सरकार की नजर में लहसुन सब्जी भी मसाला भी
सब्जी के रूप में लहसुन बेचा जाता है तो उस पर जीएसटी नहीं लगता वहीं जब वह मसाला के रूप में बेचा जाता है तो उस पर जीएसटी लग जाता है। ऐसे में कारोबारियों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। ग्राहकों के साथ अकसर उनकी नोकझोंक हो रही है। दरअसल सरकार ने भी इसे सब्जी और मसाला दोनों कैटेगरी में रखा हुआ है। इससे कहीं लहसुन ग्राहक को सस्ता मिल जाता है तो कहीं महंगा। इसलिए इसकी कीमत को लेकर बाजार में भ्रम बना हुआ है। परेशान होकर जोधपुर के आलू प्याज लहसुन विक्रेता संघ ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक पीआईएल दाखिल कर दी थी।
हाईकोर्ट ने पूछा सरकार क्लीयर करे स्थिति
बुधवार को इस याचिका की सुनवाई होनी थी। लेकिन किसी वजह से इस मामले की सुनवाई नहीं हो पाई। पीआईएल पर कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि वह यह क्लीयर करे कि लहसुन सब्जी है या मसाला। यह स्पष्ट होते ही लहसुन पर लगने वाले जीएसटी का भ्रम खत्म हो जाएगा। सरकार की ओर से मंगलवार को इसका जवाब कोर्ट में पेश करना था।
लहसुन की गंध दूर करने का ये है तरीका
किसानों के हित में बदला कानून
हाईकोर्ट में अपर महाधिवक्ता श्याम सुंदर ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार ने किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए राजस्थान कृषि उत्पादन बाजार एक्ट 1962 में अगस्त 2016 में संशोधन किया था। सरकार ने यह फैसला इसलिए किया था ताकि ज्यादा पैदावार पर भी किसान खुले बाजार में उचित कीमत पर लहसुन बेच सकें। नहीं तो पूर्व में लहसुन की ज्यादा पैदावार होने पर उसकी कीमत गिर जाती थी और किसानों को लागत मूल्य भी मिलना मुश्किल हो जाता था।
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कहीं नहीं लगता टैक्स
महाधिवक्ता ने कहा कि किसानों को अनाज मंडी या सब्जी मंडी कहीं भी लहसुन बेचने पर टैक्स नहीं देना पड़ता है। बल्कि इससे किसानों को ही फायदा मिलता है। वे जहां चाहे अच्छी कीमत पर लहसुन बेच सकते हैं। सब्जी मंडी में उन्हें बिचौलियों को 6 प्रतिशत तक कमीशन देना होता है वहीं अनाज मंडी में यह कमीशन सिर्फ 2 प्रतिशत तक ही रहता है। यह कानून किसानों के हित में है।
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