यह था मामला

बुधवार को परतापुर से इंस्पेक्टर ब्रजमोहन यादव ट्रांसफर होकर सदर बाजार थाने पहुंचे। जहां पहले से ही मौजूद इंस्पेक्टर मुनेंद्र पाल यादव अपनी कुर्सी पर जमे हुए थे। ब्रजमोहन ने अपनी आमदगी थाने में दर्ज कराई और मुनेंद्र पाल से इस बारे में बातचीत की। आरोप है कि इंस्पेक्टर मुनेंद्र पाल ने कुर्सी ही छोडऩे से इनकार कर दिया। काफी देर तक ब्रजमोहन बाहर कुर्सी डाले इंतजार करते रहे, लेकिन उनको उनकी कुर्सी नहीं मिली। इसके बाद वे सीधे एसपी सिटी के पास पहुंचे और वहां बातचीत की।

आखिर मिल गई कुर्सी

इधर मुनेंद्र पाल यादव अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में थे। इससे पहले कुर्सी का फेरबदल होता ब्रज मोहन ने इसकी जानकारी आला अधिकारियों को दे दी। इस दौरान मीडिया ने भी दस्तक दे दी। इसके बाद तो मामला बढ़ता गया। अधिकारियों से बातचीत के बाद मुनेंद्र पाल पर दबाव बढ़ा तो उन्होंने कुर्सी छोड़ दी।