर बैठेगी। जबकि पिछले स्कूल में स्कार्फ पहनकर नहीं जाती थी।