इन दिनों हर कोई दीपावली की तैयारी में बिजी है। ये स्वाभाविक भी है। क्योंकि बस कुछ ही दिन बचे हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक को मार्केटिंग करनी है। कई लोगों ने तो थोड़ी मार्केटिंग कर ली होगी और बहुत सारी करनी होगी। तो फिर अलर्ट हो जाइए। क्योंकि ऐसा न हो कि विजयनगर के रहने वाले राकेश गुप्ता के साथ हुई घटना आपके साथ भी हो जाए। राकेश सैटरडे को मार्केट सामान खरीदने गए थे। सामान लेने के बाद जब उन्होंने दुकानदार को 500 का नोट दिया तो उसने कहा कि ये तो नकली है। उनके होश उड़ गए। ये घटना आपके साथ भी हो सकती है। क्योंकि खुफिया को मिली जानकारी के मुताबिक फेस्टिव सीजन के दौरान मार्केट में नकली नोट खपाने के लिए पहुंच चुके हैं। करोड़ों के नकली नोट आप तक न पहुंचें इसके लिए पुलिस तो अलर्ट है ही आप भी हो जाइए। जिससे आपके साथ ये हादसा न हो इसलिए पढि़ए ये रिपोर्ट और नोट कर लीजिए कि आपका नोट नकली है या असली.
रोज करोड़ों रुपए का लेनदेन
सिटी में दीपावली और सहालग के लिए मार्केट सज गई है। शॉप्स में कस्टमर्स की भीड़ जमा होने लगी है। जिससे दुकानदारों का बिजनेस कई गुना बढ़ गया। हर दिन करोड़ों रुपए का लेनदेन हो रहा है। ऐसे में माफियाओं ने मोटी कमाई के लालच में भारी मात्रा में नकली नोट मार्केट में झोंक दिए है इसलिए कोई भी धोखा खा सकता है। कई दुकानदार तो फेस्टिवल शुरू होने के पहले ही शिकार हो चुके हैं। उनको हजारों का चूना लग चुका है। वहीं, सिटी में चोरी छुपे चलने वाले कैसिनों में भी ये नोट चलाए जा रहे हैं। जिससे ये एक दूसरे के हाथ से होते हुए मार्केट तक पहुंच जाते हैं. 
सीमा पार से आती है फेक करेंसी
पुलिस सूत्रों के मुताबिक एक दशक पहले तक नेपाल से पूरे यूपी में नकली नोट की खेप भेजी जाती थी, लेकिन अब बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी नकली नोट की खेप भेजी जा रही है। हाल में ही जम्मू में एक प्रिटिंग प्रेस में नकली नोट बरामद हुए थे। इसके बाद खुफिया को जानकारी मिली कि यूपी में आजमगढ़, गोंडा, बहराइच में भी नकली नोट बनाए जा रहे हैं। यहां बने नोट भारी मात्रा में शहर पहुंच चुके हैं.
जुए की फड़ से मार्केट तक
शहर में फेक करेंसी चेन सिस्टम से मार्केट में पहुंचायी जाती है। ये करेंसी छोटे दुकानदार, लेबर, पेट्रोल पम्प, जुए की फड़ से होती हुए मार्केट में पहुंच जाती है। सबसे ज्यादा नकली नोट जुए की फड़ और पान की दुकान में चलाए जाते हैं। जहां से ये नोट मार्केट में पहुंच जाते हैं। दिवाली में जुए की हर फड़ में हर दिन लाखों का दांव लगता है। जहां पर बल्क में फेक करेंसी चलायी जाती है। जिससे ये करेंसी वहां से चेन सिस्टम के जरिए मार्केट में पहुंच जाती है. 
फेस्टिव सीजन से सबसे ज्यादा खपत 
शहर में दिवाली के फेस्टिवल में सबसे ज्यादा खरीदारी होती है। धनतेरस में तो एक दिन में ही कानपुराइट्स करोड़ों रुपए की खरीदारी करते हैं। दिवाली के बाद सहालग शुरू हो जाएगी इसीलिए इस दौरान शहर में सबसे ज्यादा नकली नोट पकड़े जाते हैं। पुलिस का कहना है कि इस सीजन में ही सबसे ज्यादा नकली नोट पकड़े जाते हैं। इसको देखते हुए पुलिस टीमें अलर्ट कर दी गई हैं.
बड़े नोट सबसे ज्यादा
इस गोरखधंधे में जुड़े लोग सिर्फ एक हजार और पांच सौ के नकली नोट बनाकर मार्केट में ज्यादा चलाते हैं, ताकि उनको एक झटके में कई गुना का फायदा हो। इसके साथ कई क्रिमिनल सौ के भी नकली नोट बनाते हैं। इसका प्रमाण है कि पिछले दिनों स्टेट बैैंक में सौ के तीन नकली नोट पकड़े गए थे। पुलिस के मुताबिक अब तो पचास और 20 के भी नकली नोट मर्केट में आ गए हैं.
जल्दबाजी पड़ सकती है भारी
बिरहाना रोड में मिठाई के दुकानदार जितेंद्र श्रीवास्तव की शॉप से एक आदमी एक किलो मिठाई ले गया। उसने हजार का नोट दिया, तो जितेंद्र ने जल्दबाजी में उनको 750 रुपए लौटाकर दूसरे कस्टमर के सौदे में बिजी हो गए। जब वो अगले दिन बैैंक में रुपए जमा करने गए, तो उन्हें पता चला कि कोई उन्हें हजार का नकली नोट थमा गया। इसी तरह कुछ अन्य दुकानदार भी हैं। जो इस तरह की घटना का शिकार हो चुके हैं। इस सीजन में मार्केट की हर दुकान में कस्टमर्स की भीड़ रहती है। ऐसे में दुकानदार जल्दी से जल्दी कस्टमर का सौदा देकर पेमेंट लेते हैं। वे जल्दबाजी और कस्टमर्स की भीड़ में नोट भी चेक नहीं करते हैं। ऐसे में उनकी ये चूक भारी पड़ सकती है। कोई भी उनको चूना लगा सकता है. 
पकड़ा जा चुका है कारखाना
कलक्टरगंज पुलिस ने कुछ सालों पूर्व नौघड़े में प्रिटिंग प्रेस में छापा मारकर भारी मात्रा नकली नोट, उपकरण, मशीन आदि पकड़ा था। इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जिन्हें कोर्ट ने सजा सुनायी है। इसी तरह बाबूपुरवा पुलिस ने भी दो आरोपियों को नकली नोट के साथ गिरफ्तार किया था। सबसे चर्चित केस संजीव अवस्थी का है। 3 फरवरी 2011 को कलक्टरगंज के तत्कालीन एसओ दिनेश त्रिपाठी ने बांदा निवासी राजनेता संजीव अवस्थी की नकली नोट बरामदगी में गिरफ्तारी दिखायी थी। उनके पास से लाखों के नकली नोट मिले थे। इस केस की जांच ईओडब्लू कर रहा है। जिसमें संजीव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है कि उनको फंसाया गया था। खैर, संजीव को फंसाया गया या नहीं, लेकिन कानपुर में लाखों के नकली नोट पकड़े गए थे. 
आरबीआई तक पहुंच जाती है करेंसी
 बड़े नोट्स ही नहीं फेक करेंसी के रूप में छोटे नोट भी मार्केट में चल रहे हैैं। पिछले दो वर्षो में 50 व 100 के कई नकली नोट पकड़े जा चुके हैैं। हैरानी की बात यह है कि बैंक इंपलाई भी इन्हें नहीं पहचान सके। विभिन्न बैैंकस से होकर फेक करेंसी आरबीआई तक पहुंच चुकी है। आरबीआई ने फेक करेंसी पकड़े जाने पर ऐसी बैैंक के ऑफिसर्स के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया। लेकिन ये राज नहीं खुल सका इन बैंकस तक फेक करेंसी किसके जरिए आई? 
हो चुकी है एफआईआर
डिस्ट्रिक्ट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक वर्ष 2012 में करीब सवा दो लाख की फेक करेंसी पकड़ी गई। इसमें सबसे अधिक नकली नोट 500 के पाए गए थे। फेक करेंसी कितनी सफाई से बनाई गई इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि ये नोट विभिन्न बैैंकों से आरबीआई तक पहुंचेथे। आरबीआई का दावा अनुभाग डिपार्टमेंट कई बैैंक के ब्रांच मैनेजर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा चुका है।  
2012 में पकड़ी गई फेक करेंसी
नोट     संख्या
1000-  5
500-  1067
100-  92
50-   05
कैसे पहचाने ये नोट नकली है
100 का नोट
 (आगे का हिस्सा)
1-वॉटर मॉर्क विंडों से पहले एक खड़ी पïट्टी के बीच नोट के आगे और पिछले हिस्से पर प्रिंट फूलदार डिजाइन में 100 लिखा होता है। अंक का आधा हिस्सा आगे और आधा पीछे वाले हिस्से पर प्रिंट रहता है। दोनो प्रिंट एक दूसरे पर इस तरह सटीक छपे होते हैैं कि रोशनी पर देखने पर ऐसा लगता है कि यह एक ही अंक है.
2ए- महात्मा गांधी की पिक्चर की बाई ओर सुरक्षा धागा आंशिक रूप से अंदर और आंशिक रुप से बाहर दिखाई पड़ता.
2बी-  सुरक्षा धागा की चौड़ाई 3एमएम होती है जिस पर भारत और क्रक्चढ्ढ लिखा रहता है.
2सी- नोट को अलग-अलग एंगल से देखने पर सुरक्षा धागे का रंग हरे से बदलकर नीला हो जाता है.
3-महात्मा गांधी की पिक्चर और खड़ी पïट्टी के बीच के एरिया में क्रक्चढ्ढ और 100 लिखा रहता है, जिसे मैग्नीफाइंग ग्लास से देखा जा सकता है.
4- नोट को आंख की सीध में रखकर देखने पर महात्मा गांधी के चित्र के पीछे वाली खड़ी पïट्टी में अंक 100 दिखाई पड़ता है.
5-महात्मा गांधी की पिक्चर, आरबीआई की सील, गारंटी, बाई ओर का अशोक स्तंभ का प्रतीक चिंह्रï,  गवर्नर के हस्ताक्षर आदि उभरी हुई छपाई में प्रिंट हैैं जिन्हें छूकर महसूस किया जा सकता है.
6- वॉटरमार्क खिडक़ी में महात्मा गांधी की पिक्चर, अंक 100 प्रदर्शित करने वाला इलेक्ट्रोलाइट मार्क दिखाई देता है. 
नोट का पिछला हिस्सा
1- प्रिंटेड इयर दिखाई पड़ता है.
1- एक हजार और पांच सौ के नोट के अगले हिस्से में बीचो-बीच मूल्यवर्गीय अंक क्रमश: 1000 और  500 रंग बदलने वाली स्याही से प्रिंट होता है। नोट को तिरछा करने पर अंक का रंग विशेष प्रकार से हरे रंग से बदलकर नीला हो जाता है। इसके अलावा अन्य सभी सुरक्षा विशेषताएं 100 के नोट की तरह ही होती हैं। केवल अंक 100 की बजाए 1000 व 500 के अंक प्रिंट होते हैैं.
वर्जन
फेस्टिव सीजन के दौरान अक्सर नकली नोटों को बड़ी मात्रा में खपाया जाता है। इससे पब्लिक को तो नुकसान होता ही है साथ ही अर्थ व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचता है। क्राइम ब्रांच को अलर्ट कर दिया गया है। कई टीमों को लगा दिया गया है। किसी भी सूरत में क्रिमिनल्स को अपने मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। सबसे खास बात ये है कि पब्लिक को भी समझदारी दिखानी होगी। नोट लेने से पहले अच्छी तरह पड़ताल कर लें। नकली नोट से संबंधित कोई भी सूचना तुरंत पुलिस को दें। सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा. 
यशस्वी यादव, एसएसपी
इन दिनों हर कोई दीपावली की तैयारी में बिजी है। ये स्वाभाविक भी है। क्योंकि बस कुछ ही दिन बचे हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक को मार्केटिंग करनी है। कई लोगों ने तो थोड़ी मार्केटिंग कर ली होगी और बहुत सारी करनी होगी। तो फिर अलर्ट हो जाइए। क्योंकि ऐसा न हो कि विजयनगर के रहने वाले राकेश गुप्ता के साथ हुई घटना आपके साथ भी हो जाए। राकेश सैटरडे को मार्केट सामान खरीदने गए थे। सामान लेने के बाद जब उन्होंने दुकानदार को 500 का नोट दिया तो उसने कहा कि ये तो नकली है। उनके होश उड़ गए। ये घटना आपके साथ भी हो सकती है। क्योंकि खुफिया को मिली जानकारी के मुताबिक फेस्टिव सीजन के दौरान मार्केट में नकली नोट खपाने के लिए पहुंच चुके हैं। करोड़ों के नकली नोट आप तक न पहुंचें इसके लिए पुलिस तो अलर्ट है ही आप भी हो जाइए। जिससे आपके साथ ये हादसा न हो इसलिए पढि़ए ये रिपोर्ट और नोट कर लीजिए कि आपका नोट नकली है या असली.

रोज करोड़ों रुपए का लेनदेन

सिटी में दीपावली और सहालग के लिए मार्केट सज गई है। शॉप्स में कस्टमर्स की भीड़ जमा होने लगी है। जिससे दुकानदारों का बिजनेस कई गुना बढ़ गया। हर दिन करोड़ों रुपए का लेनदेन हो रहा है। ऐसे में माफियाओं ने मोटी कमाई के लालच में भारी मात्रा में नकली नोट मार्केट में झोंक दिए है इसलिए कोई भी धोखा खा सकता है। कई दुकानदार तो फेस्टिवल शुरू होने के पहले ही शिकार हो चुके हैं। उनको हजारों का चूना लग चुका है। वहीं, सिटी में चोरी छुपे चलने वाले कैसिनों में भी ये नोट चलाए जा रहे हैं। जिससे ये एक दूसरे के हाथ से होते हुए मार्केट तक पहुंच जाते हैं. 

सीमा पार से आती है फेक करेंसी

पुलिस सूत्रों के मुताबिक एक दशक पहले तक नेपाल से पूरे यूपी में नकली नोट की खेप भेजी जाती थी, लेकिन अब बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी नकली नोट की खेप भेजी जा रही है। हाल में ही जम्मू में एक प्रिटिंग प्रेस में नकली नोट बरामद हुए थे। इसके बाद खुफिया को जानकारी मिली कि यूपी में आजमगढ़, गोंडा, बहराइच में भी नकली नोट बनाए जा रहे हैं। यहां बने नोट भारी मात्रा में शहर पहुंच चुके हैं।

जुए की फड़ से मार्केट तक

शहर में फेक करेंसी चेन सिस्टम से मार्केट में पहुंचायी जाती है। ये करेंसी छोटे दुकानदार, लेबर, पेट्रोल पम्प, जुए की फड़ से होती हुए मार्केट में पहुंच जाती है। सबसे ज्यादा नकली नोट जुए की फड़ और पान की दुकान में चलाए जाते हैं। जहां से ये नोट मार्केट में पहुंच जाते हैं। दिवाली में जुए की हर फड़ में हर दिन लाखों का दांव लगता है। जहां पर बल्क में फेक करेंसी चलायी जाती है। जिससे ये करेंसी वहां से चेन सिस्टम के जरिए मार्केट में पहुंच जाती है. 

फेस्टिव सीजन से सबसे ज्यादा खपत 

शहर में दिवाली के फेस्टिवल में सबसे ज्यादा खरीदारी होती है। धनतेरस में तो एक दिन में ही कानपुराइट्स करोड़ों रुपए की खरीदारी करते हैं। दिवाली के बाद सहालग शुरू हो जाएगी इसीलिए इस दौरान शहर में सबसे ज्यादा नकली नोट पकड़े जाते हैं। पुलिस का कहना है कि इस सीजन में ही सबसे ज्यादा नकली नोट पकड़े जाते हैं। इसको देखते हुए पुलिस टीमें अलर्ट कर दी गई हैं।

बड़े नोट सबसे ज्यादा

इस गोरखधंधे में जुड़े लोग सिर्फ एक हजार और पांच सौ के नकली नोट बनाकर मार्केट में ज्यादा चलाते हैं, ताकि उनको एक झटके में कई गुना का फायदा हो। इसके साथ कई क्रिमिनल सौ के भी नकली नोट बनाते हैं। इसका प्रमाण है कि पिछले दिनों स्टेट बैैंक में सौ के तीन नकली नोट पकड़े गए थे। पुलिस के मुताबिक अब तो पचास और 20 के भी नकली नोट मर्केट में आ गए हैं।

जल्दबाजी पड़ सकती है भारी

बिरहाना रोड में मिठाई के दुकानदार जितेंद्र श्रीवास्तव की शॉप से एक आदमी एक किलो मिठाई ले गया। उसने हजार का नोट दिया, तो जितेंद्र ने जल्दबाजी में उनको 750 रुपए लौटाकर दूसरे कस्टमर के सौदे में बिजी हो गए। जब वो अगले दिन बैैंक में रुपए जमा करने गए, तो उन्हें पता चला कि कोई उन्हें हजार का नकली नोट थमा गया। इसी तरह कुछ अन्य दुकानदार भी हैं। जो इस तरह की घटना का शिकार हो चुके हैं। इस सीजन में मार्केट की हर दुकान में कस्टमर्स की भीड़ रहती है। ऐसे में दुकानदार जल्दी से जल्दी कस्टमर का सौदा देकर पेमेंट लेते हैं। वे जल्दबाजी और कस्टमर्स की भीड़ में नोट भी चेक नहीं करते हैं। ऐसे में उनकी ये चूक भारी पड़ सकती है। कोई भी उनको चूना लगा सकता है. 

पकड़ा जा चुका है कारखाना

कलक्टरगंज पुलिस ने कुछ सालों पूर्व नौघड़े में प्रिटिंग प्रेस में छापा मारकर भारी मात्रा नकली नोट, उपकरण, मशीन आदि पकड़ा था। इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जिन्हें कोर्ट ने सजा सुनायी है। इसी तरह बाबूपुरवा पुलिस ने भी दो आरोपियों को नकली नोट के साथ गिरफ्तार किया था। सबसे चर्चित केस संजीव अवस्थी का है। 3 फरवरी 2011 को कलक्टरगंज के तत्कालीन एसओ दिनेश त्रिपाठी ने बांदा निवासी राजनेता संजीव अवस्थी की नकली नोट बरामदगी में गिरफ्तारी दिखायी थी। उनके पास से लाखों के नकली नोट मिले थे। इस केस की जांच ईओडब्लू कर रहा है। जिसमें संजीव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है कि उनको फंसाया गया था। खैर, संजीव को फंसाया गया या नहीं, लेकिन कानपुर में लाखों के नकली नोट पकड़े गए थे. 

आरबीआई तक पहुंच जाती है करेंसी

 बड़े नोट्स ही नहीं फेक करेंसी के रूप में छोटे नोट भी मार्केट में चल रहे हैैं। पिछले दो वर्षो में 50 व 100 के कई नकली नोट पकड़े जा चुके हैैं। हैरानी की बात यह है कि बैंक इंपलाई भी इन्हें नहीं पहचान सके। विभिन्न बैैंकस से होकर फेक करेंसी आरबीआई तक पहुंच चुकी है। आरबीआई ने फेक करेंसी पकड़े जाने पर ऐसी बैैंक के ऑफिसर्स के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया। लेकिन ये राज नहीं खुल सका इन बैंकस तक फेक करेंसी किसके जरिए आई? 

हो चुकी है एफआईआर

डिस्ट्रिक्ट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक वर्ष 2012 में करीब सवा दो लाख की फेक करेंसी पकड़ी गई। इसमें सबसे अधिक नकली नोट 500 के पाए गए थे। फेक करेंसी कितनी सफाई से बनाई गई इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि ये नोट विभिन्न बैैंकों से आरबीआई तक पहुंचेथे। आरबीआई का दावा अनुभाग डिपार्टमेंट कई बैैंक के ब्रांच मैनेजर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा चुका है।  

2012 में पकड़ी गई फेक करेंसी

नोट     संख्या

1000-  5

500-  1067

100-  92

50-   05

कैसे पहचाने ये नोट नकली है

100 का नोट

 (आगे का हिस्सा)

1-वॉटर मॉर्क विंडों से पहले एक खड़ी पïट्टी के बीच नोट के आगे और पिछले हिस्से पर प्रिंट फूलदार डिजाइन में 100 लिखा होता है। अंक का आधा हिस्सा आगे और आधा पीछे वाले हिस्से पर प्रिंट रहता है। दोनो प्रिंट एक दूसरे पर इस तरह सटीक छपे होते हैैं कि रोशनी पर देखने पर ऐसा लगता है कि यह एक ही अंक है।

2ए- महात्मा गांधी की पिक्चर की बाई ओर सुरक्षा धागा आंशिक रूप से अंदर और आंशिक रुप से बाहर दिखाई पड़ता।

2बी-  सुरक्षा धागा की चौड़ाई 3एमएम होती है जिस पर भारत और क्रक्चढ्ढ लिखा रहता है।

2सी- नोट को अलग-अलग एंगल से देखने पर सुरक्षा धागे का रंग हरे से बदलकर नीला हो जाता है।

3-महात्मा गांधी की पिक्चर और खड़ी पïट्टी के बीच के एरिया में क्रक्चढ्ढ और 100 लिखा रहता है, जिसे मैग्नीफाइंग ग्लास से देखा जा सकता है।

4- नोट को आंख की सीध में रखकर देखने पर महात्मा गांधी के चित्र के पीछे वाली खड़ी पïट्टी में अंक 100 दिखाई पड़ता है।

5-महात्मा गांधी की पिक्चर, आरबीआई की सील, गारंटी, बाई ओर का अशोक स्तंभ का प्रतीक चिंह्रï,  गवर्नर के हस्ताक्षर आदि उभरी हुई छपाई में प्रिंट हैैं जिन्हें छूकर महसूस किया जा सकता है।

6- वॉटरमार्क खिडक़ी में महात्मा गांधी की पिक्चर, अंक 100 प्रदर्शित करने वाला इलेक्ट्रोलाइट मार्क दिखाई देता है. 

नोट का पिछला हिस्सा

1- प्रिंटेड इयर दिखाई पड़ता है।

1- एक हजार और पांच सौ के नोट के अगले हिस्से में बीचो-बीच मूल्यवर्गीय अंक क्रमश: 1000 और  500 रंग बदलने वाली स्याही से प्रिंट होता है। नोट को तिरछा करने पर अंक का रंग विशेष प्रकार से हरे रंग से बदलकर नीला हो जाता है। इसके अलावा अन्य सभी सुरक्षा विशेषताएं 100 के नोट की तरह ही होती हैं। केवल अंक 100 की बजाए 1000 व 500 के अंक प्रिंट होते हैैं।

फेस्टिव सीजन के दौरान अक्सर नकली नोटों को बड़ी मात्रा में खपाया जाता है। इससे पब्लिक को तो नुकसान होता ही है साथ ही अर्थ व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचता है। क्राइम ब्रांच को अलर्ट कर दिया गया है। कई टीमों को लगा दिया गया है। किसी भी सूरत में क्रिमिनल्स को अपने मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। सबसे खास बात ये है कि पब्लिक को भी समझदारी दिखानी होगी। नोट लेने से पहले अच्छी तरह पड़ताल कर लें। नकली नोट से संबंधित कोई भी सूचना तुरंत पुलिस को दें। सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा. 

यशस्वी यादव, एसएसपी