आईबी और स्वॉट टीम ने तीन को किया गिरफ्तार
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KANPUR: आईबी और एसएसपी की स्वॉट टीम ने बाबूपुरवा में चल रहे इंटरनेशनल कॉलिंग एक्सचेंज का भंड़ाफोड़ किया। यह एक्सचेंज विदेशों खासकर गल्फ कंट्रीज से आने वाली कॉल्स को डीकोड कर लोकल कॉल में कन्वर्ट कर देता था। फोन करने वालों को इन इंटरनेशनल कॉल के लिए एक रुपए से भी कम खर्च करना पड़ता था। स्वॉट टीम ने एक्सचेंज चलाने के आरोप में 3 युवाओं को गिरफ्तार किया है। इनके पास से टेली कम्यूनिकेशन से जुड़े प्रतिबंधित उपकरण व सैकड़ों फर्जी सिम बरामद हुए हैं। तीनों से आईबी की टीम ने घंटो पूछताछ की है। यह पूरा एक्सचेंज एक मोबाइल एप की मदद से चलता था। आईबी की नजर अब दिल्ली और दूसरे बड़े शहरों में बैठे कंपनी के आकाओं पर भी है। साथ ही इस पूरे नेटवर्क को टेरर लिंक से जोड़ कर भी जांच चल रही है.

प्रतिबंधित मशीने खरीद शुरू किया एक्सचेंज
आईबी और एसएसपी की स्वॉट टीम ने बीएससी फ‌र्स्ट ईयर के छात्र मो। शहनवाज, बीए छात्र मो। सरफराज और इंटर में पढ़ रहे मो। नायाब को गिरफ्तार किया है। इनके पास से 3 कॉल टर्मिनेटर मशीनें, लेन एक्सटेंशन बॉक्स, राउटर, 238 फर्जी सिम बरामद हुए हैं। ये एक्सचेंज चुन्नन बिल्डिंग बगाही में चल रहा था। नई उम्र के इन लड़कों के पास ये प्रतिबंधित कम्यूनिकेशन डिवाइसेस कैसे मिली, इस पर स्वॉट टीम के अधिकारियों का कहना है कि इन्हें दिल्ली में एक शख्स ने कॉल टर्मिनेटर मशीनें मुहैया कराई थीं। एक मशीन में 64 सिम लगते हैं। प्रति मिनट एक कॉल पर इन्हें 15 पैसे मिलते थे। महीने के हिसाब से इनकी कमाई लाखों में है। इस कम्यूनिकेशन सिस्टम को एंड्रायड मोबाइल एप टीपी स्मार्ट के जरिए चलाया जाता था। इस एप को चलाने वाली कंपनी भी आईबी के निशाने पर है।

ऐसे काम करता था इंटरनेशनल कॉलिंग एक्सचेंज

- मोबाइल एप टीपी स्मार्ट को विदेश में बैठा कॉलर अपने मोबाइल पर लोड करता था। उसे एक कोड मिलता था। जिसकी जानकारी सभी एक्सचेंज चलाने वालों को हेती थी।

- विदेश में बैठा यूजर जब भी अपने फोन से इंडिया के किसी नंबर पर कॉल करता था। तो वह कॉल वीओआईपी मशीन (कॉलटर्मिनेटरर) पर आती थी। और इस मशीन में लगे दर्जनों सिमों के जरिए लोकल कॉल में कंवर्ट रिसीवके पास चली जाती थी।

- विदेश में बैठे कॉल करने वाले को प्रति मिनट मात्र 60-70 पैसे ही खर्च करने पड़ते थे। जबकि उस इंटरनेशनल कॉल के लिए 15-16 रुपए प्रति मिनट के रेट हैं।

- एक्सचेंज चलाने वालों को उनके एक्सचेंज में आई इंटरनेशनल कॉल्स के मुताबिक पेमेंट कर दिया जाता था.दिल्ली में बैठा इस नेटवर्क का बड़ा खिलाड़ये पेमेंट करता था।

- एक कॉल टर्मिनेटर मशीन में 64 सिम लग सकते हैं। इनके पास से तीन मशीनें बरामद हुई हैं। यह इंटरनेशनल कॉल सिर्फ कानपुर के रिसीवर के पास ही नहीं बल्कि देश में कहीं भी बैठे रिसीवर के पास ट्रांसफर हो जाती थी।

- जांच एजेंसियों को इस पूरे नेटवर्क के किसी टेरर लिंक से जुड़े होने की भी पूरी आशंका है। इस एंगल पभी जांच चल रही है।

- इस एक्सचेंज के लिए की जाने वाली कॉल्स को ट्रेस करने में भी काफी मुश्किलें हैं। क्योंकि कॉल इंटरनेट डाटा से एक्सचेंज में लोकल सिमों में बाउंस होकर आती थी

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घाटी में कॉल डायवजर्न का हुआ था खुलासा

बीते साल जनवरी में यूपी इंटेलिजेंस और जम्मू कश्मीर मिलिट्री इंटेलिजेंस ने लखनऊ के अलीगंज हाउस से इसी तरह के एक एक्सचेंज को पकड़ा था। जिसमें वीआईओपी टै्रफिक को कॉल टर्मिनेटर मशीन के जरिए लोकल कॉल्स में कनवर्ट किया जा रहा था। एटीएस को इसमें पाकिस्तान, यूएई,बांग्लादेश, नेपाल से आने वाली कॉल्स का कश्मीर वैली में रिसीवर को ट्रांसफर होने की बात भी पता चली थी। पूरा नेटवर्क इंजीनियरिंग इंट्रेस की कोचिंग पढ़ाने वाले एक टीचर समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया था।

 

टैरर िलंक को लेकर छानबीन

बाबूपुरवा में पकड़े गए इस मोबाइल एक्सचेंज में गल्फ कंट्रीज समेत पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल जैसे देशों से भी फोन आने की बात पता चली है। जांच एजेंसियां इस बाबत डाटा माइनिंग भी कर रही हैं। अभी तीनों को बाबूपुरवा पुलिस के हवाले कर आईटी एक्ट, धोखाधड़ी और टेलीग्राफ एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। फर्जी सिम बीए छात्र सरफराज मुहैया और नायाब मुहैया कराते थे। सरफराज सोमदत्त प्लाजा में एक मोबाइल शॉप में भी काम कर चुका है।

वर्जन-

आईबी की टीम के साथ ज्वाइंट ऑपरेशन में स्वाट टीम ने इस रैकेट का खुलासा किया है। आईबी टीम ने इनसे पूछताछ की है। इनका कोई पिछला क्रिमिनल बैकग्राउंड नहीं है।

- अखिलेश कुमार, एसएसपी कानपुर नगर