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ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: इण्डिया का कोई भी हायर इंस्टीट्यूशन इंटरनेशनल लेवल की टॉप 200 यूनिवर्सिटी में शामिल नहीं है। यह फैक्ट नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) की रिपो‌र्ट्स में भी सामने आ चुका है। मतलब साफ है कि भारत की यूनिवर्सिटीज में जो कोर्स चलाए जा रहे हैं, वह स्टूडेंट्स को ग्लोबल प्लेटफॉर्म प्रदान करने वाले नहीं हैं। यह उच्च शिक्षा लेने वाले युवाओं के फ्यूचर के लिहाज से ठीक नहीं है। भारत के राष्ट्रपति भी कई अवसरों पर युवाओं के बीच इसे लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं। अब पहल की बारी यूजीसी की है। उसने यूनिवर्सिर्टीज और कॉलेजेज को सीबीएसई से सीखने की नसीहत दी है।

जमाने के साथ चलना जरूरी

एक्चुअली सीबीएसई ने ग्लोबल मार्केट की डिमांड के एकॉर्डिग न सिर्फ अपने कोर्सेज में जेंच किया है बल्कि लर्निग स्टाइल को भी स्टूडेंट फ्रेंडली बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। कई प्रोफेशनल कोर्सेज को शुरू किया गया है ताकि एजुकेशन के दौरान ही स्टूडेंट्स प्रोफेशनली भी तैयार हों। उच्च शिक्षा के विकास में महती भूमिका निभाने वाले यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन <इण्डिया का कोई भी हायर इंस्टीट्यूशन इंटरनेशनल लेवल की टॉप ख्00 यूनिवर्सिटी में शामिल नहीं है। यह फैक्ट नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) की रिपो‌र्ट्स में भी सामने आ चुका है। मतलब साफ है कि भारत की यूनिवर्सिटीज में जो कोर्स चलाए जा रहे हैं, वह स्टूडेंट्स को ग्लोबल प्लेटफॉर्म प्रदान करने वाले नहीं हैं। यह उच्च शिक्षा लेने वाले युवाओं के फ्यूचर के लिहाज से ठीक नहीं है। भारत के राष्ट्रपति भी कई अवसरों पर युवाओं के बीच इसे लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं। अब पहल की बारी यूजीसी की है। उसने यूनिवर्सिर्टीज और कॉलेजेज को सीबीएसई से सीखने की नसीहत दी है।

जमाने के साथ चलना जरूरी

एक्चुअली सीबीएसई ने ग्लोबल मार्केट की डिमांड के एकॉर्डिग न सिर्फ अपने कोर्सेज में जेंच किया है बल्कि लर्निग स्टाइल को भी स्टूडेंट फ्रेंडली बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। कई प्रोफेशनल कोर्सेज को शुरू किया गया है ताकि एजुकेशन के दौरान ही स्टूडेंट्स प्रोफेशनली भी तैयार हों। उच्च शिक्षा के विकास में महती भूमिका निभाने वाले यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ((यूजीसी<यूजीसी) ) ने कंट्री की सभी यूनिवर्सिटी को जारी किए गए डायरेक्शन में कुछ ऐसा ही करने को कहा है। यूजीसी के डिप्टी सेक्रेटरी डॉ। शकील अहमद की ओर से जारी किए गए डायरेक्शन में कहा गया है कि सीबीएसई अपने यहां इंटरनेशनल लेवल के कई ऐसे कार्यक्रम संचालित कर रहा है जिसका सीधा लाभ स्टूडेंट्स को मिल रहा है। ऐसे में उच्च शिक्षण संस्थानों को भी इस दिशा में तेजी से कार्य करने की जरूरत है।

बेरोजगारों की फौज बन रही है गवाह

आई नेक्स्ट ने यूजीसी की इस पहल पर मार्केट के एक्सप‌र्ट्स से बात की। उनका साफ कहना था कि नॉलेज के मामले में नोडाउब्ट हमारे देश के नौजवान बेहतर हैं। लेकिन, प्राब्लम यह है कि ये बेरोजगार हैं। इनकी एकेडमिक नॉलेज उन्हें जॉब दिलाने लायक नहीं है। ये परफेक्ट है लेकिन, मार्केट की डिमांड के अनुरूप तैयार नहीं हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि आज का मार्केट हर दिन नई चुनौती के साथ काम शुरू करता है और शाम तक सुबह का टारगेट एचीव करने की बात होती है। इसके लिए पढ़ाई के दौरान ही स्टूडेंट्स में यह कल्चर भरना होगा। शिक्षा व्यवस्था जो अब भी बाबा आदम के जमाने के ढर्रे पर चल रही है, उसे दूसरी कंट्रीज के एजुकेशन के कम्पैरिजन में खड़ी करने लायक बनाना होगा। कुल मिलाकर कहें तो एजुकेशन सिस्टम को ऐसा बनाना होगा कि हर पढ़े-लिखे युवा के हाथ में काम हो। इसी से देश का युवा तरक्की करेगा।

क्यों हो रही है सीबीएसई से तुलना

सीबीएसई <ने कंट्री की सभी यूनिवर्सिटी को जारी किए गए डायरेक्शन में कुछ ऐसा ही करने को कहा है। यूजीसी के डिप्टी सेक्रेटरी डॉ। शकील अहमद की ओर से जारी किए गए डायरेक्शन में कहा गया है कि सीबीएसई अपने यहां इंटरनेशनल लेवल के कई ऐसे कार्यक्रम संचालित कर रहा है जिसका सीधा लाभ स्टूडेंट्स को मिल रहा है। ऐसे में उच्च शिक्षण संस्थानों को भी इस दिशा में तेजी से कार्य करने की जरूरत है।

बेरोजगारों की फौज बन रही है गवाह

आई नेक्स्ट ने यूजीसी की इस पहल पर मार्केट के एक्सप‌र्ट्स से बात की। उनका साफ कहना था कि नॉलेज के मामले में नोडाउब्ट हमारे देश के नौजवान बेहतर हैं। लेकिन, प्राब्लम यह है कि ये बेरोजगार हैं। इनकी एकेडमिक नॉलेज उन्हें जॉब दिलाने लायक नहीं है। ये परफेक्ट है लेकिन, मार्केट की डिमांड के अनुरूप तैयार नहीं हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि आज का मार्केट हर दिन नई चुनौती के साथ काम शुरू करता है और शाम तक सुबह का टारगेट एचीव करने की बात होती है। इसके लिए पढ़ाई के दौरान ही स्टूडेंट्स में यह कल्चर भरना होगा। शिक्षा व्यवस्था जो अब भी बाबा आदम के जमाने के ढर्रे पर चल रही है, उसे दूसरी कंट्रीज के एजुकेशन के कम्पैरिजन में खड़ी करने लायक बनाना होगा। कुल मिलाकर कहें तो एजुकेशन सिस्टम को ऐसा बनाना होगा कि हर पढ़े-लिखे युवा के हाथ में काम हो। इसी से देश का युवा तरक्की करेगा।

क्यों हो रही है सीबीएसई से तुलना

सीबीएसई ((सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन<सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन) ) की क्लासेज इंडिया के बाहर भी चलती हैं। देशभर के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों के लिए एडमिशन इंट्रेंस टेस्ट भी यह संस्था ऑर्गनाइज कराती है। संस्था से निकलने वाले बच्चे अपने लेवल की बेस्ट एजुकेशन पाते हैं। इसके लिए कोर्स स्ट्रक्चर में चेंज किया गया है और इसका पैटर्न भी बदला गया है। चैप्टर्स को इस अंदाज में विजुअलाइज किया गया है कि हर बच्चा समझ सके कि वह पढ़ क्या रहा है और उसका मतलब क्या है? इसके अलावा परंपरागत पाठ्यक्रमों में नए कंटेंट एड करके सीबीएसई ने इंडीविजुअल लर्निग स्टाइल डेवलप कर लिया है। उसका असेसमेंट भी उसी स्तर का है। इससे सीबीएसई की ग्लोबल रिक्निशन बढ़ी है।

<की क्लासेज इंडिया के बाहर भी चलती हैं। देशभर के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों के लिए एडमिशन इंट्रेंस टेस्ट भी यह संस्था ऑर्गनाइज कराती है। संस्था से निकलने वाले बच्चे अपने लेवल की बेस्ट एजुकेशन पाते हैं। इसके लिए कोर्स स्ट्रक्चर में चेंज किया गया है और इसका पैटर्न भी बदला गया है। चैप्टर्स को इस अंदाज में विजुअलाइज किया गया है कि हर बच्चा समझ सके कि वह पढ़ क्या रहा है और उसका मतलब क्या है? इसके अलावा परंपरागत पाठ्यक्रमों में नए कंटेंट एड करके सीबीएसई ने इंडीविजुअल लर्निग स्टाइल डेवलप कर लिया है। उसका असेसमेंट भी उसी स्तर का है। इससे सीबीएसई की ग्लोबल रिक्निशन बढ़ी है।

Fact file

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-दुनिया के टॉप ख्00 हॉयर इंस्टीट्यूशंस में नहीं है इंडिया की काई यूनिवर्सिटी

-यूजीसी ने माना यूनिवर्सिटी में संचालित होने वाले ट्रेडिशनल कोर्सेज मार्केट की डिमांड के अनुरूप नहीं

-बेरोजगारों की फौज खड़ी करने में भारत के कॉलेज अव्वल

-बेरोजगारों को सिर्फ बांटी जा रही है डिग्री, मार्केट की जरूरत का कुछ भी नहीं पढ़ाया जाता

-डिप्टी सचिव ने दी, सभी यूनिवर्सिटीज को सीबीएसई से सबक लेकर चेंज अपनाने की नसीहत