हो रही हैं हैरेसमेंट का शिकार

महिलाएं घर की चारदीवारी से निकलकर हर क्षेत्र में तरक्की कर रही हैं। टीचर, प्रोफेसर, बैंक मैनेजर, साइंटिस्ट से लेकर आर्मी ऑफिसर की भूमिका में वो देश को अपनी सेवाएं दे रही हैं। खुद का बिजनेस भी कर रही हैं। लेकिन इस तरक्की के साथ-साथ उन्हें कई चुनौतियों से भी निपटना पड़ रहा है। इनमें से सबसे बड़ी है सेक्सुअल हैरेसमेंट। ऑफिसेस में उनके साथ छेड़छाड़, अश्लील हरकतें और रेप जैसी घटनाएं तक हो रही हैं। इन घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 16 साल पहले एक केस में फैसला सुनाते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को विशाखा गाइडलाइंस लागू करने का निर्देश दिया था। लेकिन ये गाइडलाइंस आज तक कागजों से बाहर नहीं निकल पाई है।

16 साल में एक भी केस दर्ज नहीं

सुप्रीम कोर्ट में शासन ने यूपी के सभी सरकारी, गैर सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में विशाखा गाइडलाइंस लागू किए जाने का दावा किया है। जिसके मुताबिक सभी संस्थानों में शिकायत निवारण कमेटी बनाई गई है। लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। सिर्फ कागजों में कमेटी बनी हुई है। जिसका नतीजा है कि 16 साल में इस कमेटी के समक्ष कोई भी केस नहीं आया है। कई ऑफिसेज समेत कॉमर्शियल प्रतिष्ठानों को इस गाइडलाइंस के बारे में ही नहीं मालूम है।

क्या है विशाखा गाइडलाइंस?

राजस्थान के एक ऑफिस में महिला कर्मचारी गैैंग रेप का शिकार हुई थी। इस मामले में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। पीडि़ता ने हाईकोर्ट में अपील की थी, लेकिन वह वहां पर भी केस हार गई थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई करते हुए 13 अगस्त 1997 को सभी आरोपियों को सजा सुनाई। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ऑफिसेज में महिलाओं के साथ छेडख़ानी या यौन उत्पीडऩ पर अंकुश लगाने के लिए एक गाइडलाइंस जारी की। जिसे विशाखा गाइडलाइंस कहा जाता है। जिसके तहत हर ऐसे ऑफिस में जहां महिलाएं भी काम करती हैं वहां शिकायत निवारण प्रकोष्ठ बनाने को कहा।

हर ऑफिस में हो कंपलेंट सेल

विशाखा गाइडलाइंस के तहत सरकारी, गैर सरकारी समेत सभी कॉमर्शियल प्रतिष्ठानों में शिकायत निवारण प्रकोष्ठ बनाया जाएगा। जिसके आधा से ज्यादा सदस्य समेत चेयरपर्सन महिला कर्मचारी होगी। जरूरत पडऩे पर इसमें एनजीओ को भी जोड़ा जा सकेगा। जिससे महिलाओं के साथ होने वाली किसी भी तरह की बदसलूकी को रोका जा सके।

लेबर कमिश्नर करेंगे निगरानी

सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा गाइडलाइंस जारी करते हुए लेबर कमिश्नर को आदेश दिया था कि वह नोडल एजेंसी के रूप में काम करते हुए सरकारी, गैर सरकारी, फैक्ट्री, शॉप समेत सभी कॉमर्शियल प्रतिष्ठानों में दर्ज होने वाली शिकायतों की जानकारी एकत्र करें। इसके साथ ही वह यह भी सुनिश्चित करेंगे कि सभी कॉमर्शियल प्रतिष्ठानों में शिकायत निवारण कमेटी की गई है या नहीं।

चेयरमैन कर सकती हैं सस्पेंड

अगर किसी ऑफिस में महिला कर्मचारी छेडख़ानी का शिकार होती हैं, तो वह शिकायत निवारण प्रकोष्ठ में शिकायत दर्ज करा सकती हैं। जिसकी जांच कमेटी की चेयरमैन करेंगी। अगर जांच के दौरान आरोपी कर्मचारी महिला कर्मचारी पर दबाव बनाता है, तो कमेटी आरोपी कर्मचारी का ट्रांसफर या उसे निलंबित भी कर सकती है। साथ ही कमेटी पीडि़त महिला कर्मचारी के अनुरोध पर उसका ट्रांसफर भी कर सकती है। चेयरमैन जांच पूरी करने के बाद आरोपी कर्मचारी पर दोष पाए जाने पर उसको बर्खास्त भी कर सकेगी।

ये प्रतिष्ठान आएंगे दायरे में

विशाखा गाइडलाइंस के दायरे में सरकारी, गैर सरकारी, प्राइवेट प्रतिष्ठान आएंगे। इसके साथ ही फैक्ट्री। मॉल, टॉकिज, होटल, रेस्टोरेन्ट, क्लब समेत अन्य शॉप में भी इस गाइडलाइन को लागू करना है।

गाइडलाइंस के तहत होने वाले संशोधन

-सेवा शर्तों के तहत महिलाओं के उत्पीडऩ को दुराचरण माना जाएगा

-हर प्रतिष्ठान में शिकायत निवारण कमेटी गठित होगी

-कमेटी की चेयरमैन समेत आधे सदस्य महिलाएं होगी, जरूरत पडऩे पर एनजीओ को भी जोड़ सकते है।

-शिकायतों का निश्चत समय पर समाधान किया जाएगा।

-आफिस समेत अन्य प्रतिष्ठानों में समय-समय पर जागरुकता अभियान चलाया जाएगा

-अगर कोई बाहरी व्यक्ति यौन शोषण करता है, तो विभागीय अफसर आवश्यक कदम उठाकर उसे दंडित कर सकेंगे।

-शिकायत निवारण कमेटी की रिपोर्ट को ही नियमावली के तहत फाइनल रिपोर्ट माना जाएगा।

दुराचार के दायरे में आएगा

-शारीरिक संपर्क या अश्लील हरकत करना

-अश्लील साहित्य, एसएमएस, एमएमएस या वीडियो क्लीपिंग दिखाना

-महिला कर्मचारी पर मौखिक टिप्पणी करना

-महिला कर्मचारी के शरीर के किसी भी अंग को छूने पर

-फोन पर अश्लील बात करने पर

ये महिलाएं आएंगी दायरे में

-वेतनभोगी महिला कर्मचारी

-मानदेय महिला कर्मचारी

-सरकारी, गैरसरकारी और निजी संस्थाओं में कार्यरत अनियमित महिला कर्मचारी

"इस गाइडलाइन का आशय ठीक है, लेकिन इसके दुरुपयोग की संभावनाएं ज्यादा है। इसी वजह से ज्यादातर कामर्शियल प्रतिष्ठानों में इसे लागू नहीं किया जा सका है। से कामकाजी महिलाओं के लिए तो सुरक्षित है, लेकिन इसका दुरुपयोग ज्यादा हो सकता है."

कौशल किशोर शर्मा, सीनियर एडवोकेट

"विशाखा गाइडलाइंस पर समिति बन गई है। इसे 50 से अधिक कर्मचारियों के प्रतिष्ठानों में लागू कराया गया है। इसमें अभी तक कोई भी महिला उत्पीडऩ का केस नहीं आया है,"

नीलमा मिश्रा, सहायक श्रमायुक्त, कानपुर

"कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशाखा गाइडलाइन को जारी किया गया है। इसके तहत सरकारी, गैर सरकारी, इण्डस्ट्रीज, कामर्शियल संस्थान में कमेटी बना दी गई है। जिसमें चेयरमैन महिला है, लेकिन अभी तक कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है। अगर कोई भी शिकायत आएंगी, तो उस पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। "

प्रदीप श्रीवास्तव, अपर श्रमायुक्त

"सरकारी आफिस में महिला की सुरक्षा के लिए विशाखा गाइडलाइन के तहत कमेटी बनाई गई है। जिन आफिस में कमेटी नहीं बनी है, तो उनको कमेटी बनाने के लिए सर्कुलर जारी किया जाएगा। प्राइवेट आफिस में भी जांच कराई जाएगी, कि वहां पर कमेटी बनाई गई है या नहीं। अगर कोई भी शिकायत आएंगी, तो उसका कड़ाई से पालन होगा."

समीर वर्मा, जिलाधिकारी

"विशाखा गाइड लाइंस के विषय में जानकारी नहीं है। अगर पहले से ही नियम है तो जरूर लागू होगा। "

 राकेश कुमार, सेक्रेटरी, केडीए