लेकिन गुलज़ार को उनकी बेटी मेघना गुलज़ार के नज़रिए से भी जानना एक दिलचस्प अनुभव रहा।

बीबीसी से ख़ास बातचीत में मेघना ने गुलज़ार के शख़्सियत के उस पहलू को बांटा जिससे ज़्यादा लोग वाकिफ़ नहीं है। एक पिता के तौर पर कैसे हैं गुलज़ार?

बहुत संवेदनशील हैं पापा

गुलज़ार अपनी बेटी मेघना को प्यार से 'बोस्की' बुलाते हैं। बोस्की का मतलब होता है 'नरम'।

जब हमने 'बोस्की' से उनके पिता गुलज़ार साहब के बारे में पूछा तो वो बोलीं," पापा बहुत ही संवेदनशील इंसान हैं, उनकी नज़ाकत, उनकी नरमी उनके हर काम में झलकती है। उनके गीतों में वही नरमी गुनगुनाती है।"

गुलज़ार-राखी के तलाक़ पर बोस्की का इंटरव्यू

वो आगे कहती हैं, " एक पिता के तौर पर वो बिल्कुल अपने स्वभाव की ही तरह नरम हैं और अब मैं जब उन्हें अपने बेटे के साथ देखती हूं तो मुझे साफ़ दिखता है कि वो बचपन में मेरे साथ कैसे रहे होंगे।"

गुलज़ार फ़िल्मकार विशाल भारद्वाज के बेहद क़रीब हैं। दोनों के बारे में उन्होंने कहा, "देखिये जब दो रचनात्मक लोग मिलते हैं और जब वो दोनों एक दुसरे के सुर में बंध जाते हैं, फिर उन दोनों के बीच का वो रिश्ता नहीं बिगड़ता।"

"ऐसा ही रिश्ता है पापा और विशाल के बीच। वो दोनों एक दूसरे की बहुत इज़्ज़त करते हैं, काम की बहुत इज़्ज़त करते हैं। जो सबसे अच्छी बात हुई है वो ये कि समय के साथ ये रिश्ता पारिवारिक बन गया है।"

राखी के साथ गुलज़ार का रिश्ता

फ़िल्मकार गुलज़ार ने 60 और 70 के दशक की मशहूर अभिनेत्री राखी से शादी की थी। लेकिन दोनों के बीच में जल्द ही मतभेद हो गए.और फिर दोनों अलग-अलग रहने लगे।

क्या दोनों को अकेलापन महसूस नहीं होता।

मेघना से जब इस बारे में पूछा गया तो वो बोलीं, "अच्छा ही हुआ दोनों अलग हो गए। क्योंकि मतभेद होने के बावजूद साथ रहने से अच्छा है सुकून के साथ अलग-अलग रहना। दोनों ने अपने एकाकीपन को काम से भर लिया है।"

कभी नहीं बदलना चाहा पापा को

गुलज़ार हर एक कार्यक्रम में सफ़ेद कुरता पायजामा पहने नज़र आते हैं। तो क्या कभी मेघना ने उन्हें बदलने की कोशिश की या कुछ रंगीन कपडे पहनने को कहा?

इस पर मेघना ने कहा, "मुझे कभी लगा नहीं कि ये बदलना चाहिए। जब हम एक दफ़े न्यूयॉर्क गए थे तो वहां मैंने पापा को एक ब्लू या ग्रे विंटर कोट खरीदकर दिया था। इसके अलावा मैंने कभी भी उन्हें रंगीन कपड़ों में नहीं देखा। मेरी शादी पर भी उन्होनें ऑफ वाइट रंग का कुरता पहना था।"

गुलज़ार-राखी के तलाक़ पर बोस्की का इंटरव्यू

टेनिस के दीवाने

गुलज़ार को टेनिस खेलने का भी काफ़ी शौक है। तो क्या अब भी वो टेनिस खेलते हैं?

मेघना बताती हैं, "बिल्कुल! वो अब भी टेनिस खेलते हैं और अपने दोस्तों को हरा कर आते हैं। घर आकर अपनी जीत का बखान करते नहीं थकते। वो यही कहते हैं कि अभी तो मेरे खेलने के दिन हैं।"

गुलज़ार को प्रतिष्ठित दादा साहब फालके पुरस्कार से नवाज़ा गया है। 'आंधी', 'मौसम', 'मेरे अपने', 'कोशिश', 'खुशबू', 'अंगूर', 'लिबास' और 'माचिस' जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके 78 साल के गुलजार ये सम्मान पाने वाले 45वें व्यक्ति हैं।

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