बिजली के नए कनेक्शन और खराब मीटर बदलवाने के लिए हजारों की संख्या में लोग सबस्टेशनों के चक्कर काट रहे हैैं। एक-एक जेई के पास 10, 20 नहीं बल्कि 100 से 250 तक नए कनेक्शन की पेंडेंसी है। आई नेक्स्ट को ये चौंकाने वाली जानकारी केस्को से मिली है। जिससे साफ है कि नए कनेक्शन के नाम पर हो रहे पूरे ‘खेल’ की जानकारी केस्को ऑफिसर्स को नहीं है, लेकिन वे ऊंची पहुंच वाले इन जूनियर इंजीनियर्स पर कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैैं।    
जितनी देरी, उतना फायदा
केस्को में नए कनेक्शन की पेंडेंसी इस समय 3547 के करीब है। ये सही है कि दो महीने पहले तक मीटर की समस्या थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। बावजूद इसके नए कनेक्शन की पेंडेंसी कभी खत्म नहीं होती है। 1-2 महीने तो आम बात है। सोर्सेज की मानें तो नया कनेक्शन जारी किए जाने में देरी का अपना एक फंडा हैं। कनेक्शन रिलीज किए जाने में जानबूझकर देरी की जाती है। जिससे कि जिस व्यक्ति का कनेक्शन है, वह सबस्टेशन आए और उनका शिकार बने। नए कनेक्शन के लिए आवेदन करने वालों को जितनी जल्दी है, फिर उसी हिसाब से उसे कीमत चुकानी पड़ती है। नहीं तो केस्को इम्प्लाइज के पास कई बहाने हैं। जैसे आपके मकान पर बकाया है, पोल से दूरी अधिक है, मकान नहीं मिला, मीटर न होना, लेड सील न होना, सीलिंग वॉयर न होने जैसे तमाम बहाने हैं। फिर स्थलीय जांच का अधिकार तो जेई के पास है। उसकी रिपोर्ट के आधार पर नया कनेक्शन रिलीज होता है। शायद यही वजह है कि कल्याणपुर डिवीजन के एक जेई दुर्गा के पास 257, नवाबगंज डिवीजन के जेई गणेश के पास 138, सर्वोदय नगर के मंगल सिंह के पास 132, हैरिसगंज के जेई बीपी साहू के पास 132 नए कनेक्शन पेंडिंग है। ये लिस्ट इतने तक ही सीमित नहीं है बल्कि काफी लंबी है। इन बहानों से उन्हें ही छुटकारा मिलकर नया कनेक्शन मिल पाता है, जो सुविधा शुल्क चुकाने के लिए तैयार हो जाते हैं। वरना लोग चक्कर काटते रहते हैैं. 
ये कैसी मॉनीटरिंग?
नए कनेक्शन में लोगों को दौड़ाए जाने की समस्या के हल के लिए सिंगल विंडो सिस्टम किया गया था। जिससे कि हर एक कनेक्शन पर नजर रखी जा सके। लेकिन 18 एजीएम, चार जीएम सहित अन्य कई आला ऑफिसर्स के होने के बावजूद भी केवल 3500 से अधिक नए कनेक्शन के केस पेंडिंग हैैं। कनेक्शन न होने से परेशान लोग एसडीओ, एजीएम, चीफ इंजीनियर आदि के ऑफिसेज के चक्कर काट रहे हैं. 
गेंद ऑफिसर्स के पाले में 
वहीं दूसरी इस समस्या के लिए सबस्टेशन के इम्प्लाई ऑफिसर्स को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले महीने दो बार में 10 हजार के करीब मीटर आए हैैं। इससे पहले 3 महीने तक मीटर की शार्टेज थी। इसी वजह से नए कनेक्शन की पेंडेंसी अधिक है। पिछले महीने मीटर आ गए, लेकिन लेड सील और सीलिंग वॉयर की समस्या के कारण कनेक्शन रिलीज नहीं किए जा सके। अगर ऑफिसर टाइम से मीटर, लेड सील, सीलिंग वॉयर उपलब्ध करा देते तो पेंडेंसी इतनी अधिक नहीं रहती. 
नए कनेक्शन न मिलने से पब्लिक परेशान
जूनियर इंजीनियर- पेंडिंग कनेक्शन
सत्यप्रकाश - 142
शिव- 64
दुर्गा- 257
वीर बहादुर- 163
अनूप यादव- 120
रमेश राजपाल- 54
नरेन्द्र सिंह- 22
डीपी सोनकर (दुर्गा)- 97
राजेश- 69
सिया-50
मंगल सिंह- 132
आईसी तिवारी- 106
सुन्दर- 95
विकास भटनागर- 58
राकेश- 43
गणेश- 138
संजय- 43
सुखदेव- 40
जनरल मुजाहिद- 55
बीपी साहू- 132
सतीश- 64
अर्जुन यादव- 63
रहमान- 38
मनोज- 57
रावेन्द्र- 63
राधेश्याम- 33
(नोट- डेटा केस्को से मिला है)
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केस्को के पास न तो मीटर की कमी है और न ही लेड सील की। ये सही है कि जानबूझकर कंज्यूमर को परेशान किया जा रहा है। ऐसी शिकायतें मिली हैं कि इनकी जांच कराई जा रही है। ऐसे कुछ इम्प्लाइज को चिंहित कर लिया गया है। रिपोर्ट मिलते ही इन पर कार्रवाई की जानी तय है.
एसएन बाजपेई, एमडी, केस्को
बिजली के नए कनेक्शन और खराब मीटर बदलवाने के लिए हजारों की संख्या में लोग सबस्टेशनों के चक्कर काट रहे हैैं। एक-एक जेई के पास 10, 20 नहीं बल्कि 100 से 250 तक नए कनेक्शन की पेंडेंसी है। आई नेक्स्ट को ये चौंकाने वाली जानकारी केस्को से मिली है। जिससे साफ है कि नए कनेक्शन के नाम पर हो रहे पूरे ‘खेल’ की जानकारी केस्को ऑफिसर्स को नहीं है, लेकिन वे ऊंची पहुंच वाले इन जूनियर इंजीनियर्स पर कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैैं।    

जितनी देरी, उतना फायदा

केस्को में नए कनेक्शन की पेंडेंसी इस समय 3547 के करीब है। ये सही है कि दो महीने पहले तक मीटर की समस्या थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। बावजूद इसके नए कनेक्शन की पेंडेंसी कभी खत्म नहीं होती है। 1-2 महीने तो आम बात है। सोर्सेज की मानें तो नया कनेक्शन जारी किए जाने में देरी का अपना एक फंडा हैं। कनेक्शन रिलीज किए जाने में जानबूझकर देरी की जाती है। जिससे कि जिस व्यक्ति का कनेक्शन है, वह सबस्टेशन आए और उनका शिकार बने। नए कनेक्शन के लिए आवेदन करने वालों को जितनी जल्दी है, फिर उसी हिसाब से उसे कीमत चुकानी पड़ती है। नहीं तो केस्को इम्प्लाइज के पास कई बहाने हैं। जैसे आपके मकान पर बकाया है, पोल से दूरी अधिक है, मकान नहीं मिला, मीटर न होना, लेड सील न होना, सीलिंग वॉयर न होने जैसे तमाम बहाने हैं। फिर स्थलीय जांच का अधिकार तो जेई के पास है। उसकी रिपोर्ट के आधार पर नया कनेक्शन रिलीज होता है। शायद यही वजह है कि कल्याणपुर डिवीजन के एक जेई दुर्गा के पास 257, नवाबगंज डिवीजन के जेई गणेश के पास 138, सर्वोदय नगर के मंगल सिंह के पास 132, हैरिसगंज के जेई बीपी साहू के पास 132 नए कनेक्शन पेंडिंग है। ये लिस्ट इतने तक ही सीमित नहीं है बल्कि काफी लंबी है। इन बहानों से उन्हें ही छुटकारा मिलकर नया कनेक्शन मिल पाता है, जो सुविधा शुल्क चुकाने के लिए तैयार हो जाते हैं। वरना लोग चक्कर काटते रहते हैैं. 

ये कैसी मॉनीटरिंग?

नए कनेक्शन में लोगों को दौड़ाए जाने की समस्या के हल के लिए सिंगल विंडो सिस्टम किया गया था। जिससे कि हर एक कनेक्शन पर नजर रखी जा सके। लेकिन 18 एजीएम, चार जीएम सहित अन्य कई आला ऑफिसर्स के होने के बावजूद भी केवल 3500 से अधिक नए कनेक्शन के केस पेंडिंग हैैं। कनेक्शन न होने से परेशान लोग एसडीओ, एजीएम, चीफ इंजीनियर आदि के ऑफिसेज के चक्कर काट रहे हैं. 

गेंद ऑफिसर्स के पाले में 

वहीं दूसरी इस समस्या के लिए सबस्टेशन के इम्प्लाई ऑफिसर्स को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले महीने दो बार में 10 हजार के करीब मीटर आए हैैं। इससे पहले 3 महीने तक मीटर की शार्टेज थी। इसी वजह से नए कनेक्शन की पेंडेंसी अधिक है। पिछले महीने मीटर आ गए, लेकिन लेड सील और सीलिंग वॉयर की समस्या के कारण कनेक्शन रिलीज नहीं किए जा सके। अगर ऑफिसर टाइम से मीटर, लेड सील, सीलिंग वॉयर उपलब्ध करा देते तो पेंडेंसी इतनी अधिक नहीं रहती. 

नए कनेक्शन न मिलने से पब्लिक परेशान

जूनियर इंजीनियर- पेंडिंग कनेक्शन

सत्यप्रकाश - 142

शिव- 64

दुर्गा- 257

वीर बहादुर- 163

अनूप यादव- 120

रमेश राजपाल- 54

नरेन्द्र सिंह- 22

डीपी सोनकर (दुर्गा)- 97

राजेश- 69

सिया-50

मंगल सिंह- 132

आईसी तिवारी- 106

सुन्दर- 95

विकास भटनागर- 58

राकेश- 43

गणेश- 138

संजय- 43

सुखदेव- 40

जनरल मुजाहिद- 55

बीपी साहू- 132

सतीश- 64

अर्जुन यादव- 63

रहमान- 38

मनोज- 57

रावेन्द्र- 63

राधेश्याम- 33

(नोट- डेटा केस्को से मिला है)

केस्को के पास न तो मीटर की कमी है और न ही लेड सील की। ये सही है कि जानबूझकर कंज्यूमर को परेशान किया जा रहा है। ऐसी शिकायतें मिली हैं कि इनकी जांच कराई जा रही है। ऐसे कुछ इम्प्लाइज को चिंहित कर लिया गया है। रिपोर्ट मिलते ही इन पर कार्रवाई की जानी तय है।

एसएन बाजपेई, एमडी, केस्को