-मार्च माह में खत्म हो गया है पांच साल का कॉन्ट्रैक्ट

-शासन में पेंडिंग पड़ी है कॉन्ट्रैक्ट रिन्यूवल की फाइल

-पहाड़ के लोगों को मिलती थी बेहतर स्वास्थ सुविधा

-करीब 13 करोड़ की लागत से शुरू की गई थी सेवा

DEHRADUN : राज्य के सूदरवर्ती इलाकों में सरकार द्वारा बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने वाली मोबाइल वैन के पहिए जाम हो चुके हैं। तीन माह से उपर का समय बीत जाने के बाद शासन की सुस्ती के चलते उस कॉन्ट्रैक्ट का रिन्यूवल नहीं हो पाया है, जिसके बाद ये वैन फिर से सेवा दे सके। इसका खामियाजा पहाड़ के उन तमाम लोगों को उठाना पड़ रहा है, जिनके लिए स्वास्थ्य सचल वाहन दल उपयोगी साबित हो रहा था। राज्य के तेरह जिलों में मोबाइल वैन संचालित करने वाली दोनों कंपनियों का कॉन्ट्रैक्ट बीते मार्च को समाप्त हो चुका है।

समाप्त हो चुका है कांट्रैक्ट

बीते पांच वर्ष से राज्य के दूरस्थ इलाकों में चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रही स्वास्थ्य विभाग के सचल वाहन दल के पहिए फिलहाल थमे हुए हैं। इसके पीछे जैन और राजभरा कंपनी के साथ किया गया कॉन्ट्रैक्ट खत्म होना कारण बताया जा रहा। स्वास्थ्य महानिदेशक डा। जीएस जोशी की माने तो विभाग द्वारा काफी पहले ही शासन को कॉन्ट्रैक्ट रिन्यूवल के लिए पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन किन्हीं कारणों से यह कार्य अभी अधर में ही लटका है। सेवा में लगे सभी तेरह वाहन राज्य के अलग-अलग जिले में खड़े किए गए हैं, जिनके पहिये अब रिन्यूवल के बाद ही घूमेंगे।

हर सुविधा से लैस है वैन

मार्च में बंद होने से पूर्व स्वास्थ्य सचल वैन ने चिकित्सा सुविधा के नाम पर बेहतर कार्य किया। एक मोबाइल वैन में एक फिजीशियन, एक रेडियोलॉजिस्ट, एक पैथोलॉजिस्ट, एक लेडी डॉक्टर की ड्यूटी रहती थी। वैन में ही अल्ट्रासाउंड, एक्सरे और कई तरह के जांच भी किए जाते थे। हर वैन को स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्देश दिए गए थे, कि उन्हें ग्रामीण क्षेत्र में कम से कम क्भ् दिन कैंप लगाकर चिकित्सा सुविधा प्रदान करनी है। तीन माह से यह सेवा पूरी तरह ठप पड़ी है, जिसके चलते दूरस्थ क्षेत्रों की जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

'कॉन्ट्रैक्ट रिन्यूवल की फाइल फिलहाल शासन मे पेंडिंग पड़ी है। जिसकी वजह से मार्च के बाद सभी स्वास्थ्य सचल वाहन दल की गाडि़यां अलग-अलग जिले में खड़ी हैं। शासन से रिन्यूवल होने के बाद इस सेवा को एक बार फिर से शुरू किया जाएगा।

-जीएस जोशी, डीजी हेल्थ, उत्तराखंड