एक छोटे से शुरुआती अध्ययन से संकेत मिले हैं कि ऐसा हो सकता है.

ना तो ये त्वचा की क्रीम से जुड़ा है, ना वैज्ञानिकों को ऐसा कोई फॉर्मूला मिला है और ना ही ये हमेशा जवान रहने के बारे में है.

बल्कि इस शोध में जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी गई है - जैसे तनाव घटाना, खान-पान में सुधार और हल्की-फुल्की कसरत - जिनसे टेलोमीयर की लंबाई बढ़ती है, टेलोमीयर यानी क्रोमोसोम या गुणसूत्रों के सिरे जो हमारे बूढ़े होने को नियंत्रित करते हैं.

ये जीवनशैली किसी संन्यासी की नहीं है - लेकिन इस तुलना को याद रखिएगा बाद के लिए जब हम 1970 के दशक के टीवी सीरियल 'कंग फू' की बात करेंगे.

पहले टेलोमीयर की बात करते हैं. टेलोमीयर डीएनए का विस्तार है,जो हमारे जेनेटिक कोड की रक्षा करते हैं.

इनकी तुलना अकसर जूते के फीतों के सिरे से होती है, क्योंकि ये क्रोमोसोम को झड़ने और बिखरने से रोकते हैं और जेनेटिक कोड को स्थिर रखते हैं.

कई बीमारियों से संबंध

फिर से जवान होना मुमकिन है?लेकिन जब भी कोई कोशिका विभाजित होती है तो टेलोमीयर छोटा हो जाता है, उस बिंदु तक जब तक कि बूढ़ी हो रही कोशिका और विभाजित न हो सके और निष्क्रिय हो जाए या बूढ़ी होकर मर जाए.

छोटे टेलोमीयर का संबंध उम्र से जुड़ी कई बीमारियों से होता है जिनमें कैंसर, दिल के रोग और डिमेंशिया शामिल हैं.

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने उन 10 पुरुषों पर नज़र रखी जो प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे थे और उनसे कहा कि वो पौधों से मिली चीज़ों पर आधारित खाना खाएं, कसरत करें और ध्यान और योग की मदद से तनाव पर नियंत्रण रखें.

इन लोगों के टेलोमीयर की लंबाई शुरुआत में ली गई और फिर पांच साल बाद ली गई.

इसकी तुलना उन 25 लोगों से की गई, जिन्हें जीवनशैली बदलने को नहीं कहा गया था.

खास जीवनशैली का पालन न करने वाले 25 लोगों के टेलोमीयर तीन फीसदी छोटे हो चुके थे लेकिन जिन लोगों ने अच्छी जीवनशैली का पालन किया उनके टेलोमीयर की लंबाई 10% बढ़ गई.

शोधकर्ताओं का कहना है कि ये जानने के लिए अभी और शोध की ज़रूरत है कि ये नतीजे अहम हैं या नहीं.

इसके अलावा, टेलोमीयर की लंबाई में आए बदलाव से सेहत पर सकारात्मक असर नहीं दिखा - कुछ पुरुषों के टेलोमीयर लंबे हो सकते हैं लेकिन वो ज़्यादा वक्त तक जी पाएंगे या नहीं ये अलग बात है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बायोकेमिस्ट्री की प्रवक्ता डॉक्टर लैन कॉक्स कहती हैं, "यहां दो चीज़ें ध्यान में रखनी होंगी: पहली, तनाव की वजह से टेलोमीयर के छोटे होने का संबंध खराब सेहत से है. दूसरी बात, इसके विपरीत ऐसे चूहे जिनमें कैंसर की संभावना हो उनमें टेलोमीयर की लंबाई में बढ़ोतरी ज़्यादा आक्रामक कैंसर की ओर आगे ले जाती है. इस नए अध्ययन में टेलोमीयर की लंबाई में कम बढ़ोतरी का ज़्यादा संबंध कैंसर के जोखिम की जगह सेहत में सुधार से लगता है, हालांकि ये तय होना अभी बाकी है."

संन्यासी जैसा जीवन

आनुवांशिकी को भूल जाइए: जीवनशैली में ऐसे बदलाव जो सेहत के लिए अच्छे हो सकते हैं उन पर नज़र रखना आसान है.

इसमें किसी को शक नहीं होगा कि नियमित व्यायाम से कई फ़ायदे हैं - कैंसर का जोखिम कम होने से डायबिटीज़ की आशंका कम होना, दिल की समस्याएं घटना.

इस अध्ययन में जिन पुरुषों ने जीवनशैली में बदलाव किया, वो हफ़्ते में छह दिन कम से कम 30 मिनट पैदल चलते थे.

"तनाव की वजह से टेलोमीयर के छोटे होने का संबंध खराब सेहत से है. इसके विपरीत ऐसे चूहे जिनमें कैंसर की संभावना हो उनमें टेलोमीयर की लंबाई में बढ़ोतरी ज़्यादा आक्रामक कैंसर की ओर प्रवृत्त करती है. इस नए अध्ययन में टेलोमीयर की लंबाई में कम बढ़ोतरी का ज़्यादा संबंध कैंसर के जोखिम की जगह सेहत में सुधार से लगता है. "

-डॉक्टर लैन कॉक्स, लेक्चरर, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी

इसके अलावा वो ज़्यादातर शाकाहारी भोजन लेते थे, कम चिकनाई वाला खाना खाते थे, योग करते थे और उन्हें ज़्यादा सामाजिक आसरा मिला.

ऐसा जीवन कौन लोग जीते हैं?

मुझे 'कंग फू' की याद आती है. हर एपिसोड में डेविड कैराडीन का किरदार दूसरा गाल आगे कर देता था जब तक कि ज़बरदस्त मार्शल आर्ट्स न दिखाए.

ये किरदार मौत को लगातार बहुत मामूली अंतर से मात देता था. लेकिन इससे मुझे भी कंग फू करने की इच्छा होती थी. कम से कम पांच मिनट.

स्वस्थ जीवनशैली भी ज़्यादातर लोगों के लिए कुछ-कुछ वैसी ही है - सैद्धांतिक रूप से शानदार विचार - लेकिन अमल में लाना बहुत मुश्किल.

कभी कभार की बीमारी या हादसों को अलग कर के देखें तो, हम सब जानते हैं कि ज़्यादा जीने के लिए हमें किस चीज़ की जरूरत है लेकिन बेहद कम लोगों में एक शाओलीन संन्यासी की तरह जीने का दृढ़ विचार होता है, कम चिकनाई वाला भोजन करना, कम तनाव लेना नियमित व्यायाम तो दूर की बात है.

जैसा कि उस टीवी सीरियल में अंधे कंग फू शिक्षक मास्टर पो अपने शिष्य कैन को नाकाम रहने पर कहते थे, "तुम तैयार नहीं हो मेरे टिड्डे" और न ही हम में से ज़्यादातर लोग तैयार हैं जो मार्शल आर्ट कर सकें या लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए अनुशासित रह सकें.

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