छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : टाटा स्टील भारत एवं दक्षिण पूर्व एशिया के एमडी टीवी नरेंद्रन ने कहा कि मोमेंटम झारखंड से जमशेदपुर में भी इंवेस्टमेंट बढ़ेगा। एक कंपनी के तौर पर भी हम इस पहल से काफी खुश हैं। झारखंड में दूसरी कंपनियों के आने से रोजगार भी बढ़ेगा। नरेंद्रन शनिवार को सेंटर फॉर एक्सीलेंस में टाटा स्टील लिमिटेड के वित्तीय वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही के परिणाम साझा करने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। कहा कि राजबाला वर्मा और सुनील वर्णवाल झारखंड मोमेंटम के बाद भी दूसरे राज्यों का दौरा कर रहे हैं और एमओयू को धरातल पर उतारने की कोशिश में हैं। झारखंड में कोल- आयरन की माइंस हैं। स्टील बनता है। ट्रक भी बन रहे हैं। इस विरासत को अब और आगे ले जाने की जरूरत है। झारखंड में ऑटो इंडस्ट्री के लिए अपार संभावनाएं हैं। भारत में स्टील इंडस्ट्री के भविष्य पर कहा कि केंद्र का अभी पूरा फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर है। यह भारतीय स्टील इंडस्ट्री के लिए अच्छा है। उम्मीद करते हैं कि अगले कुछ सालों में पांच से सात फीसद स्टील खपत देश में बढ़ेगी। अभी 60 से 70 फीसद स्टील की खपत देश में हो रही है।

विस्तारीकरण को बनेगा मास्टर प्लान

टीवी नरेंद्रन ने कहा कि विस्तारीकरण के लिए मास्टर प्लान बनाना होगा। फिलहाल जमशेदपुर प्लांट को एक मिलियन टन बढ़ाने के लिए सरकार ने पर्यावरण क्लीयरेंस दिया है। 9.7 मिलियन टन की संरचनाओं के जरिए ही एक मिलियन टन की वृद्धि करेंगे। इसमें अभी 2 से 3 साल लगेंगे। केपीओ में जुलाई 2018 तक तीन मिलियन टन उत्पादन शुरू किया जाएगा।

उत्पादकता में टाटा स्टील पीछे

टीवी नरेंद्रन ने कहा कि उत्पादकता के मामले में टाटा स्टील का जमशेदपुर प्लांट अभी भी काफी पीछे है। कंपनी को सुरक्षित रखने के लिए उत्पादकता को बढ़ाना बहुत जरूरी है। जमशेदपुर में कई ऐसे प्लांट हैं जिनकी उत्पादकता टाटा स्टील से ज्यादा है। कलिंगनगर जब आठ मिलियन टन स्टील बनाएगा तक उसकी उत्पादकता 2000 होगी। जमशेदपुर में 10 मिलियन टन स्टील बन रहा है मगर उत्पादकता मात्र 700 है जोकि दूसरी स्टील इंडस्ट्री की तुलना में काफी कम है। जिंदल स्टील की उत्पादकता 1500 और पोस्को की 20500 है। टाटा स्टील में 36 हजार कर्मचारी मिलकर कुल 13 मिलियन टन स्टील बना रहे हैं। कंपनी बढ़ेगी तो शहर और कर्मचारियों का विकास अपने आप होगा।