17 दिसम्बर 1903 को पहली बार जब व्हाइट ब्रदर्स ने उडने वाली मशीन बनाई तो इंसान ने सोंचा भी नहीं होगा कि यह उड़ान इतनी ऊंची होगी कि इंसान चाद पर टहल आएगा और स्पेस में अच्छा खासा घर बना लेगा. हवाई जहाज से मिसाइल, मिसाइल से स्पेस क्राफ्ट और स्पेस क्राफ्ट से स्पेस स्टेशन तक के इस सफर में इंसान ने वह कर दिखाया जो कभी ख्वाबों में भी नहीं सोचा जा सकता था.  मगर रशियन आफीशिअल्स की माने तो यह घर बहुत जल्द ही टूटने वाला है. स्पेश मिशन में नासा के साथ काम कर रही अन्ना वेदिश्चेवा ने एक प्रेस एजेन्सी से कहा है कि 2020 तक इस स्पेस स्टेशन को समुद्र में सुरक्षित तरीके से गिरा दिया जायेगा.

The partners have agreed to continue the ISS operation until 2020. The partners will also approve an extended period of the ISS.....The only way to dispose of the station is to sink it," Vedishcheva said, a necessary evil required "to avoid the appearance of a large amount of space debris in orbit."

उनके इस बयान के बाद सारी दुनिया में हड़कम्प मच गया. दरअसल स्पेस स्टेशन पर चल रहा काम अभी खत्म भी नहीं हो पाया है और माना जा रहा है कि यह 2028 तक यूज में लाया जायेगा. मगर रूसी अधिकारी के इस बयान से अमेरिका भड़क गया है क्यूंकि उसने इसके लिये लगभग 100 बिलियन डालर्स खर्च किये हैं.

नासा ने फिलहाल इसपर कोई आफीशिअल बयान नहीं दिया है मगर फाक्स न्यूज के हवाले से नासा के एक अधिकारी का कहना है कि रूस इस तरह के बयान पहले भी देता रहा है और उसका यह बयान भी गैरजिम्मेदाराना है. अभी तक स्पेस स्टेशन को खत्म करने के लिये कोई डेडलाइन तय नहीं की गई है. अधिकारी की मानें तो भविष्य में स्पेस स्टेशन को समुद्र में डुबाया जा सकता है मगर यह बहुत बाद की बात है.

All the Russians are saying is that when the time comes to shut the station down -- whenever that is -- it will have to be brought from orbit in a planned 'crash' so there’s no space junk left behind or debris that falls in populated areas.”- Bill Nelson, U.S. Senator, former astronaut and a congressional expert on NASA.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन लो अर्थ आर्बिट में स्थित है और यह अब तक का सबसे बड़ा स्पेस स्टेशन है. इसका कंस्ट्रक्सन 1998 में शुरू हुआ था और माना जा रहा है कि यह 2012 में पूरा होगा. इसमें मुख्य रूप से National Aeronautics and Space Administration, Russian Federal Space Agency, Japan Aerospace Exploration Agency, Canadian Space Agency (CSA) और European Space Agency (ESA) के अलावा कई और देश अपनी टेक्नालाजी और रिसोर्सेज यूज कर रहे हैं.

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