आईएसआईएस की अगुवाई वाले सुन्नी चरमपंथियों के नियंत्रण से तिकरित को वापस पाने के लिए एक बड़ी कार्रवाई की ख़बर आने के बाद ये हमले किए गए हैं.

समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल कासिम अल-मौसावी के हवाले से बताया कि हवाई हमलों में सेना पर हमला करने वाले सुन्नी चरमपंथियों को निशाना बनाया गया, जिन्होंने तिकरित के उत्तर में स्थित एक यूनिवर्सिटी कैंपस में मोर्चाबंदी कर ली है.

तिकरित पूर्व इराक़ी शासक सद्दाम हुसैन का जन्म स्थान है. ये मुख्य रूप से एक सुन्नी आबादी वाला शहर है और बीते सप्ताह इस पर चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट इन इराक़ एंड दि लेवेंट ( आईएसआईएस) ने क़ब्ज़ा कर लिया था.

अपुष्ट ख़बरों में बताया गया है कि क़रीब के शहर समारा से हज़ारों सैनिक तिकरित की ओर बढ़ रहे हैं, जिन्हें हवाई जहाजों, टैंक और बम निरोधक दस्ते की मदद हासिल है.

'दो रास्ते'

समाचार एजेंसी एएफपी ने लेफ्टिनेंट जनरल सबाह फातलावी के हवाले से बताया, "अब आईएसआईएस लड़ाकों के पास दो ही रास्ते हैं- भाग जाओ या मारे जाओ."

उत्तरी और पश्चिमी इराक़ के एक बड़े हिस्से पर आईएसआईएस का क़ब्ज़ा हो चुका है.

इस ख़बर के आने से ठीक पहले अमरीका ने पुष्टि की कि ज़मीन पर  अमरीकी जवानों की रक्षा करने के लिए उसके ड्रोन इराक़ में उड़ान भर रहे थे.

इस बीच इराक़ के सर्वाधिक प्रभावशाली शिया धर्म गुरू सिस्तानी ने कहा है कि मंगलवार तक प्रधानमंत्री की नियुक्ति की जानी चाहिए.

देश के राजनीतिक संकट को दूर करने के लिए सिस्तानी ने कहा कि मंगलवार को नई संसद की बैठक से पहले मुख्य पदों पर सहमति बन जानी चाहिए.

इराक़ में राष्ट्रीय एकता सरकार के गठन के लिए दबाव बढ़ रहा है. मौजूदा प्रधानमंत्री नूर अल मलिकी तीसरी बार सत्ता में बने रहना चाहते हैं, हालांकि कई लोग मानते हैं कि वो मौजूदा संकट से बेखर रहे, जबकि अलगाववादी नीतियों ने इराक़ के सुन्नी अल्पसंख्यकों को आईएसआईएस चरमपंथियों के हवाले कर दिया.

International News inextlive from World News Desk