चीन के शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि छात्रों को चीनी अक्षर सिखाने के लिए उन्हें हर हफ़्ते कक्षाएं लेनी होगीं और बड़े छात्रों को स्कूली क्रियाकलाप के बाद इसकी वैकल्पिक शिक्षा दी जाएगी। स्कूल का नया सत्र के शुरु होने के बाद, सुलेखन की कक्षाएं इसी हफ़्ते से शुरु हो जाएगीं।

चीन में स्कूली छात्रों के बीच मोबाइल और इंटरनेट के ज़रिए संदेश के आदान-प्रदान से बच्चों की लिखने की आदत प्रभावित हो रही है। चीनी शिक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर लगे नोटिस के अनुसार, तकनीक में हुए विकास, मोबाइल और इंटरनेट के बढ़ते प्रचलन ने छात्रों की चीनी अक्षरों के लिखने की क्षमता को कमज़ोर किया है।

इस नोटिस में कहा गया है कि छात्रों को सही लेखन की आदत और लिखने के लिए ब्रश को किस तरह से इस्तेमाल किया जाना चाहिए, इसका भी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। चीन में सुंदर लेखन को 'शुफ़ा' कहा जाता है जिसका मतलब है लिखने का एक तरीका या नियम।

तकनीक बनी ख़तरा

शिक्षकों का कहना है कि चीनी भाषा में ब्रश या पैन से लिखे गए हर चिन्ह या बिंदू का भी मतलब होता है इसीलिए हर अक्षर को सही क्रम में लिखना ज़रुरी है। लेकिन तकनीक अब इसके लिए ख़तरा बन रही है।

कंप्यूटर पर जब कोई लिखता है तो उसे लिखने वाला व्यक्ति उस अक्षर को समझने में कम समय लगाता है जिससे ग़लतियां भी हो जाती है। दूसरे देशों की तरह चीन में भी भाषा इस डिजीटल युग में विकसित हुई है।

इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोग अक्सर किसी भी चीनी कहावत को अंकों, चिन्हों और अंग्रेज़ी भाषा में लिख देते हैं। चीन में इंटरनेट पर सेंसर लगा हुआ है इसलिए कई बार ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है जिसके दोहरे मतलब होते है, ऐसे में जो सही अर्थ होता है वह छिप जाता है।

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