व्यक्तिगत व सामुदायिक विशेषाधिकार
इस विजन प्लान में 12 विशेषाधिकारों को जगह मिली है। इनमें से छह व्यक्तिगत व छह सामुदायिक हैं। अगर व्यक्तिगत की बात करें तो हर एक को शुद्ध जल, शुद्ध हवा की आवश्यकता है। हर एक को पौष्टिक खाना व अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। वहीं गुड गवर्नेंस, परिवहन व सुरक्षा आदि सामुदायिक विशेषाधिकार में आते हैं। इन्हें पाने के लिए हम एक निश्चित योजना के अनुसार आगे बढ़ सकते हैं। जिसके लिए तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए। इसका ब्यौरा भी इस विजन प्लान में है।
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आने वाला कल

अगर हम लिटरेसी की बात करें। तो 100 प्रतिशत साक्षरता के साथ उस वक्त तक हर व्यक्ति डिवाइसेज जैसे कि स्मार्टफोन, टैबलेट आदि का उपयोग कर सके ऐसा विचार है। अगर कहीं जाना है तो घर से एक मील के भीतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा मिल सके। दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को एक घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचाया जा सके। इसी तरह कहीं से भी जिला मुख्यालय तक पहुंचने में तीन घंटे से अधिक समय न लगे। कहीं से भी राज्य की राजधानी तक अधिकतम 5 घंटे व राष्ट्रीय राजधानी तक 8 घंटे में पहुंचा जा सके। प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हो। इतना ही नहीं स्पेशलिस्ट व सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की सलाह उनकी पहुंच के भीतर हो। प्रत्येक जिले में मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के अलावा एयर एंबुलेंस व ट्रामा केयर सेंटर की सुविधा उपलब्ध हो सके।

साल 2013 में जहां भारत की करीब 40 परसेंट आबादी बिना बिजली के रह रही थी। ऐसे में 2035 तक देश के हर एक घर और हर एक नागरिक तक 24 घंटे सस्ती बिजली पहुंचाने के लिए ये टेक्नोकलॉजी विजन पारंपरिक एनर्जी सोर्स यानि कोयले, तेल और गैस पर देश की निर्भरता खत्म कर देगा। आज देश के नागरिक तमाम आधारभूत सेवाओं यानि इन्फ्रा स्ट्रघक्चर बेस्ड  सर्विसेज के लिए जितनी परेशानी मोल लेते हैं। साल 2035 में वही नागरिक हाईटेक और ऑटोमेटिक सिस्टजम के साथ वही सेवाएं आसानी से पा सकेगा। इंटीग्रेटेड रोड, रेलवे और एयर ट्रैफिक सिस्ट्म बनाना इस टेक विजन का बहुत ही महत्वकपूर्ण है।
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इसके अलावा चुनावी प्रक्रिया को भी बेहतर बनाने का विजन है। कोई भी मतदाता कहीं से भी मतदान कर सके। इतना ही नहीं मतदान प्रक्रिया को फुलप्रूफ बनाने का विचार है। जिससे कि चुनाव संबंधी गड़बड़ी की गुंजाइश न के बराबर रह जाए। इतना ही नहीं सभी नागरिकों की डिजिटल पहचान हो साथ ही वह स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार व सेवाओं से जुड़ी हो। आपराधिक मामलों की तेज व त्रुटिहीन जांच कैसे हो सके इसका भी जिक्र है।

बड़ी चुनौतियां

इस विजन में 10 सबसे बड़ी चुनौतियों को भी आइडेंटिफाई किया गया है। इनमें भी मदर चाइल्ड अनीमिया सबसे बड़ी चुनौती है। यह समस्या लंबे समय से चली आ रही है। इसका परिणाम आने वाली पीढ़ियों को झेलना पड़ता है। जिसका असर राष्ट्र की उत्पादकता पर पड़ता है। लक्ष्य यही है कि आने वाले समय में कोई भी भारतीय कुपोषण का शिकार नहीं रहेगा। कोई भी भारतीय महिला व बच्चा पौष्टिक भोजन के अभाव में अनीमिया का शिकार नहीं होगा। वहीं अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत गैर परंपरागत स्त्रोतों से हासिल करना भी बड़ी चुनौती है। क्लीन एनर्जी के इस लक्ष्य को पाने के लिए कठिन प्रयास करना होगा। बाकी चुनौतियों में पानी की गुणवत्ता व पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करना शामिल है। अगर शिक्षा की बात करें तो उसे लर्नर सेंट्रक, होलिस्टिक व लैंग्वेज न्यूट्रल बनाना चुनौती है। कोई व्यक्ति किसी भी भाषा में सीखना चाहे तो भी उसे बेस्ट क्वालिटी एजूकेशन मिले। वहीं यूनिवर्सल इको फ्रेंडली वेस्ट मैनेजमेंट की भी चुनौती है। कचरा प्रबंधन हमारे शहरों के लिए बड़ी समस्या बनकर उभरा है। लेह व तवांग तक रेल सेवाओं को पहुंचाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है।
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तकनीक
अगर हम इस विजन को हकीकत में बदलने के लिए आवश्यक तकनीक की बात करें तो उसे भी इस रिपोर्ट में जगह दी गई है। तकनीक को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। कई सारी तकनीक बाहर विकसित की गई व आसानी से उपलब्ध है। जिसका उपयोग हम कर सकते हैं। वहीं रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तकनीक को स्वयं विकसित करना जरूरी है। उदाहरण के लिए अगर न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी व स्पेस टेक्नोलॉजी हम देश में विकसित नहीं करते तो बाहर के जो देश आज हमसे इन क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं नहीं करते। वहीं भारत के ग्रामीण इलाकों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रोडक्ट बनाना भारतीयों के लिए आसान होगा। उससे जुड़ी तकनीक यहीं विकसित करनी होगी। इसलिए जहां तक तकनीक का प्रश्न है उसमें संतुलन होना चाहिए। ऐसा नहीं है कि हर एक चीज हम ही बनाएंगे लेकिन रणनीतिक रूप से जरूरी व भारतीय आवश्यकताओं को ध्यान रखकर बनी तकनीक का विकास करना होगा।
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Interview by Chandramohan Mishra
chandramohan.mishra@inext.co.in

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