- जलकल विभाग के पास मौजूद भवनों के आंकड़ों में भारी गड़बड़ी, -लापरवाही से नहीं दर्ज हो पाए हजारों मकान

- पब्लिक की सहूलियत के लिए प्रस्तावित इंटीग्रेटेड बिलिंग सिस्टम में रिकार्ड मिसमैच होने से आई बाधा

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VARANASI

नगर निगम की ओर से शुरू किए जाने वाले इंटीग्रेटेड बिलिंग सिस्टम (एकीकृत बिलिंग प्रणाली) में भवनों और वाटर कनेक्शन का आंकड़ा मिसमैच होने से बाधा आ रही है। दरअसल, शहर में 35 हजार ऐसे भवन हैं, जिनका डेटा जलकल डिपार्टमेंट के पास उपलब्ध नहीं है। जबकि नगर निगम में इनका पूरा रिकार्ड है। समीक्षा में जब जलकल की लापरवाही सामने आई तो अफसर आनन-फानन में इसे मेंटेन करने में जुट गए है।

डेटाबेस मेंटेन करने में लापरवाही

नगर निगम और जलकल में दर्ज भवनों के आंकड़ों में हेरफेर तब समझ में आया, जब नया बिलिंग सिस्टम लागू करने की बात आई। विभागीय लोगों की मानें तो जलकल विभाग डेटाबेस मेंटेन करने में लापरवाही बरतता है। डिपार्टमेंट ने जहां वाटर कनेक्शन दिया है उसका रिकार्ड मेंटेन है। बिना कनेक्शन वाले और मल्टीपल कनेक्शन लेने वाले घरों को रिकार्ड में दर्ज करने में लापरवाही बरती गई। इससे जलकल का रेवेन्यू भी घटा। पिछले काफी समय से जलकल की ओर से सर्वे न किए जाने से ऐसी स्थिति आई है।

पड़ी एक बिल की जरूरत

नगर निगम हाउस टैक्स का बिल जारी करता है। जबकि जलकल वाटर और सीवर टैक्स वसूलता है। दोनों विभागों के बिल अलग-अलग जारी होते हैं। इससे पब्लिक को टैक्स जमा करने के लिए दो जगहों पर जाना पड़ता है या फिर दोनों विभागों के टैक्स विभाग के कर्मचारी डोर-टू-डोर जाकर वसूली करते हैं। ऐसे में समय ज्यादा लगता है। पब्लिक की परेशानी को देखते हुए नगर आयुक्त डॉ। नितिन बंसल ने बिलों को एक साथ करने का फैसला लिया है। यह व्यवस्था मैनुअल के साथ ही ऑनलाइन भी शुरू की जाएगी।

अगस्त में लागू होना था सिस्टम

जून माह में नगर निगम और जलकल विभाग की बैठक में यह तय किया गया था कि अगस्त से इंटीग्रेटेड बिलिंग सिस्टम लागू हो जाएगा। आंकडों के मिलान में ही जुलाई बीत गया। इस हफ्ते जब नगर आयुक्त ने प्रगति की समीक्षा की तो भवनों के मिसमैच होने की बात सामने आई। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन डेटा को तत्काल अपडेट करें, ताकि सिस्टम को लागू होने से पब्लिक को सुि1वधा का लाभ मिल सके।

हाईलाइटर

- जलकल डिपार्टमेंट जल कर व सीवर टैक्स वसूलता है।

- बिना वाटर कनेक्शन लिए भवन स्वामियों को भी जलमूल्य व सीवर टैक्स देना पड़ता है।

- इंटीग्रेटेड बिलिंग सिस्टम में सभी टैक्स का एक ही बिल जेनरेट होगा।

- इसमें हाउस, वाटर व सीवर टैक्स का पूरा विवरण रहेगा।

- इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्लान (आईडीपी) के सहयोग से इसका अलग सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है।

- सॉफ्टवेयर में नगर निगम व जलकल का टैक्स संबंधी पूरा डेटाबेस रहेगा।

- एक बिल होने से जलकल का रेवेन्यू भी बढ़ जाएगा।

एक नजर

- 1.91 लाख भवन हैं शहर में

- 1.56 लाख वाटर कनेक्शन

- 23 हजार कामर्शियल भवन निगम के रिकार्ड में

- 6 हजार कामर्शियल भवन जलकल के रिकॉर्ड में

- 35 करोड़ मिलता है वाटर व सीवर टैक्स हर साल

- करीब 38 करोड़ लगभग मिलता है हाउस टैक्स प्रति वर्ष

भवनों का रिकार्ड मिसमैच होना लापरवाही है। जलकल के अफसरों को डेटाबेस मेंटेन करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। अगर निर्धारित समय में ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।

डॉ। नितिन बंसल, नगर आयुक्त

नगर निगम में दर्ज भवनों के हिसाब से जलकल अपने स्तर से सत्यापन करवा रहा है। निर्धारित अवधि में डेटाबेस मेंटेन करने का प्रयास किया जा रहा है।

बीके सिंह, महाप्रबंधक, जलकल