4 दिन में 31 एनकाउंटर

हाल के दिनों में प्रदेश में ताबड़तोड़ क्राइम की घटनाओं के बाद एक्शन में आई पुलिस के बदमाशों के साथ 31 एनकाउंटर हुए। बीते चार दिनों में पुलिस द्वारा की गई ताबड़तोड़ कार्रवाई में तीन बदमाश ढेर कर दिये गए जबकि, 49 बदमाश अरेस्ट किये गए। पुलिस किस तरह से अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में जुटी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते 24 घंटे में जहां बुलंदशहर में 20 हजार का इनामी मुठभेड़ में घायल हो गया। सीतापुर के महमूदाबाद में मुठभेड़ में एक बदमाश घायल हो गया और कुल पांच बदमाशों को अरेस्ट कर लिया गया। सहारनपुर के गागलहेड़ी में 10 हजार का इनामी जवाबी फायरिंग में घायल हो गया। मथुरा के वृंदावन में 12 हजार के इनामी को घायल कर तीन बदमाशों को अरेस्ट किया गया। गाजियाबाद में क्रॉस फायरिंग में एक बदमाश घायल हुआ इसी तरह सीतापुर के तालगांव में 10 हजार का इनामी भी क्रॉस फायरिंग में घायल हुआ। गाजियाबाद के सिंहानी गेट में दो बदमाश घायल हो गए जबकि, मसूरी इलाके में एक बदमाश पुलिस की गोली से घायल हो गया। हालांकि, पुलिस के इन गुडवर्क के बीच नोएडा में दारोगा द्वारा बेकुसूर जिम ट्रेनर को गोली मारने की घटना ने पुलिस की फजीहत कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

 

अधिकारियों का सुपरविजन जरूरी

प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं कि अपराधियों के खिलाफ अभियान चलाना सराहनीय है लेकिन, इस पर अधिकारी का सुपरविजन जरूर होना चाहिये। मथुरा व नोएडा में हुई दोनों घटनाएं पुलिस फोर्स पर दाग लगाने वाली हैं। प्रदेश भर में पुलिसकर्मियों के कुछ अच्छे काम पर ऐसी घटनाएं सवालिया निशान लगा देती हैं। जांच में दोषी पाए जाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ अपराधियों के खिलाफ होने वाली कार्रवाई से भी सख्त कार्रवाई की जाए ताकि आम पुलिसकर्मियों के बीच मैसेज जाए कि पुलिस की पवित्र वर्दी को कलंकित करने वाले पुलिसकर्मी बख्शे नहीं जाएंगे। अगर अपराधी पुलिस पर फायर करेगा तो सेल्फ डिफेंस में जवाबी फायरिंग करना पुलिस का अधिकार है लेकिन, किसी निर्दोष को गोली मार देना कहीं से भी तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता और ऐसे दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिये।