हालत ये है कि अब पब्लिक लुटेरों को पकड़-पकड़ कर पुलिस के हवाले कर रही है मगर लुटेरों को पकडऩे के लिए पुलिस ने अब तक कोई स्पेशल प्लान तैयार ही नहीं किया है। रोज-रोज चेन और पर्स लूट की घटनाओं को पुलिस अब रूटीन क्राइम का जामा पहनाकर हल्का मानने लगी है। बेहद तेजी से बढ़ रहे इस ठेठ शहरी क्राइम को रोकने के लिए उसने जो योजनाएं चलाई थींवो बेअसर हो चुकी हैं और नई कोई योजना बनाई भी नहींजा रही है। यही वजह है कि कानपुर की वीमेन और गल्र्स के दिलों में एक खौफ घर कर गया है। आई नेक्स्ट ने चेन लुटेरों की विक्टिम बनी कुछ महिलाओं से बात की। पुलिस के लिए रूटीन बन चुके इस छोटे से क्राइम ने कितनी बदल डाली है उनकी जिंदगी? आप खुद ही देख लीजिए।

पहले आरती की कहानी

चलिए आरती मिश्रा वाली घटना पर वापस आते हैं। वो किदवईनगर के ओ-ब्लॉक में रहती हैं। उनकी बेटी अनन्या गुलमुहर पब्लिक स्कूल में केजी में पढ़ती है। सुबह 11 बजे स्कूल से फोन आया कि अनन्या की तबीयत खराब है, आकर उसे ले जाइए। घर में पति थे नहींइसलिए आरती रिक्शे करके स्कूल की तरफ चल पड़ीं। स्कूल पहुंचकर वो रिक्शे से उतरींऔर पर्स से पैसे निकालने लगीं। इतने में बाइक पर दो लडक़े आए। बाइक रुकी तो पीछे बैठे लडक़े ने तमंचा तान दिया। बाइक चलाने वाले ने झपट्टा मारकर आरती की चेन तोड़ ली। आरती कहती हैं, मुझमें न जाने कहां से हिम्मत आ गई कि मैंने पीछे बैठे लडक़े का कॉलर पकडक़र खींच लिया। लडक़े ने झटका मारा मगर तब तक रिक्शेवाला राजेंद्र भी उसे पकड़ चुका था। लडक़ा बाइक से गिर पड़ा। इतनी देर में दूसरा लडक़ा चेन लेकर फरार हो गया। जो लडक़ा पकड़ में आ गया था उसने रिक्शेवाले के हाथ में काट लिया और भागने लगा। ये देखकर आरती ने शोर मचा दिया। जूही लाल कॉलोनी के रघुवंश मिश्रा ने दौडक़र उसे पकड़ लिया। पब्लिक इकट्ठा हो गई और आनन-फानन में लोग लुटेरे पर टूट पड़े। लगभग 20 मिनट के बाद पुलिस पहुंची तो लुटेरे को उसके हवाले कर दिया गया। उसका नाम अजय जायसवाल है और वो एक हिस्ट्रीशीटर है। रमेश कुशवाहा भी हिस्ट्रीशीटर है.