ये दोनों छात्र अमरीकियों और ईरानियों से दोनों मुल्कों के बेहतर रिश्तों के लिए शांति के एक हज़ार चुंबन जुटाने की अपील कर रहे हैं. उनकी कोशिश ने एक अभियान की शक्ल ले ली है.

निमा देहघानी और बेहज़ाद ताबिबियान ने इस अभियान की शुरुआत चार नवंबर को की थी. इसी दिन 1979 को तेहरान स्थित अमरीकी दूतावास पर हमले की कार्रवाई की गई थी.

ईरान की जनसभाओं में कट्टरपंथी इस तारीख़ का ज़िक्र "अमरीका की मौत" के दिन तौर पर करते रहे हैं.

लेकिन इसकी जगह इन छात्रों की वेबसाइट और फ़ेसबुक पेज पर लोगों से अपील की गई है कि वे दोनों मुल्कों के बेहतर ताल्लुकात के लिए चुंबन दें और तस्वीरें पोस्ट करें.

उन्होंने कहा है, "अदावत के 34 साल बहुत होते हैं. बहुत हो गया. चलो आगे बढ़ते हैं."

नए दौर की शुरुआत

"अदावत के 34 साल बहुत होते हैं. बहुत हुआ. चलो आगे बढ़ते हैं."

निमा देहघानी और बेहज़ाद ताबिबियान, ईरानी छात्र

इस हफ्ते दो दिन के भीतर ही अमरीकियों और ईरानियों की तरफ से उन्हें 300 से ज्यादा तस्वीरें मिलीं और कई संदेश भी.

कुछ के मज़मून इस तरह थे, "चलो, नए दौर की शुरुआत एक चुंबन से करते हैं", "ईरान के लोगों को अमरीकियों से मोहब्बत है", "चलो, सब कुछ भुलाकर चुंबन करते हैं."

शायद सबसे शालीनता के साथ कहा गया इक संदेश कुछ यूँ था, "30 साल के अविश्वास के बाद अब ये वक़्त हाथ मिलाने का है."

ये दोनों छात्र एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी चलाते हैं, जिसे 'नेटफ़ॉर्मेंस' कहा जाता है.

ये कार्यक्रम नौजवान ईरानियों और बाक़ी दुनिया के बीच के फ़ासले ख़त्म करने की बात करता है.

ईरान में जींस पर लगे प्रतिबंध को लेकर दिए गए इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बयान के जवाब में हाल ही में उन्होंने एक ऑनलाइन 'जींस पार्टी' का आयोजन कर खूब सुर्खि़याँ बटोरीं.

इस पार्टी में डेनिम पहने ईरानियों की तस्वीरें जारी की गईं थीं.

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