- शहर में लागू नहीं हो सका इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम

- 12 महानगरों में शुमार था गोरखपुर का नाम

GORAKHPUR: शहर में इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) लगाने की योजना डंप हो गई। अफसरों की अनदेखी से योजना पर कोई काम नहीं हो सका। तीन साल पहले बना प्रोजेक्ट फाइलों में धूल फांक रहा है। लापरवाही के चलते शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को हाईटेक बनाने पर अमल नहीं हो पा रहा है। एसपी ट्रैफिक ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी ली जाएगी। इस संबंध में पत्राचार किया जाएगा ताकि पब्लिक को लाभ पहुंचाने के लिए प्रोजेक्ट पूरा हो सकें।

फाइलों में धूल फांक रही योजना

करीब तीन साल पूर्व प्रदेशभर के 12 शहरों में इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम और स्मार्ट सिटी सर्विलांस परियोजना को शुरू करने के निर्देश दिए गए थे। 12 शहरों में गोरखपुर को भी शामिल किया गया था। योजना में सेलेक्ट किए गए सभी जिलों से इस संबंध में फीडबैक मांगे गए थे। सुझावों के हिसाब से योजना को लागू करने का प्लान तैयार किया जा रहा था। लेकिन विधान सभा चुनाव करीब आने पर यह योजना जहां की तहां डंप हो गई। गोरखपुर शहर में इस योजना पर अमल करने के बजाय पुलिस-प्रशासन और अन्य विभागों के अफसरों ने कोई रुचि नहीं दिखाई।

इन जिलों का किया गया था चयन

गोरखपुर, लखनऊ, आगरा, इलाहाबाद, वाराणसी, मुरादाबाद, मेरठ, कानपुर, अलीगढ़, गाजियाबाद, बरेली और गौतमबुद्ध नगर

एक मॉनीटर पर पूरे शहर की मॉनीटरिंग

शहर में ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए हर चौराहे पर पुलिस कर्मचारियों की ड्यूटी लगानी पड़ती है। ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मैन पॉवर का ज्यादा यूटिलाइजेशन होता है। आईटीएमएस की व्यवस्था से पूरा शहर एक स्क्रीन में सिमट जाएगा। हाईटेक कैमरों और सेंसर की मदद से जुड़े कंट्रोल रूम में बैठकर पुलिस कर्मचारी शहर की निगरानी कर सकेंगे। इसका बड़ा फायदा यह मिलेगा कि एक साथ जहां पूरे शहर पर नजर रखी जा सकेगी। वहीं किसी तरह के अपराध होने पर बदमाशों पर शिकंजा कसने में आसानी होगी। सड़क पर चेन स्नेचिंग, लूटपाट, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाओं में शामिल लोगों को पकड़ने में मदद मिलेगी। एक शहर में इस पूरे सिस्टम को लगाने में करीब 25 करोड़ रुपए का खर्च का अनुमान लगाया गया था।

यह मिलेगा फायदा

- सिस्टम से ट्रैफिक व्यवस्था को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी।

- ट्रैफिक रूल्स तोड़ने पर वाहन का नंबर डिटेक्ट हो जाएगा। चालान, ड्राइवर के घर पहुंचेगा।

- सिग्नल पर नियम तोड़ते ही कैमरा गाड़ी की नंबर प्लेट को पढ़ लेगा। ड्राइवर की फोटो खींचकर सेव करेगा।

- किस रोड पर ट्रैफिक का कितना दबाव है। इसकी जानकारी कंट्रोल रूम के बड़े मॉनीटर पर मिलेगी।

- किसी अपराध के होने पर बदमाशों की तलाश में लगी पुलिस कम समय में ट्रेस कर सकेगी।

- वायरलेस टेक्नोलॉजी पर काम करने वाले सिस्टम में लगे उपकरण कम से कम 50 साल तक काम करेंगे।

वर्जन

यह योजना काफी पहले आई थी लेकिन इस पर अभी तक कोई काम नहीं हो सका है। इस संबंध में पूरी जानकारी लेकर बातचीत की जाएगी। इस सिस्टम के लगने से ट्रैफिक मैनेजमेंट की समस्या का समाधान हो जाएगा।

- आदित्य प्रकाश वर्मा, एसपी ट्रैफिक