चूना भी लगा रही, लती भी बना रही 
आपने अभी तक वाइन शॉप, मॉडल शॉप, बार के बारे में सुना होगा जहां शराब बेची जाती है। लेकिन क्या आपने ‘होम वाइन शॉप’ के बारे में सुना है। इस शहर में सबसे ज्यादा शराब की बिक्री आजकल इन्हीं ‘होम शॉप्स’ से हो रही है। क्योंकि शहर की हर गली और मोहल्ले में अवैध रूप से शराब की बिक्री इन्हीं ‘शॉप्स’ के जरिए हो रही है। जहां मार्केट से कम रेट पर हर ब्रांड की शराब मिलती है। ये शराब हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और दूसरे आसपास के प्रदेशों से तस्करी कर शहर लाई जाती है। बिना एक्साइज टैक्स चुकाए लाई जाने वाली ये शराब सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना तो लगा ही रही है साथ युवाओं को शराब का लती भी बना रही है। सर्दियों और होली-दीवाली के समय ये कारोबार तेज हो जाता है। करोड़ों के इस ‘लिक्विड गेम’ में शहर के कई सफदेपोश शामिल हैं। आबकारी विभाग भी इनके नेक्सेस के आगे लाचार है. 
हर तरफ सेटिंग हैं इनकी
शहर की गली और मोहल्लों में घरों से बिकने वाली शराब की पेटियां हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़ से लाई जाती हैं। इसमें एक्साइज चोरी का खेल होता है। जिसके चलते शराब की पेटियां चोरी-छुपे लाई जाती हैं। हालांकि इस गोरखधंधे से जुड़े लोगों ने चेकिंग प्वाइंट पर सेटिंग बना ली है। जहां पर सुविधा शुल्क देकर बिना चेकिंग के सारा माल आसानी से शहर पहुंच जाता है। ज्यादातर माल इनोवा, इस्कारपियो, टाटा सफारी जैसी बड़ी लग्जरी गाडिय़ों से भेजा जाता है। वहीं कुछ लोग तो रोडवेज बसों और ट्रेन से भी शराब की पेटियां लाते हैं। इसमें नए खिलाड़ी ही पुलिस के हत्थे चढ़ते हैं. 
मार्केट से आधे रेट पर 
देश के हर राज्य में अलग-अलग एक्साइज ड्यूटी होने से शराब की कीमत भी अलग अलग है। यूपी की तुलना में अन्य राज्यों जैसे हरियाणा, दिल्ली, चण्डीगढ़, राजस्थान में एक्साइज ड्यूटी कम है। यूपी की तुलना में वहां आधे रेट पर शराब की बोतल मिलती है। यही वजह है कि यहां पर गली और मोहल्ले में हरियाणा की शराब की बोतल मार्केट से कम रेट पर बेची जाती है। जिसके चलते लोग वाइन शॉप के बजाय गलियों में मिल रही हरियाणा की शराब की बोतल खरीदने लगे हैं। इससे वाइन शॉप, मॉडल शॉप और बार के मालिकों को काफी घाटा हो रहा है. 
सरकारी खजाने में सेंध
राजस्व के रूप में सरकार की सबसे बड़ी कमाई का जरिया आबकारी विभाग है। जिससे सरकारी खजाना भरा रहता है। इससे मिलने वाले धन को अन्य मदों में खर्चा किया जाता है। सरकार एक्साइज ड्यूटी से शराब पर टैक्स वसूलती है। जबकि हरियाणा से तश्करी कर लाई गई शराब पर कोइ्र ड्यूटी नहीं चुकाई जाती है। जिससे हर महीने सरकार को लाखों रुपए का चूना लग रहा है।  
तेरा भी फायदा, मेरा भी फायदा
शहर में हरियाणा की शराब हाथोंहाथ बिक जाती है। इस अवैध धंधे की मोटी कमाई के चलते करीब तीन दर्जन से अधिक गैैंग इस धंधे में सक्रिय हैं। जिसमें कई सफेदपोश कारोबारी भी शामिल हैं। वे इसमें फाइनेंसर की भूमिका निभाते हैं। इसके एवज में वे माल बिकते ही अपना हिस्सा ले लेते हैं। गोरखधंधे में जुड़े लोगों को मार्केट से आधे रेट पर शराब की पेटियां मिल जाती हैं। जिसे ये मार्केट से 25 फीसदी कम रेट पर वाइन शॉप और मॉडल शॉप में बेचते हैं। जिससे उनको और शॉप मालिक को 25-25 प्रतिशत का मुनाफा हो जाता है। साथ ही ये आम कस्टमर को भी सस्ते रेट में शराब मिल जाती है। जिससे कस्टमर्स भी वाइन शॉप के बजाय तश्करी की ये शराब खरीदना पसंद करते हैं. 
यूथ भी जमकर गटकर रहे 
शहर में मार्केट से कम रेट पर हरियाणा की शराब मिलती है। जिसके चलते स्कूल और कालेज में पढऩे वाले स्टूडेंट्स भी जमकर शराब गटक रहे हैं। वे वाइन शॉप में भी जाने से बच जाते हैं। उनको इलाके के किसी विक्रेता के घर से ही शराब की बोतल मिल जाती है। कई जगह तो पीने की भी व्यवस्था होने से युवा वहीं पर जाने लगते हैं। हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट बोतल रूम पर ले जाते है। वहीं, आर्थिक रूप से कमजोर लोग भी हरियाणा की शराब खरीदते हैं.
यहां खुली हैं ‘होम वाइन शॉप्स’
शहर में ज्यादातर इलाकों में हरियाणा की शराब बिकने लगी है, लेकिन गुमटी नम्बर 5, दर्शनपुरवा, बिरहाना रोड, पटकापुर, हूलागंज, शिवाला, शास्त्रीनगर, गोविन्दनगर, विकास नगर, घंटाघर, रेलबाजार, लाल बंग्ला से सबसे ज्यादा हरियाणा की शराब की सप्लाई होती है। इसके अलावा शहर से सटे ग्रामीण इलाकों और होटल्स में हरियाणा की शराब धड़ल्ले से बिक रही है। इसके अलावा इस गोरखधंधे से जुड़े लोगों के बंधे ग्राहक भी होते है। वे उनको शराब की पेटियां सप्लाई करते है। शहर के ज्यादातर होटल्स में भी हरियाणा की शराब परोसी जाती है. 
क्वार्टर, अद्धी नहीं, सिर्फ खंबा 
हरियाणा की शराब का अवैध कारोबार करने वाले ज्यादातर लोग सिर्फ खंबा (शराब की फुल बोतल) बेचते हैं। कुछ लोग हाफ भी बेचते है, लेकिन ये क्वार्टर नहीं बेचते हैं। ज्यादातर मंहगे ब्रांड की शराब की बोतल बेचते हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हो.
बॉक्स
24 लाख बोतलें हर महीने गटक जाते हैं कानपुराइट्स
शहर में अंगूर की बेटी के शौकीनों की कोई कमी नहीं है। यूपी में शराब की खपत के मामले में कानपुर टॉप थ्री में है। यहां पर हर महीने औसतन अंग्रेजी शराब की पांच लाख बोतल, बीयर की आठ लाख बोतल और देशी शराब की साढ़े दस लाख बोतलों की बिक्री होती है। यह आंकड़ा सिर्फ नम्बर एक पर है। इसके अलावा सिटी में हरियाणा की शराब और नकली शराब भी बिकती है। फेस्टिवल, सहालग और चुनाव में यह आंकड़ा डेढ़ गुना तक बढ़ जाता है. 
एक लाख बोतल का अवैध कारोबार
शहर में हरियाणा की शराब का कारोबार औसतन एक लाख बोतल का है। इसकी वजह इस गोरखधंधे की मोटी कमाई है। सोर्सेज के मुताबिक इसमें सिंडीकेट भी शामिल है। वे हरियाणा की शराब को दो नम्बर में बेचते हैं। इससे वे एक्साइज ड्यूटी बचाकर लाखों का खेल करते हैं। हालांकि सिंडीकेट से जुड़े लोग इससे इंकार करते हैं। उनका कहना है कि सिंडीकेट की दुकानों में हरियाणा की शराब नहीं बिकती है, बल्कि अन्य वाइन शॉप में हरियाणा की शराब बिकती है। वे खुद इस धंधे से जुड़े लोगों की धरपकड़ कराने में आबकारी विभाग का सहयोग करते है. 
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क्या है सिंडीकेट?
शहर में शराब माफियाओं ने पूंजीपतियों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए सिंडीकेट बना रखा है। इन लोगों ने ज्यादातर वाइन शॉप, देशी शराब की शॉप और मॉडल शॉप ठेके पर ले रखे हंै। वे दुकानदार को एक मुश्त रुपए देते हैं जिसके बाद वे दुकान का सारा कारोबार संभाल लेते हैं। दुकान में उनका ही आदमी बैठता है। वे पूरे कारोबार में होल्ड रखते हैं। जिससे वे खुद शराब के रेट बढ़ा और घटा देते हैं। इससे वे एक झटके में लाखों की कमाई कर लेते हैं। इसके अलावा सिंडिकेट से जुड़े लोगों की शराब की फैक्ट्री भी है। जिसके चलते सिंडिकेट की दुकानों में दूसरे ब्रांड की शराब नहीं बेची जाती है। मजबूरी में कस्टमर को सिंडिकेट के ब्रांड की शराब को खरीदना पड़ता है। साथ ही उनके पास ज्यादातर दुकानें होने से वे मन माफिक रेट पर शराब खरीदते और बेचते हैं। इनकी आबकारी विभाग में भी सेटिंग रहती है। जिसका प्रमाण है कि आबकारी विभाग के ऑफिसर्स कभी भी सिंडिकेट की दुकान में न तो छापा मारते हैं और न ही कोई कार्रवाई करते हैं. 
वर्जन
कुछ लोग अवैध कमाई के लिए हरियाणा या अन्य प्रदेश की शराब को यहां लाकर बेचते हैं। आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर उनकी धरपकड़ के लिए लगातार अभियान चलाते रहते हैं। कुछ दिनों पहले दर्शनपुरवा में कुलदीप सिंह के घर में पकड़ी गई हरियाणा की शराब इसका प्रमाण है। हम लोग आरोपी को पकडऩे के बाद पुलिस के सुपुर्द कर देते हैं। जिसके बाद पुलिस उन पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करती है. 
देशराज सिंह यादव, जिला आबकारी अधिकारी  
चूना भी लगा रही, लती भी बना रही 

आपने अभी तक वाइन शॉप, मॉडल शॉप, बार के बारे में सुना होगा जहां शराब बेची जाती है। लेकिन क्या आपने ‘होम वाइन शॉप’ के बारे में सुना है। इस शहर में सबसे ज्यादा शराब की बिक्री आजकल इन्हीं ‘होम शॉप्स’ से हो रही है। क्योंकि शहर की हर गली और मोहल्ले में अवैध रूप से शराब की बिक्री इन्हीं ‘शॉप्स’ के जरिए हो रही है। जहां मार्केट से कम रेट पर हर ब्रांड की शराब मिलती है। ये शराब हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और दूसरे आसपास के प्रदेशों से तस्करी कर शहर लाई जाती है। बिना एक्साइज टैक्स चुकाए लाई जाने वाली ये शराब सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना तो लगा ही रही है साथ युवाओं को शराब का लती भी बना रही है। सर्दियों और होली-दीवाली के समय ये कारोबार तेज हो जाता है। करोड़ों के इस ‘लिक्विड गेम’ में शहर के कई सफदेपोश शामिल हैं। आबकारी विभाग भी इनके नेक्सेस के आगे लाचार है। शहर की गली और मोहल्लों में घरों से बिकने वाली शराब की पेटियां हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़ से लाई जाती हैं। इसमें एक्साइज चोरी का खेल होता है। जिसके चलते शराब की पेटियां चोरी-छुपे लाई जाती हैं। हालांकि इस गोरखधंधे से जुड़े लोगों ने चेकिंग प्वाइंट पर सेटिंग बना ली है। जहां पर सुविधा शुल्क देकर बिना चेकिंग के सारा माल आसानी से शहर पहुंच जाता है। ज्यादातर माल इनोवा, इस्कारपियो, टाटा सफारी जैसी बड़ी लग्जरी गाडिय़ों से भेजा जाता है। वहीं कुछ लोग तो रोडवेज बसों और ट्रेन से भी शराब की पेटियां लाते हैं। इसमें नए खिलाड़ी ही पुलिस के हत्थे चढ़ते हैं। देश के हर राज्य में अलग-अलग एक्साइज ड्यूटी होने से शराब की कीमत भी अलग अलग है। यूपी की तुलना में अन्य राज्यों जैसे हरियाणा, दिल्ली, चण्डीगढ़, राजस्थान में एक्साइज ड्यूटी कम है। यूपी की तुलना में वहां आधे रेट पर शराब की बोतल मिलती है। यही वजह है कि यहां पर गली और मोहल्ले में हरियाणा की शराब की बोतल मार्केट से कम रेट पर बेची जाती है। जिसके चलते लोग वाइन शॉप के बजाय गलियों में मिल रही हरियाणा की शराब की बोतल खरीदने लगे हैं। इससे वाइन शॉप, मॉडल शॉप और बार के मालिकों को काफी घाटा हो रहा है। राजस्व के रूप में सरकार की सबसे बड़ी कमाई का जरिया आबकारी विभाग है। जिससे सरकारी खजाना भरा रहता है। इससे मिलने वाले धन को अन्य मदों में खर्चा किया जाता है। सरकार एक्साइज ड्यूटी से शराब पर टैक्स वसूलती है। जबकि हरियाणा से तश्करी कर लाई गई शराब पर कोइ्र ड्यूटी नहीं चुकाई जाती है। जिससे हर महीने सरकार को लाखों रुपए का चूना लग रहा है। शहर में हरियाणा की शराब हाथोंहाथ बिक जाती है। इस अवैध धंधे की मोटी कमाई के चलते करीब तीन दर्जन से अधिक गैैंग इस धंधे में सक्रिय हैं। जिसमें कई सफेदपोश कारोबारी भी शामिल हैं। वे इसमें फाइनेंसर की भूमिका निभाते हैं। इसके एवज में वे माल बिकते ही अपना हिस्सा ले लेते हैं। गोरखधंधे में जुड़े लोगों को मार्केट से आधे रेट पर शराब की पेटियां मिल जाती हैं। जिसे ये मार्केट से 25 फीसदी कम रेट पर वाइन शॉप और मॉडल शॉप में बेचते हैं। जिससे उनको और शॉप मालिक को 25-25 प्रतिशत का मुनाफा हो जाता है। साथ ही ये आम कस्टमर को भी सस्ते रेट में शराब मिल जाती है। जिससे कस्टमर्स भी वाइन शॉप के बजाय तश्करी की ये शराब खरीदना पसंद करते हैं. 

यूथ भी जमकर गटकर रहे 

शहर में मार्केट से कम रेट पर हरियाणा की शराब मिलती है। जिसके चलते स्कूल और कालेज में पढऩे वाले स्टूडेंट्स भी जमकर शराब गटक रहे हैं। वे वाइन शॉप में भी जाने से बच जाते हैं। उनको इलाके के किसी विक्रेता के घर से ही शराब की बोतल मिल जाती है। कई जगह तो पीने की भी व्यवस्था होने से युवा वहीं पर जाने लगते हैं। हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट बोतल रूम पर ले जाते है। वहीं, आर्थिक रूप से कमजोर लोग भी हरियाणा की शराब खरीदते हैं। शहर में ज्यादातर इलाकों में हरियाणा की शराब बिकने लगी है, लेकिन गुमटी नम्बर 5, दर्शनपुरवा, बिरहाना रोड, पटकापुर, हूलागंज, शिवाला, शास्त्रीनगर, गोविन्दनगर, विकास नगर, घंटाघर, रेलबाजार, लाल बंग्ला से सबसे ज्यादा हरियाणा की शराब की सप्लाई होती है। इसके अलावा शहर से सटे ग्रामीण इलाकों और होटल्स में हरियाणा की शराब धड़ल्ले से बिक रही है। इसके अलावा इस गोरखधंधे से जुड़े लोगों के बंधे ग्राहक भी होते है। वे उनको शराब की पेटियां सप्लाई करते है। शहर के ज्यादातर होटल्स में भी हरियाणा की शराब परोसी जाती है. 

क्वार्टर, अद्धी नहीं, सिर्फ खंबा 

हरियाणा की शराब का अवैध कारोबार करने वाले ज्यादातर लोग सिर्फ खंबा (शराब की फुल बोतल) बेचते हैं। कुछ लोग हाफ भी बेचते है, लेकिन ये क्वार्टर नहीं बेचते हैं। ज्यादातर मंहगे ब्रांड की शराब की बोतल बेचते हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हो।

24 लाख बोतलें हर महीने गटक जाते हैं कानपुराइट्स

शहर में अंगूर की बेटी के शौकीनों की कोई कमी नहीं है। यूपी में शराब की खपत के मामले में कानपुर टॉप थ्री में है। यहां पर हर महीने औसतन अंग्रेजी शराब की पांच लाख बोतल, बीयर की आठ लाख बोतल और देशी शराब की साढ़े दस लाख बोतलों की बिक्री होती है। यह आंकड़ा सिर्फ नम्बर एक पर है। इसके अलावा सिटी में हरियाणा की शराब और नकली शराब भी बिकती है। फेस्टिवल, सहालग और चुनाव में यह आंकड़ा डेढ़ गुना तक बढ़ जाता है. 

एक लाख बोतल का अवैध कारोबार

शहर में हरियाणा की शराब का कारोबार औसतन एक लाख बोतल का है। इसकी वजह इस गोरखधंधे की मोटी कमाई है। सोर्सेज के मुताबिक इसमें सिंडीकेट भी शामिल है। वे हरियाणा की शराब को दो नम्बर में बेचते हैं। इससे वे एक्साइज ड्यूटी बचाकर लाखों का खेल करते हैं। हालांकि सिंडीकेट से जुड़े लोग इससे इंकार करते हैं। उनका कहना है कि सिंडीकेट की दुकानों में हरियाणा की शराब नहीं बिकती है, बल्कि अन्य वाइन शॉप में हरियाणा की शराब बिकती है। वे खुद इस धंधे से जुड़े लोगों की धरपकड़ कराने में आबकारी विभाग का सहयोग करते है. 

क्या है सिंडीकेट?

शहर में शराब माफियाओं ने पूंजीपतियों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए सिंडीकेट बना रखा है। इन लोगों ने ज्यादातर वाइन शॉप, देशी शराब की शॉप और मॉडल शॉप ठेके पर ले रखे हंै। वे दुकानदार को एक मुश्त रुपए देते हैं जिसके बाद वे दुकान का सारा कारोबार संभाल लेते हैं। दुकान में उनका ही आदमी बैठता है। वे पूरे कारोबार में होल्ड रखते हैं। जिससे वे खुद शराब के रेट बढ़ा और घटा देते हैं। इससे वे एक झटके में लाखों की कमाई कर लेते हैं। इसके अलावा सिंडिकेट से जुड़े लोगों की शराब की फैक्ट्री भी है। जिसके चलते सिंडिकेट की दुकानों में दूसरे ब्रांड की शराब नहीं बेची जाती है। मजबूरी में कस्टमर को सिंडिकेट के ब्रांड की शराब को खरीदना पड़ता है। साथ ही उनके पास ज्यादातर दुकानें होने से वे मन माफिक रेट पर शराब खरीदते और बेचते हैं। इनकी आबकारी विभाग में भी सेटिंग रहती है। जिसका प्रमाण है कि आबकारी विभाग के ऑफिसर्स कभी भी सिंडिकेट की दुकान में न तो छापा मारते हैं और न ही कोई कार्रवाई करते हैं. 

कुछ लोग अवैध कमाई के लिए हरियाणा या अन्य प्रदेश की शराब को यहां लाकर बेचते हैं। आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर उनकी धरपकड़ के लिए लगातार अभियान चलाते रहते हैं। कुछ दिनों पहले दर्शनपुरवा में कुलदीप सिंह के घर में पकड़ी गई हरियाणा की शराब इसका प्रमाण है। हम लोग आरोपी को पकडऩे के बाद पुलिस के सुपुर्द कर देते हैं। जिसके बाद पुलिस उन पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करती है. 

देशराज सिंह यादव, जिला आबकारी अधिकारी