MATHURA (21 Dec.): सूबे में सुरक्षा के लिहाज से सबसे पहले वृंदावन परिक्रमा मार्ग में बोलने और सुनने वाले आईपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल) वाले 52 सीसीटीवी सिस्टम लगाए गए हैं। इस तकनीक के जरिए ट्रैफिक कंटोल से लेकर आपराधियों पर शिकंजा कसने में पूरी तरह से मदद मिलेगी। इस तकनीक के लिए वृंदावन कोतवाली में सब कंट्रोल और मथुरा में कंट्रोल रूम बनाया गया है। तकनीक की इस व्यवस्था पर करीब 60 लाख रुपये खर्च हुए हैं। आईपी कैमरों के जरिए ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन पर गाड़ी का ऑनलाइन चालान हो सकेगा। घटना कर भागने वाली गाड़ी को पकड़ने में आसानी होगी। अगर प्रशासन चाहेगा तो अगले चरण में आईपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल) सीसीटीवी सिस्टम मथुरा में लग सकते हैं। अब तक यूपी के सभी जिलों में महज गूंगे और बहरे सीसीटीवी लगे हुए हैं। लेकिन प्रदेश सरकार की पहल पर विकास प्राधिकरण ने वृंदावन में सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने का खाका दो माह पहले तैयार किया। दिल्ली की सिनर्जी सेलीमेटिक प्रा.लि। से करार किया। एसएसपी डॉ.राकेश सिंह व कंपनी के निदेशक राजीव कुमार ने सोमवार को बताया कि वृंदावन परिक्रमा मार्ग, वहां के प्रमुख चौराहा व तिराहों पर स्थित पोल पर कुल 52 आईपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल) सीसीटीवी सिस्टम लगाए गए हैं। ये कैमरे 360 डिग्री तक घूमते हैं और 750 मीटर दूर तक कवरेज करते हैं। एक पोल पर कम से कम एक और अधिकतम पांच कैमरे तक लगाए गए हैं। इन सभी को रेडियो वायरलेस के जरिए कनेक्ट किया गया है। इनके साथ में आईपी बेस्ड पीए (पब्लिक एड्रेस) सिस्टम लगाए गए हैं। इस तकनीक के जरिए कोई भी अधिकृत अधिकारी अपने मोबाइल से मौके का विजुअल देख सकेगा और नियंत्रण के लिहाज से किसी भी संदेश, आदेश, निर्देश की घोषणा कर सकेगा। दोहरी मॉनीट¨रग करने के लिए मथुरा कंट्रोल रूम में बड़ा वॉल लगाया जा रहा है। इसके लिए गलत स्थान पर पार्किंग करने व ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर गाड़ी का फोटो के आधार पर ऑनलाइन चालान हो सकेगा।

वृंदावन के प्रवेश मार्गों पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉगनीशन सिस्टम लगाए गए हैं। इसके जरिए प्रवेश करने वाली गाड़ी का नंबर दर्ज हो जाएगा। साथ ही घटना कर भागने वाली गाड़ी का नंबर सॉफ्टवेयर में ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। जिसके जरिए उक्त गाड़ी अगर कैमरों के दायरे में आती है तो कंट्रोल रूम और मौके पर स्वत: ही हूंटर बजने लगेगा। इसके अलावा जीपीएस को एक्टीवेट कराया जा रहा है, ताकि गूगल के जरिए वाहनों की लोकेशन को आसानी से ट्रेस किया जा सके। कंट्रोल रूम पर कॉल रिकॉर्डिंग की व्यवस्था और परेशान करने वाली कॉल को ब्लैक लिस्ट में डालने की व्यवस्था की गई।