- टैबलेट में खडि़या और आयुर्वेदिक दवा में केमिकल्स का हो रहा प्रयोग

- एफएसडीए की जांच में नकली निकल रहे नमूने, रैपर में कुछ और दवा में है कुछ

- लखनऊ में पकड़ी गई थी नकली एंटीबायोटिक, मामले में 5 मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस हुए कैंसिल

LUCKNOW: प्रदेश भर में बड़े स्तर पर नकली और मानक को फॉलो न करने वाली दवाओं का गोरखधंधा चल रहा है। कुछ दवाएं पूरी तरह नकली हैं तो कुछ में दवा की मात्रा बहुत कम हैं। यानी मरीज भले ही स्वस्थ होने की आस में इन दवाओं का सेवन कर रहा है लेकिन ये मेडिसिंस उसे और बीमार बना रही हैं।

हर माह दर्जन भर नमूने फेल

फरवरी माह तक की रिपोर्ट पर नजर डालें तो अब तक फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफएसडीए) की जांच में 9 मामलों में दवाएं पूरी तरह नकली साबित हुई हैं। वहीं, क्ख्00 से ज्यादा दवाओं में दवा मानक से कम निकली हैं। एफएसडीए के सूत्रों के मुताबिक, हर माह लैबोरेटरी की जांच में दर्जनों नमूने फेल हो रहे हैं।

पकड़ी थी नकली एंटीबायोटिक

कुछ माह पहले एफएसडीए की टीम ने एफडीसी कंपनी की जिफी ख्00 (सिफिक्जीम) दवा की जांच के लिए अलीगंज के तारांचल मेडिकल स्टोर में छापा मारा था। जांच में पता चला था कि मार्केट में बहुत अधिक प्रयोग होने वाली जिफी नाम की एंटीबायेाटिक पूरी तरह से नकली थी। उसमें खडि़या के सिवाय कुछ नहीं था। लैबोरेटरी की रिपोर्ट में भी इस पर मुहर लगाई गई थी। मामला उजागर होने पर एफएसडीए के साथ एफडीसी के अधिकारी भी आश्चर्य में पड़ गए थे।

असलियत जांचने वाला कोड ही नकली

हाल में एफएसडीए ने छापा मारकर दुकानों से कलेक्ट किए गए सैम्पल्स में से जिफी नामक दवा में मिलावट का खुलासा किया गया था। जिफी नाम की दवा की स्ट्रिम हूबहू एकदम असली की तरह थी। बस इसमें मैसेज भेजकर असली या नकली दवा की पहचान करने वाला कोड गलत था। मतलब वह एफडीसी कंपनी से बनकर आया ही नहीं था और उसका लेबल लगाकर बेचा जा रहा है। इस कड़ी में और भी दवाओं के नाम शामिल हैं।

कई जिलों में थी सप्लाई

यही नहीं जांच कराने के बाद पता चला कि कई और जिलों में भी नकली दवा सप्लाई की जा रही थी। अब तक मामले में कुल पांच मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस कैंसिल किए जा चुके हैं। इसमें से फ् मेडिकल स्टोर्स अन्य जिलों के हैं जबकि दो राजधानी के हैं। एफएसडीए ने लास्ट मंथ अमीनाबाद थाने में अनुभा फार्मा के मालिक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा दी थी। अनुभा फार्मा में यह दवाएं कहां से आई थी यह बात अब तक एफएसडीए के लिए पहेली बनी हुई है।

ये क्रीम्स आयुर्वेदिक नहीं

हाल ही में कई जिलों में सैंपलिंग के दौरान एफएसडीए को पता चला कि मेलाज स्किन क्रीम और एंटी मा‌र्क्स क्रीम में आयुर्वेद की जगह एलोपैथिक केमिकल्स मिलाकर बेचा जा रहा है। लेबोरेटरी जांच में पता चला कि दोनों ही आयुर्वेदिक क्रीम्स में हाइड्रोक्वीनोन व अन्य केमिकल्स मिलाए गए थे, जो सिर्फ एलोपैथिक दवाओं में ही यूज किए जा सकते हैं। आयुर्वेद के नाम पर ये कंपनियां लोगों को बेवकूफ बना रही हैं। गाजियाबाद, बदायूं, सम्भल, लखनऊ सहित कई जिलों से लिए इन क्रीम्स के सैंपल अब तक निगेटिव निकले हैं। इन जिलों में अधिकारियों को निर्माता कंपनी और बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। साथ ही, प्रदेश भर में सैंपल कलेक्ट कर जांच के निर्देश भी दिए गए हैं। एफएसडीए के अधिकारियों के अनुसार आयुर्वेदिक दवाओं के लिए एफएसडीए से कोई लाइसेंस नहीं लेना पड़ता। इन्हें डिपार्टमेंट आफ आयुर्वेद की ओर से लाइसेंस जारी किया जाता है जहां प्रक्रिया आसान है। ये रसायन स्किन को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं यहां तक इनके कारण कैंसर भी हो सकता है।

अप्रैल, ख्0क्ब् से फरवरी ख्0क्भ् तक

टेस्ट किए गए नमूने 9भ्9फ्

अधोमानक नमूने -- ख्क्ब्(निर्माण), क्00म् (विक्रय)

नकली नमूने - 9

सस्पेंड मेडिकल स्टोर के लाइसेंस - भ्म्क्

निरस्त मेडिकल स्टोर लाइसेंस -7क्7

निर्माण इकाइयों के लाइसेंस निरस्त -7

जब्त दवाएं - फ्8,ब्0,0क्क्

एफआईआर - क्0भ्

खुद जांचे दवा की असलियत

आप जिस दवाई को लेकर खाने जा रहे हैं वह असली है या नकली इसकी जानकारी एक मैसेज के द्वारा आप भी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। सभी बड़ी कंपनियों की दवाई के पत्ते पर, सीरप में या अन्य प्रकार की मेडिसिन में दवा की ऑथेंटिकेशन के लिए एक कोड दिया होता है। जिसे उसके नीचे दिए नंबर पर सेंड करना होता है। कुछ ही सेकेंड में मैसेज द्वारा यह पता चल जाता है कि वह दवा उसकी कंपनी से बनकर निकली है या बाहर की है। अगर दवा नकली है तो उसे न लें और एफएसडीए के नंबर क्800-क्80-भ्भ्फ्फ् पर शिकायत दर्ज कराएं।

दवाओं की जांच जारी है। जो नकली या अधोमानक मिल रहे हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। जांचे गए नमूनों में से चार से पांच परसेंट नमूने फेल हो रहे हैं।

-राम अरज मौर्य

सहायक आयुक्त प्रशासन।

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लखनऊ से उत्तराखंड तक हुई जांच

एफडीसी जैसी बड़ी कंपनी का मामला होने पर एफएसडीए की टीम ने लखनऊ से लेकर उत्तराखंड स्थित कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट तक जांच की तो पता चला कि उस बैच की दवा कंपनी से सही चली थी लेकिन जब रिटेल काउंटर पर पहुंची तो असली नहीं थी। उसकी जगह नकली दवा सप्लाई कर दी गई थी। जबकि, यह एंटीबायोटिक दवा गंभीर मरीजों को दी जाती है। प्राइवेट हो या सरकारी डॉक्टर इसे धड़ल्ले से यूज कर रहे थे। यह दवाएं अनुभा फार्मा अमीनाबाद से लाई गई थी। इसके बाद विभाग ने दोनों ही मेडिकल स्टोर्स का लाइसेंस कैंसिल कर दिया था।