- डेढ़ साल में अब तक इंवेस्टर्स के साथ तीन बड़ी मीटिंग मगर ग्राउंड लेवल पर काम जीरो

- प्रदेश में इंवेस्टमेंट बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से किए गए थे बड़े-बड़े दावे

LUCKNOW: प्रदेश में डेढ़ साल में अब तक इंवेस्टर्स के साथ तीन बड़ी मीटिंग हो चुकी है। कागजों पर भी प्रदेश में इंवेस्टमेंट आने की तीन बार खुशियां मनायी जा चुकी हैं, लेकिन ग्राउंड लेवल पर प्रदेश में इंवेस्टर्स और इंवेस्टमेंट कहां-कहां आया, इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है।

शुरुआत हुई आगरा से

इंवेस्टर्स के साथ पहली बड़ी मीटिंग आगरा के होटल जेपी में आगरा पार्टनर्शिप समिट के नाम से पहला बड़ा इवेंट हुआ था। इसमें देश और विदेश के कई बड़े बिजनेसमैन शामिल हुए थे और प्रदेश में प्रोजेक्ट लगाने की बात कही थी। इसके कुछ ही दिन बाद लखनऊ के होटल ताज में इंवेस्टर्स मीट आयोजित की गयी और यहां भी प्रदेश में इंवेस्टमेंट लगाने के बड़े-बड़े दावे किये गये। लेकिन हकीकत इससे जुदा है। वहीं इंडस्ट्रियल सोर्सेस की मानें तो सीएम अखिलेश यादव के निर्देशों और उनके कम्प्लायंस के बीच एक बड़ा गैप है, जिसकी वजह से अब तक चीजें ग्राउण्ड लेवल पर नहीं आ सकी हैं।

वेस्ट यूपी में जोर, ईस्ट कंगाल

अधिकतर कंपनियां अपना बिजनेस वेस्ट यूपी में ही करना चाहती हैं। यूपी के बाकी हिस्सों में कंपनियों की दिलचस्पी काफी कम है। इसीलिए गवर्नमेंट ने वेस्ट यूपी के अलावा बाकी के हिस्सों में इंवेस्टमेंट पर कई तरह की रियायत दी है। ईस्टर्न यूपी के लिए पूंजी इंट्रेस्ट सब्सिडी स्कीम और सेंट्रल यूपी व बुन्देलखण्ड एरिया में इवेस्टमेंट के लिए औद्योगिक गुणवत्ता विकास सब्सिडी योजना और ढांचागत ब्याज सब्सिडी योजना पांच प्रतिशत की दर से पांच वर्ष के लिए सरकार ने लागू की गई। जबकि औद्योगिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रदेश सरकार ने बुन्देलखण्ड और मध्यांचल में एनआईएमजेड (नेशनल इंवेस्टमेंट एण्ड मैन्युफैक्चरिंग जोन) बनाये जा रहे हैं।

दावे बड़े-बड़े

बात आगरा समिट की हो या फिर दिल्ली में इंवेस्टर्स मीट की। दोनों ही जगह गवर्नमेंट की ओर से दावे बड़े-बड़े किये गये हैं। लेकिन हकीकत में काम किसी पर शुरू नहीं हो सका है। आगरा में ही डेढ़ साल पहले हुई समिट में दावा किया गया था कि गवर्नमेंट आगरा और लखनऊ के बीच ख्70 किलोमीटर लम्बे म् लेन के एक्सप्रेसवे का निर्माण प्रस्तावित है। डेढ़ साल में इस एक्सप्रेस वे का काम तक शुरू नहीं हो सका।

बताया तो यह भी गया कि

इसके अलावा यह भी बताया गया था कि एक्सपो‌र्ट्स को बढ़ावा देने के लिए आईटी पार्क, गारमेंट पार्क, डेवलपमेंट सेंटर, लेदर टेक्निक पार्क, आगरा में लेदर पार्क, टेक्सटाईल पार्क, फूड पार्क, मुरादाबाद एसईजेड, गाजियाबाद में ट्रोनिका सिटी, नेशनल इन्वेस्टमेन्ट और मैनुफैक्चरिंग जोन, प्लास्टिक सिटी, कानपुर में ट्रान्स गंगा हाईटेक सिटी, लखनऊ में आईटी सिटी और इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण के बारे में भी बताया गया था कि लेकिन अभी तक अधिकत स्कीम कागजों पर ही है।

फैक्ट्रियों को ख्ब् घंटे लाइट देने का भरोसा

पिछले दिनों दिल्ली में इंवेस्टर्स मीट से पहले चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन ने दावा किया था कि प्रदेश में अगर कंपनियां फैक्ट्रियां लगाती हैं तो उनके लिए गवर्नमेंट अलग फीडर से ख्ब् घंटे पावर सप्लाई मुहैय्या करायेगी।

प्रदेश सरकार करना तो बहुत कुछ चाहती है, लेकिन सही से चीजें लाइन अप नहीं हो पातीं। गवर्नमेंट की लेट-लतीफी के कारण स्कीम्सं डीले हो रही हैं। दिल्ली में इंवेस्टर्स मीट में जो भी एमओयू साइन हुए उस पर अगर टाइम लिमिट फिक्स कर काम हो तो प्रदेश में काफी इंवेस्टमेंट आ सकते हैं।

- जयंत कृष्णा

नार्थ जोन हेड, टीसीएस।