RANCHI: चाइल्ड वेलफेयर कमिटी(सीडब्ल्यूसी) के कुछ मेंबर्स द्वारा चंद पैसे के लालच में बगैर कमिटी की सहमति बच्चा बेचे जाने के मामले में स्पेशल ब्रांच ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें कहा गया है कि सीडब्ल्यूसी के मेंबरों ने 55 वर्षीय अधेड़ को बच्चा दे दिया था। जबकि इस बच्चे के गलत तरीके से एडॉप्शन की कंप्लेन करूणा आश्रम की संचालिका द्वारा सीडब्ल्यूसी से की गई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बच्चे को उक्त बुजुर्ग व्यवसायी के हवाले करने में सीडब्ल्यूसी के तीन मेंबर्स की बड़ी भूमिका थी, लेकिन रजिस्टर में सिग्नेचर एक ही मेंबर ने किया था। स्पेशल ब्रांच ने डीसीपीओ सेवक राम लोहरा, मेंबर श्रीकांत की भी संलिप्तता दर्शाई है। साथ ही कहा है कि इन मेंबरों की कार्यप्रणाली की भी जांच होनी चाहिए। हो सके तो उन्हें पद से हटाया जाए, ताकि जांच में बाधा उत्पन्न न हो सके। जानकारी के मुताबिक, वाकया वर्ष 2017 का है।

फर्जी डॉक्यूमेंट देकर लिया था बच्चा

उक्त 55 साल के व्यवसायी ने फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर बच्चा लिया था। उसने शपथ पत्र में बताया था कि वह नि:संतान है। उम्र भी 26 साल ही बताई थी। वह एक बच्ची को गोद लेना चाहता था। करूणा आश्रम की ओर से उसे प्रेम नामक एक बच्चे को गोद दे दिया गया। बाद में उसके पड़ोसी ने सीडब्ल्यूसी को बताया कि जिस बच्चे को आपलोगों ने गोद दिया है। उसके साथ मारपीट हो रही है। इस सूचना पर कमिटी एक्टिव हुई और बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया। इसके बाद उसे सहयोग विलेज में रखने के लिए भेज दिया गया था। सहयोग विलेज में रखने के बाद भी व्यवसायी ने कुछ मेंबर्स को अपने साथ मिला लिया था और उनके सहयोग से बच्चा व्यवसायी को दे दिया गया। पर, इस मामले में किसी मेंबर ने अपनी सहमति नहीं जताई थी।

दर्ज नहीं हुई थी प्राथमिकी

इस मामले की जांच के लिए कारा विभाग से अधिकारी भी आए थे, लेकिन इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी। जबकि इस संबंध में समेकित बाल संरक्षण स्कीम के पदाधिकारी राजेश सिंह ने दंपत्ति पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था।

गुमला की बच्ची ने जना था बच्चा

बताया जाता है कि प्रेम गुमला की एक नाबालिग युवती का बच्चा था। युवती किसी युवक से प्रेम करती थी और इस बीच दोनों में शारीरिक संबंध बने। इसके बाद नाबालिग गर्भवती हो गई और उसका प्रेमी उसे छोड़कर फरार हो गया। बच्चे को जन्म देने के बाद वह महिला हेल्पलाइन गई, लेकिन वहां उसके बच्चे को बेचने की कोशिश की जाने लगी। तब वह विधायक सीपी सिंह के पास पहुंची थी। सीपी सिंह ने उसे बाल कल्याण समिति को सौंपा था। युवती रांची में रहकर पढ़ाई करती थी और काम भी करती थी। पेपर में खबर पब्लिश होने के बाद उसे करूणा आश्रम में रखवा दिया गया था।