स्मृति ईरानी पर हमला तेज

संसद का बजट सत्र भी हंगामे की भेंट चढ़ रहा है। जहां एक तरफ विपक्ष सत्ता पक्ष को घेरने की पूरजोर कोशिश कर रहा है। वहीं सरकार का कहना है कि विपक्ष के पास मुद्दे नहीं है तो बिना वजह की बातों से कामकाज में बाधाडाल रहा है। इस बीच राज्यसभा के सभापति केन्द्रीय मानव संसाधव विकास मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ विपक्ष द्वारा दिए गये विशेषाधिकार हनन के नोटिस पर फैसला ले सकते है। अगर मामला बनेगा तो संसद की विशेषाधिकार समिति को इसे सौंपा जा सकता है। विपक्ष की मांग है मंत्री के बयान पर सदन में तत्काल चर्चा हो।

ईरानी ने गलत तथ्यों से सदन को गुमराह किया

विपक्षी दलों का कहना है कि स्मृति ईरानी ने संसद में पांच जगह गलत तथ्य पेश किए हैं और उन्होंने जानबूझकर सदन को गुमराह किया है। जेडीयू सांसद केसी त्यागी और केटीएस तुलसी ने शनिवार को ही नोटिस दे दिया था। लेफ्ट और कांग्रेस की ओर से भी नोटिस दिया गया है। स्मृति इरानी के मामले में आज राज्यसभा और लोकसभा में हंगामा होने की पूरी संभवना है। कांग्रेस ने सोमवार को स्मृति ईरानी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया, साथ ही लोकसभा में थोड़ी देर तक हंगामा किया।

विभिन्न मामलों में आमने सामपने सत्ता और विपक्ष

ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में ठनी हुई है। लोकसभा और राज्यसभा में जहां विपक्ष रोहित वेमुला, जेएनयू प्रकरण और आगरा में केंद्रीय मंत्री डॉ रामशंकर कठेरिया के बयानों पर आक्रामक मुद्रा में है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की अवैध संपत्तियों और इशरत जहां के मामले में भाजपा कांग्रेस को घेरने की कोशिश में है। सोमवार को संसद के दोनों सदनों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इन मुद्दों पर तीखी तकरार हुई। विपक्ष जहां स्मृति ईरानी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव पर सरकार को घेर रहा है, वहीं एआईडीएमके एक बार फिर पी.चिदम्बरम के बेटे कार्ति का मामला सदन में उठाने को तैयार है।

मोदी और अमित शाह को फंसाने में खुद मुश्किल में आगए चिदंबरम

इस दौरान उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सिपहसालार अमित शाह को इशरत जहां मुठभेड़ में फंसाने की साजिश में पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम अब खुद फंसते जा रहे हैं। खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक राजेंद्र प्रसाद और पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई के बाद अब गृह मंत्रालय के पूर्व अवर सचिव आरवीएस मणि ने सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने इस मामले में झूठे बयान के लिए सीबीआइ पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाया है। मणि ने कहा कि इशरत का इनपुट देने वाले आइबी के विशेष निदेशक राजेंद्र कुमार व अन्य अधिकारियों को फंसाने के लिए 2013 में सीबीआइ ने उनसे पूछताछ शुरू की। उन्होंने बताया कि इशरत मामले की जांच कर रहे सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी संतोष वर्मा ने उन्हें बुरी तरह प्रताडि़त किया था। आइबी के अधिकारियों के खिलाफ बयान देने के लिए तैयार नहीं होने पर उन्हें जलती सिगरेट से दागा गया। एक न्यूज चैनल को उन्होंने अपने वे कपड़े दिखाए, जो दागे जाने के दौरान जल गए थे।

दबाव में बदला हलफनामा

कहा जा रहा है कि गृह मंत्रालय में आंतरिक सुरक्षा के अवर सचिव मणि ने इशरत मामले में पहला हलफनामा दाखिल किया था। गुजरात हाई कोर्ट में 2009 में दायर इस हलफनामे में इशरत को आतंकी बताया गया था। दो महीने के भीतर ही इस हलफनामे को बदल दिया गया। मणि ने कहा कि दूसरे हलफनामे से वह सहमत नहीं थे। उन्हें राजनीतिक दबाव में इस पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। इससे पहले तत्कालीन गृह सचिव जीके पिल्लई ने दूसरे हलफनामे का फैसला राजनीतिक नेतृत्व के स्तर पर लिए जाने की बात कही थी। उनका इशारा तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम की ओर था।

सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार

वहीं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एमएल शर्मा की जनहित याचिका से पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम की मुश्किल बढ़ सकती है। शर्मा ने पूर्व गृह मंत्री पर सुप्रीम कोर्ट और गुजरात हाई कोर्ट को झूठी जानकारी देने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ अवमानना का मामला शुरू करने का अनुरोध किया है। चिदंबरम पर इशरत के लश्कर से संबंधों के बारे में अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गया है।

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