यूरोप में दस हज़ार से ज़्यादा लोगों पर हुए अध्ययन के बाद विश्लेषकों ने पाया कि जिनमें एबीसीसी9 नाम का जीन होता है, उन्हें अन्य लोगों की तुलना में 30 मिनट अधिक नींद की ज़रूरत होती है।

'मोलिक्यूलर साइकिएट्री' में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि हर पाँच में से एक यूरोपीय में यह जीन होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह खोज सोने के स्वभाव को स्पष्ट कर सकती है।

दस हज़ार से ज़यादा लोगों ने इस शोध में हिस्सा लेते हुए बताया कि वे कितने घंटे सोते हैं। उन्होंने डीएनए के लिए अपने ख़ून के नमूने भी दिए। लोगों की नींद की ज़रूरत अलग-अलग होती है। मारग्रेट थैचर केवल चार घंटे ही सोतीं थी, जबकि अलबर्ट आइंस्टाइन 11 घंटे सोते थे।

निर्भरता

अध्ययन में क्रोएशिया, नीदरलैंड, इटली, एस्टोनिया और जर्मनी के लोगों ने भाग लिया। सबसे उनके सोन के तरीक़ों पर उनके छुट्टी वाले दिनों में पूछा गया, जब उन्हें काम के लिए अगले दिन उठना न हो या फिर नींद की गोलियाँ न लेनी हो या काम की ड्यूटी न हो।

उन्होंने पाया कि बिना एबीसीसी9 की जीन वाले लोग सामान्य से तीन घंटे कम सोते हैं। यह जीन शरीर की कोशिकाओं की ऊर्जा को भांपने का काम करते हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे सोने के अध्ययन में नए शोध का रास्ता साफ़ हो गया है। एडिनबरा विश्वविघालय के डॉ जिम विल्सन ने कहा, ''इंसान अपनी ज़िंदगी का लगभग एक तिहाई हिस्सा सोते हैं। ज़्यादा या कम सोना खानदानों पर निर्भर करता है। हालांकि आपकी उम्र, स्थान, मौसम से भी इस पर असर पड़ता है कि आपको कितना सोने की आवश्यकता है.''

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