केस नंबर:1
भीख मांगता मिला बच्चा
20 दिसंबर को नौचंदी थाना क्षेत्र का बच्चा दो माह से घर से गायब था। कुछ दिन बाद वह चौराहे पर भीख मांगता मिला था। पूछने पर उसने बताया था कि कुछ लोग जबरन उसे भीख मांगने के लिए मारते पीटते हैं।
केस नंबर:2
भीख नहीं मांगी तो पीटा
नवंबर 2015 को पांडवनगर निसासी छह वर्षीय रिंकू अचानक घर से गायब हो गया था। एक माह बाद वह रुड़की के सरकारी अस्पताल में घायल अवस्था में मिला था। पूछने पर उसने बताया कि उसे भीख मांगने के लिए प्रताडि़त किया जाता है। उसने मना किया तो बुरी तरह पीटकर सड़क पर फेंक दिया गया।
- बच्चों को नशा सुंघाकर मंगवाई जाती है भीख
- शहर के कई चौराहों पर चल रहा गोरखधंधा
sundar.singh@inext.co।
Meerut :शहर के चौराहों पर अक्सर बीमार बच्चा मां की गोद में बेसुध लेटा हुआ और मां उसके इलाज के लिए पैसों की गुहार लगाते हुए दिखती है। दरअसल ये बच्चे बीमार नहीं बल्कि नशे के कारण लाचार होते हैं। तेजगढ़ी चौराहा, जीरो माइल चौराहा, बेगमपुल, रेलवे रोड सहित मेरठ के दर्जनों स्थानों पर महिलाएं अपने या कहीं से लाए हुए एक वर्ष से दस वर्ष तक के बच्चों को सुलोचन या नशीली दवा सुंघाकर बेहोश कर देती है। इसके बाद इन बच्चों के इलाज के नाम पर भीख मांगा जाता है। कुछ एनजीओ से मिली जानकारी के अनुसार मेरठ में पिछले एक साल में भीख मांगने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
किया जाता है प्रताडि़त
आबूलेन पर भीख मांग रहे तुषार नामक बच्चे ने बताया कि वह मध्यप्रदेश के मुरैना का रहने वाला है। आर्थिक तंगी के चलते वह घर छोड़कर दिल्ली आ गया था। वहां से फिर दो युवक उसे मेरठ ले आए। शुरू में वह कोई नशा नहीं करता था, लेकिन दोनो युवक उसे जबरन भीख मांगने के लिए प्रताडि़त करते थे। साथ ही उसे पाउडर भी सुंघाया जाता जाता था। अब वह उस पाउडर का आदी हो गया है। उसे मजबूरी में भीख मांगनी पड़ती है।
मजबूर हैं हम
जीरो माइल चौराहे पर भीख मांगने वाली एक सात साल की लड़की ने बताया कि उसे ऐसा करने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्होने बताया कि यहां कुछ लोग हैं जो बच्चों को पैसे मांगने के लिए मारते-पीटते हैं।
घर ही सुरक्षित है
माई होम इंडिया के संस्थापक व महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सलाहकार बोर्ड में सदस्य सुनील देवधर ने बताया कि कई शहरों में बच्चे मानव तस्करी से या खुद भागकर आते हैं। उन्होने बताया कि संस्था के कार्यक्रम सपनों से अपनों तक के माध्यम से पिछले ढाई सालों में करीब 700 बच्चों को उनके घर भेजा गया है। बच्चों की काउंसलिंग के दौरान पाया गया कि बच्चे आर्थिक तंगी, नशा, किसी के कहने, अपने सपने पूरे करने के लिए घर से निकलते हैं और गलत हाथों में पड़ जाते है। उन्होंने कहा कि बच्चों का सही विकास उनके माता-पिता के पास ही हो सकता है। केंन्द्र सरकार इसके लिए गंभीर है और जल्द ही परिणाम देखने को मिलेंगे।
बढ़ा व्यापार
शहर में पिछले वर्ष की अपेक्षा नशे का कारोबार बढ़ा है। मेरठ पुलिस के अनुसार शहर में अवैध ड्रग्स की बरामदगी में 13 फीसदी और पोश्तदाना की बरामदगी में 38 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। नारकोटिक विंग के एक अधिकारी का कहना है कि उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में जमकर नशे का कारोबार होता है।
ऑफिशियल स्टैंड
शहर में चल रहे चाइल्ड होमों पर नजर रखी जा रही है। कहीं से भी कुछ संदिग्ध लगता है। तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- तेज स्वरूप, एसपी क्राइम, मेरठ
चाइल्ड टै्रफिकिंग रोकने के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले दिनो शास्त्री नगर स्थित होम से बच्चों को थोड़ी सूचना पर आजाद कराया गया था।
-अशोक शर्मा, प्रभारी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट
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चाइल्ड होम का बुराहाल
बच्चों के विकास के लिए बनाए गए चाइल्ड होम की स्थिति खराब है। यहां बच्चों को दी जाने वाली मेडिकल, काउंसिलिंग व अन्य सुविधाएं उस स्तर की नहीं है, जो होनी चाहिए।
चाइल्ड ट्रैफिकिंग कर बच्चों से भीख मंगवाने का हर बड़े शहरों में चल रहा है। अब इसकी आंच मेरठ तक भी पहुंच गई है। चाइल्ड होम भी बच्चों का सही पालन पोषण नहीं कर पा रहे हैं। जिसके चलते बच्चे नशे की जद में भी जा रहे हैं।
-अनीता राणा, अध्यक्ष चाइल्ड लाइन मेरठ प्रभारी
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यहां भीख मांगते हैं बच्चे
-मंदिर, मॉल्स के बाहर
-ट्रैफिक लाइट्स या चौराहों पर
-रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर
-विवाह समारोह के बाहर
-शहर के प्रमुख बाजारों में
-ऑटो रुकने की जगह पर