करनी पड़ती है जेब ढीली
प्राइवेट सिक्योरिटी गाड्र्स रखना आसान तो है नहीं। इसके लिए बिजनेसमैन को काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड के लिए पर मंथ एवरेज 20-25 रुपए खर्च आता है। सिटी के बिजनेसमैन भरत सिंह कहते हैं कि पुलिस सिक्योरिटी हो या फिर प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड, इनकी जरूरत ही क्यों पड़ती है। वे कहते हैं कि दूसरे कई स्टेट में लॉ एंड ऑर्डर की व्यवस्था इतनी अच्छी होती है कि वहां किसी बिजनेसमैन या फेमस पर्सनालिटी को सिक्योरिटी गार्ड की जरूरत ही नहीं होती। ऐसे सिचुएशन के लिए वे एडमिनिस्ट्रेशन को ब्लेम करते हैं।

पिछले कुछ सालों में सिटी के कई बिजनेसमैन का हुआ है मर्डर
पिछले कुछ सालों में सटी के कई बिजनेसमैन का मर्डर हो चुका है। इसके पीछे कहीं ना कहीं पैसा है। पिछले 10-12 सालों की बात करें तो 2002 में ओम प्रकाश काबरा को पहले किडनेप किया गया और बाद में मर्डर। 2007 में श्री लेदर्स के ओनर आशीष डे के अलावा दिनेश अग्रवाल की जान जा चुकी है। दिसंबर 2010 में तिरन तिलवानी के अलावा भी कई बिजनेसमैन अपनी जान गवा चुके हैं। पिछले दस सालों में लगभग 25 बिजनेसमैन किडनेपिंग के शिकार हो चुके हैं। इनमें से कई बिजनेसमैन फिरौती देकर अपनी जान बचाने में कामयाब हुए। उनका कहना है कि उनका भरोसा पुलसि से उठ गया है।

पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन ठीक ना हो तो कोई भी सिक्योरिटी गार्ड कुछ नहीं कर सकता। फाइनली व्यवस्था तो एडमिनिस्ट्रेशन को ही देखनी होती है।
- प्रभाकर सिंह, बिजनेसमैन

यह सच है कि कुछ लोगों को सिक्योरिटी की जरूरत होती है जिसका ख्याल एडमिनिस्ट्रेशन को रखना चाहिए। किसी की जान से बढक़र तो कुछ नहीं।
- सुरेश संथालिया, सेक्रेटरी, ईस्ट सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स

आखिर लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति ऐसी है ही क्यों कि सिक्योरिटी गाड्र्स रखनी पड़े।
- भरत सिंह, बिजनेसमैन

Reported by: amit.choudhary@inext.co.in