- डीएम भी लेटर लिखकर कर चुके हैं सिफारिश

- कैंट बोर्ड के नियम नहीं देते हैं इजाजत

Meerut : भले ही राजमहल होटल के मालिक ने बार के एनओसी के लिए सब एरिया हेडक्वार्टर में अर्जी लगाई हो। कैंट बोर्ड के सीईओ को डीएम ने लेटर लिखकर व्हिलर्स क्लब की तरह राजमहल होटल के बार को एनओसी देने की बात कही हो। इस मामले में कैंट बोर्ड का कुछ और ही मानना है। आइए आपको भी शहर के क्नॉट प्लेस कहे जाने वाले आबूलेन मार्केट में मौजूद इस होटल के बार को एनओसी क्यों नहीं मिल सकती है

मालिकाना हक नहीं

राजमहल होटल के बार को एनओसी देने की कोई सिफारिश कर लें। उसे तब तक एनओसी नहीं मिल सकती जब तक वो अपने मालिकाना हक के पपर्स न दिखा दे। कैंट बोर्ड ने होटल के मालिक से इसके पेपर्स भी मांगे हैं लेकिन अभी मालिक ने डॉक्यूमेंट्स नहीं दिखाएं हैं। कैंट बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो जिस बंगले में ये होटल उसके मालिक का नाम डीएन मदान हैं। जिसका होटल है उनका नाम रमेश ढींगरा है।

रेजिडेंशियल एरिया

कैंट बोर्ड के नियमों के आधार पर किसी भी रेजिडेंशियल एरिया में कमर्शियल एक्टीविटी नहीं हो सकती है। वैसे भी आबूलेन बंगला एरिया है। जो प्योर रेजिडेंशियल एरिया है। ऐसे में इस आधार पर भी राजमहल होटल के बार को एनओसी मिलनी मुमकिन नहीं है। अधिकारियों की मानें तो अगर हम बार के लिए एनओसी देते हैं तो रक्षामंत्रालय की ओर से जवाब-तलब हो सकता है।

अवैध निर्माण है

वैसे तो कैंट का अधिकतर इलाका अवैध निर्माण से घिरा हुआ है। ऐसे बहुत बंगले हैं जिनमें अवैध निर्माण के घेरे में आ चुके हैं। लेकिन उनमें से अधिकतर में लोगों ने अपने घर ही बनाए हैं। जबकि इस बंगले में अवैध निर्माण के कमर्शियल एक्टीविटी के लिए किया गया है। जो पूरी तरह से नियम विरुद्ध है। इस कारण भी बार को एनओसी मिलना मुमकिन है। वैसे कैंट बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो उनकी नजर अवैध सब एक जैसे हैं फिर रेजिडेंशियल हो या कमर्शियल।

चेंज ऑफ पपर्स

ये फैक्टर भी एनओसी न मिलने का एक बड़ा कारण माना जा सकता है। राजमहल में ये फैक्टर पूरी तरह से काम भी कर रहा है। जिस बंगले में राजमहल है उसका नंबर क्87 है और प्योर रेजिडेंशियल हैं। इस पर किसी तरह की कमर्शियल एक्टीविटी नहीं हो सकती। जबकि काफी सालों से होटल और बार संचालित हो रहा है। कैंट बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो ये काफी बड़ा वायलेशन है। किसी बंगले के स्वरूप को बदलने के लिए मिनिस्ट्री की रजामंदी की जरुरत पड़ती है।

सब डिविजन भी हो रखा है

बंगले में बेहिसाब सब डिविजन हो रखा है। इस बंगले में होटल के अलावा दुकानें भी बनी हुई है, जबकि कैंट बोर्ड के नियमों के आधार किसी भी बंगले का सब डिविजन मुमकिन नहीं है। अधिकारियों की मानें तो सब डिविजन तो कतई भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इसे कैंट बोर्ड से तो क्या मिनिस्ट्री से भी मंजूरी मिलना मुश्किल है।

वर्जन

राजमहल के मालिक की ओर से जो लेटर सब एरिया हेडक्वार्टर गया था वो अब हमारे पास आया है। हमने उनसे डॉक्यूमेंट मांगे हैं। जो हमें अभी तक नहीं मिले हैं। हमने जो अपने पास मौजूद डॉक्यूमेंट्स और मौजूदा स्टेटस देखा है। उसके आधार पर बार के लिए एनओसी देना मुमकिन नहीं है।

- डॉ। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड