समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ न्यायालय ने मुद्गल समिति से पूछा है कि क्या वह एन श्रीनिवासन और सीनियर खिलाड़ियों के ख़िलाफ़ जाँच करने के लिए तैयार है. न्यायालय ने समिति को दो बजे तक अपना जवाब देने को कहा है.

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर मुद्गल समिति इस जाँच के लिए तैयार होती है तो उसे जाँच एजेंसियों की तरफ से पूरा सहयोग मिलेगा.

बीसीसीआई कार्य समिति की रविवार को मुंबई में एक आपात बैठक हुई थी जिसमें तीन सदस्यीय एक कमेटी बनाने का फ़ैसला किया था.

समिति में भारत के पूर्व कप्तान और कमेंटेटर रवि शास्त्री, कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व चीफ़ जस्टिस जे एन पटेल और सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर आरके राघवन को शामिल किया गया था. हालांकि बोर्ड ने आधिकारिक तौर पर इस कमेटी का ऐलान नहीं किया था.

आईपीएल के पिछले संस्करण में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाज़ी के आरोपों की जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में मुद्गल समिति का गठन किया था.

इस समिति ने इस साल फ़रवरी में अपनी रिपोर्ट पेश की थी. समिति ने साथ ही अदालत को एक सीलबंद लिफाफा भी सौंपा था जिसमें 13 लोगों के नाम थे. समिति ने रिपोर्ट में कहा था कि इन लोगों की व्यापक जाँच किए जाने की ज़रूरत है.

सीलबंद लिफाफा

सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज किया बीसीसीआई का पैनल

सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल को कहा था कि सीलबंद लिफाफे में श्रीनिवासन का नाम भी है. अदालत ने तब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से कहा था कि मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए वह कोई ठोस प्रस्ताव लेकर आए.

इस मामले में याचिकाकर्ता क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बिहार (सीएबी) के आदित्य वर्मा ने कहा कि उन्हें सीबीआई और एनआईए जांच से कम कुछ भी मंजूर नहीं है.

उन्होंने कहा, "अगर मुद्गल समिति इस मामले की आगे की जाँच के लिए तैयार होती है और उसे कुछ अधिकार दिए जाते हैं तो हम इस जाँच के लिए तैयार हैं."

मुद्गल समिति की तरफ से गोपाल सुब्रमण्यम अदालत में पेश हुए और उन्होंने समिति के समक्ष राघवन की गवाही के बारे में विस्तार के कोर्ट को बताया.

उन्होंने कहा कि राघवन ने मुद्गल समिति से कहा था कि वह श्रीनिवासन के बारे में बात करने की स्थिति नहीं हैं क्योंकि चेन्नई में उनका एक क्लब है और इस तरह वह तमिलनाडु क्रिकेट संघ से जुड़े हैं.

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