आपके हक पर डाला जा रहा है परदा

क्या गैस कंपनियां कंज्यूमर को बेवकूफ बना रही है? आप कहेंगे कि गैस समय पर आ रही है। वजन भी सही होता है। ओवर चार्जेज भी नहीं हैैं। फिर ऐसा क्या है, जिसके आधार पर कंज्यूमर को बेवकूफ बनाया जा रहा है? तो ये है जनाब कंज्यूमर बीमा। कुकिंग गैस का इस्तेमाल करने वाले हर उपभोक्ता का कंपनी बीमा तो कराती है, लेकिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं देती। नतीजा, कुकिंग गैस के इस्तेमाल में अगर कहीं हादसा होता भी है तो कोई क्लेम ही नहीं करता। इस तरह गैस कंपनियां लाखों-करोड़ों बचा लेती हैं।

50 लाख तक का बीमा

आम उपभोक्ताओं को इस बारे में पता भी नहीं होगा कि उनके घर में लगे एलपीजी गैस कनेक्शन पर दस लाख रुपए का बीमा है। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि आपके एलपीजी कनेक्शन के साथ ही आपका भी बीमा हो जाता है। गैसे सिलेंडर से दुर्घटना की स्थिति में आपको 10 से 25 लाख रुपए तक का बीमा मिल सकता है। इतना ही नहीं सामूहिक दुर्घटना की स्थिति में क्लेम की राशि 50 लाख रुपए तक हो सकती है।

इलाज का खर्चा भी

एलपीजी सिलेंडर से दुर्घटना होने की स्थिति में दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के इलाज का सारा खर्च भी कंपनी को उठाना होता है। जानकारी के अभाव में न तो उपभोक्ता इस बात की जानकारी कंपनी को देते हैं और न ही कंपनी इसमें किसी प्रकार की कोई दिलचस्पी दिखाती है।

दुर्घटना के बाद लाभ

गैस सिलेंडर से दुर्घटना या मौत होने पर 24 घंटे में एजेंसी और थाने में इस बात की सूचना दी जाती है.गैस एजेंसी से क्षेत्रीय कार्यालय और वहां से संबंधित बीमा कंपनी को खबर दी जाती है। बीमा एजेंसी इसमें छानबीन कर क्लेम का भुगतान करती है।

नहीं है जानकारी

जब इस बारे में सिटी के विभिन्न लोगों से पूछा तो 10 में से 8 लोग ऐसे मिले जिन्हें इस बारे में जानकारी ही नहीं है। वेस्ट एंड रोड निवासी सुनील कुमार कहते है कि हमें इस बात की जानकारी कभी दी ही नहीं गई। न तो इस बारे में कनेक्शन बुक में जानकारी है और न ही एजेंसी वालों ने हमें इस बारे में कुछ बताया है।

देनी चाहिए जानकारी

बीमा कंपनियों के अधिकारियों की माने तो एलपीजी गैस कनेक्शन पर बीमा होता है। इसकी जानकारी कंपनी या एजेंसी को ग्राहक को कनेक्शन देते वक्त समय देनी चाहिए। साथ ही डिलीवरी की डायरी में नियम और सूचनाओं के साथ इसे प्रकाशित किया जाना चाहिए।

ये है मेरठ की स्थिति

अगर बात मेरठ की करें तो पूरे जिले में साढ़े चार लाख उपभोक्ता हैं। जिनके लिए 40 एजेंसी हैं। रोजाना 12 हजार से अधिक सिलेंडर की खपत हो जाती है। इसके बाद भी लोगों को इस बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं हैं न ही कंपनी और एजेंसी के लोग कुछ बताते हैं। डिस्ट्रिक्ट एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन के प्रेसीडेंट नमो जैन की माने पिछले दस सालों में कोई भी ऐसा मामला नहीं नहीं आया है किसी ने दुर्घटना के बाद क्लेम किया हो। अगर कोई दुर्घटना होती भी है तो इतना नुकसान नहीं होता कि जिसका क्लेम फाइल किया जा सके।

क्या हैं शर्तें

- एलपीजी कनेक्शन वैध होना चाहिए।

- एजेंसी से लिया गया आईएसआई पाइप और रेगुलेटर होना चाहिए।

- कंपनी की ओर से दिया गया सिलेंडर भी वही होना चाहिए, जो एजेंसी से दिया गया हो।

- जहां गैस का इस्तेमाल हो रहा हो वह जगह संकीर्ण या संकरी न हो।

- जिस जगह गैस का इस्तेमाल हो रहा हो वहां खुली बिजली का तार न हो।

'ये बात सही है कि उपभोक्ता का बीमा अपने आप हो जाता है, लेकिन पिछले 10 सालों की बात करें तो किसी भी उपभोक्ता ने कोई क्लेम नहीं किया। वैसे भी लोगों का कोई ऐसा नुकसान भी नहीं हुआ कि वो क्लेम लेने आए.'

- नमो जैन, प्रेसीडेंट, डिस्ट्रिक्ट एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन

'बीमा दो तरीके का होता है। एक एजेंसी की ओर से होता है, एक बीमा कंपनी की ओर से होता है। अगर कोई हादसा होता है और कोई आदमी क्लेम करता है तो उसे क्लेम मिलता है.'

- समीर अहमद, मैनेजर, राना गैस एजेंसी

फैक्ट एंड फिगर

- जिले में साड़े चार लाख गैस कनेक्शन हैं।

- सिटी में गैस कनेक्शन की संख्या 3 लाख है।

- जिले में 40 गैस एजेंसी हैं।

- सिटी में गैस एजेंसी की संख्या 30 है।

- रोजाना जिले में 12000 सिलेंडर की खपत होती है।

- सिटी में 8000 सिलेंडर रोज खप जाते हैं।