महीनों पहले हुआ था inauguration
पेशेंट्स को चीप रेट पर जेनेरिक मेडिसीन मुहैया कराने के लिए नौ महीने पहले जन औषधि केंद्र का इनॉगरेशन किया गया था लेकिन अभी तक इसका कुछ आता-पता नहीं है। लास्ट ईयर 14 अगस्त को खुलने वाले इस जन औषधि केन्द्र में मेडिसन तो अब तक पहुंची नहीं, हां इस केन्द्र का बोर्ड जरूर गायब हो चुका है। इस जगह पर अब स्किन से रिलेटेड  जागरूकता के बारे में मैसेज का बोर्ड लगा दिया गया है।

क्यों फिरा प्रोजेक्ट पर पानी
एमजीएम हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट डॉ एसएस प्रसाद ने बताया कि 14 अगस्त को मेडिकल हॉस्पिटल और एएसओ के बीच हुए समझौते के तहत केन्द्र खोले जाने से पहले डिपार्टमेंट द्वारा एक सॉफ्टवेयर अवेलेबल कराने की मांग की गई थी पर वह अब तक पूरी नहीं हो पाई है। इसी वजह से अब तक यह प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया है।

बाहर से खरीदनी पड़ रही है मेडिसीन
जेनेरिक मेडिसीन प्रोजेक्ट की शुरुआत न हो पाने की वजह से पेशेंट बाहर से मेडिसीन खरीदने के लिए मजबूर हैं। हॉस्पिटल में आए पेशेंट मनीष ने बताया कि डॉक्टर द्वारा प्रोवाइड किए गए प्रिस्क्रिपशन की कॉस्टली मेडिसन उनकी पहुंच के बाहर होते जा रहे हैं। अगर केन्द्र ओपेन हो जाता तो इतनी प्रॉब्लम नहीं होती।

बहाने और भी हैं
सुपरिंटेंडेंट डॉ एस एस प्रसाद के पास लंबी लिस्ट हैं जिसे वो प्रोजेक्ट स्टार्ट नहीं होने का जिम्मेदार ठहराते हैं। इसमें सॉफ्टवेयर के अलावा मैनपावर की कमी और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए सैंग्सन्ड अमाउंट का अब तक न मिलना शामिल हैं। सुपरिंटेंडेंट ने बताया कि हेल्थ डिपार्टमेंट से इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए उन्हें दो लाख 20 हजार रुपये मिलने वाले थे, जो अब तक नहीं मिल सका है। उनके अकॉर्डिंग इसका एक बड़ा रीजन हॉस्पिटल में फर्मासिस्ट की कमी होना भी है।

'इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए जरूरी फंड का अभी तक न मिलना  और मैनपावर की कमी इस प्रोजेक्ट के स्टार्ट न हो पाने की मुख्य वजहें हैं.'
-डॉ एस एस प्रसाद, सुपरिंटेंडेंट, एमजीएम हॉस्पिटल

'मेडिसिन की सेल स्टार्ट हो जाने के बाद अमाउंट दिया जाना था पर अब तक प्रोसेस स्टार्ट न हो पाने की वजह से हम अमाउंट नहीं दे पा
रहे हैं.'
-डॉ प्रवीण चन्द्रा, डायरेक्टर हेल्थ

Report by: jamshedpur@inext.co.in