बीजिंग में 33वें international

geographical congress भारत से 100 वैज्ञानिक हुए शामिल

Top 20 में तीसरे स्थान पर रहा भारत, USA को मिला चौथा स्थान

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: दुनिया में एक बार फिर भारत की धमक देखने को मिली है। वह भी उस देश की धरती पर जहां से हमारे देश की दुश्मनी जगजाहिर है। हमेशा ही भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले चीन ने भारतीय वैज्ञानिकों का लोहा माना है। चीन में 33वें इंटरनेशनल ज्योग्राफिकल कांग्रेस में भारत से बड़ी संख्या में भू वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग करके दुनिया को चौंका दिया। इसमें पूरब का आक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एक प्रोफेसर ने भी पार्टिसिपेट किया। इसमें भारतीयों की शानदार प्रजेंटेशन की विश्व के बाकी देशों ने भी मुक्त कंठ से प्रशंसा की।

भू वैज्ञानिकों का मक्का

33वें इंटरनेशनल ज्योग्राफिकल कांग्रेस का आयोजन चीन के बीजिंग शहर में किया गया था। यह कार्यक्रम बीते 21 से 25 अगस्त के बीच आयोजित किया गया। इसमें प्रतिभाग करके लौटे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में ज्योग्राफी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर ए। आर। सिद्दीकी ने बताया कि यह आयोजन दुनियाभर में भू वैज्ञानिकों के लिए विख्यात इंटरनेशनल ज्योग्राफिल यूनियन की ओर से किया गया था। इस यूनियन को भू वैज्ञानिकों का मक्का भी कहा जाता है। जिसमें अलग अलग देशों से आए एक्सपर्ट्स अपने अहम सुझाव साझा करते हैं। बाद में ये सुझाव अंतराष्ट्रीय संघों द्वारा देश दुनिया की बेहतरी के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। जिससे विकाससील देश तकनीक का गहन इस्तेमाल करके विकसित देशों की बराबरी कर सकें। इसमें कुल 99 देशों ने सहभागिता की है।

भारत से ऊपर चीन और जापान

प्रोफेसर ए। आर। सिद्दीकी ने बताया कि भारत के लिए यह आयोजन कितना महत्वपूर्ण रहा, यह बात इसी से समझी जा सकती है कि इसमें चीन और जापान के बाद पार्टिसिपेशन के लिहाज से भारत टॉप टवेंटी में तीसरे नम्बर पर रहा। जिसमें भारत के 100 विद्वानों ने भाग लिया। जबकि पाकिस्तान से केवल दो ही लोग इसमें पार्टिसिपेट कर पाए। यही नहीं अधिकाधिक विद्वानों के प्रतिभाग करने के मामले में यूएसए भी भारत के बाद चौथे स्थान पर ही रहा। यूएसए से 99 लोग ही कार्यक्रम में शामिल हो पाए। प्रत्येक चार वर्ष के अन्तराल में होने वाला इस आयोजन में कुल पांच हजार रजिस्ट्रेशन हुए थे। इस पांच दिवसीय आयोजन में कुल 2600 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम का लोगो शेपिंग आवर हार्मोनियस था। भारत में एक बार यह आयोजन वर्ष 1963 में हुआ था।

संभावित खतरों से किया आगाह

प्रोग्राम में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ए। आर। सिद्दीकी ने भी रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया। जिसका टॉपिक असेसमेंट ऑफ रिस्क ऑफ इंनडेंजरिंग एनवायरमेंटल सस्टेनिबिलिटी इन ए फ्रजाइल इको सिस्टम ए केस स्टडी ऑफ इंडियन एरिड लैंड था। इसमें उन्होंने राजस्थान के नगौर जिले में बढ़ते हुए मरुस्थलीकरण के खतरे एवं सम्पोषणीयता और सतत विकास के विभिन्न आयाम के निराकरण व सुझाव की बात की। उन्होंने दूर संवेदन तकनीकी और उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर विश्व के दुर्लभ और संवेदनशील क्षेत्रों के मानचित्रण करने और आने वाले खतरों का आंकलन किया तथा रहने वाली जनसंख्या के विकास के बारे में भी बात की।

टॉप 20 कंट्रीज के पार्टिसिपेंट्स

1. चीन- 2236

2. जापान- 122

3. इंडिया- 100

4. युनाइटेड स्टेट- 99

5. रसिया- 84

6. युनाइटेड किंगडम- 56

7. जर्मनी- 49

8. हांगकांग- 34

9. साउथ कोरिया- 32

10. आस्ट्रेलिया- 29

11. पोलैंड- 25

12. स्पेन- 25

13. कनाडा- 24

14. मंगोलिया- 24

15. फ्रांस- 23

16. ईरान- 22

17. साउथ अफ्रीका- 22

18. सिंगापुर- 21

19. ब्राजील- 20

20. रोमानिया- 20