RBI ने कहा wait करें

कुछ महीने पहले आरबीआई की ओर से जारी एक न्यूज में गया था कि एक जनवरी 2014 से ऐसे नोट अनवैलिड कर दिए जाएंगे जिनमें ओवर राइटिंग की गई होगी। यह बात मार्केट में आग की तरह फैली और लोगों ने ऐसे नोट से तौबा करनी शुरू कर दी। बैंकों में इनके बदले नए नोट लेने वालों की लाइन लगने लगी। इससे बैंक कर्मचारी भी परेशान हो गए। फिलहाल आरबीआई ने कहा कि वह इस इंस्ट्रक्शन को वापस लेेते हुए पुन: विचार कर रही है। इस पर फ्यूचर में नए सिरे से आदेश जारी किए जाएंगे।

दिनभर में हजारों के नोटों की अदला-बदली

जिन लोगों के पास ऐसे नोट मौजूद हैं वह जल्द से जल्द इनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। यही रीजन है कि बैंकों में नोट बदलवाने वालों की लाइन लगी रहती है। बैंक ऑफिसर्स कहते हैं कि दिसंबर के शुरुआती दिनों में पर डे हजारों के नोट बदलने पड़ते थे लेकिन जब से आरबीआई ने राहत दी है, ऐसे लोगों को समझा-बुझाकर वापस किया जा रहा है। साथ ही जो लिखे हुए नोट आ गए थे उन्हें भी मार्केट में पुन: लांच किया जा रहा है।

इनसे हो गए थे परेशान

पब्लिक तो पब्लिक, आरबीआई के इंस्ट्रक्शन के चलते उन लोगों की चांदी हो गई थी जिनके पास नंबर दो का पैसा ज्यादा भरा हुआ है। नियम की आड़ में उन्होंने जमकर नोटों की अदला-बदली की। बैंक ऑफिसर्स की सिफारिश करवाकर उन्होंने बड़े एमाउंट के नए नोट निकलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। राहत मिलने के बाद अब ऐसे लोगों को भी साफ इंकार किया जा रहा है।

क्यों लिखते हैं नोटों पर लोग?

फॉरेन में तो करेंसी पर लिखना बिल्कुल मना है लेकिन इंडिया में ऐसा नहीं है। लीगल टेंडर होने के बावजूद लोग नोट पर मोबाइल नंबर, मैसेज, एड्रेस, नाम या कुछ भी लिखने से नहीं चूकते। सबसे ज्यादा ये शिकायत व्यापारियों की तरफ से आती है। एक हजार या पांच सौ की नोट किसी को देने के बाद ये लोग इस पर चिंह के तौर पर अपना नाम लिख देते हैं, ताकि लेने वाला नकली कहकर इन्हें वापस करने की कोशिश ना कर सके।

चलो awareness तो आई

जिन लोगों ने नोट पर लिखने को अपना शगल बना लिया था अब उन्होंने भी इस आदत से तौबा करना शुरू कर दिया है। हालात यह हैं कि दुकानदार ही नहीं बल्कि पब्लिक भी ऐसे नोट लेने से हिचकने लगी है। कई बार तो नोट लेने से मना करने पर मारपीट या गालीगलौज की नौबत तक आ जाती है। बैंक कर्मचारियों को तो पहले ही नोटों पर स्टैम्प या कुछ लिखने की साफ मनाही हो चुकी है। व्यापारी भी अब इस हैबिट से दूरी बना रहे हैं।

सरकार को होता है करोड़ों का नुकसान

आरबीआई के मुताबिक 5 से लेकर एक हजार रुपए तक के नोट लीगल टेंडर होते हैं। इन पर ओवर राइट करना इल्लीगल होता है और इससे यह टेंडर अनवैलिड हो जाता है। ऐसे नोट एसटीडी ट्रांजेक्शन के लायक नहीं बचते और इससे हर साल गवर्नमेंट को 2368 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है। इसी को देखते हुए आरबीआई के नए गवर्नमेंट ने स्टेप लिया था लेकिन मार्केट में ऐसे नोटों की तादाद ज्यादा होने की वजह से उन्होंने इंस्ट्रक्शन वापस लेते हुए इस मामले पर फिर से विचार करना शुरू कर दिया है।

बैंक की ओर से ऐसे नोटों को वापस मार्केट में भेजा रहा है और अगर कोई इन्हें बदलने आता है तो उसको समझा दिया जाता है। एक जनवरी से लिखे हुए नोटों पर बैन का फिलहाल कोई निर्देश नहीं मिला है। इतना जरूर है कि लेागों में अवेयरनेस बढ़ रही है।

प्रभात कुमार, कैश एकाउंटेंट, एसबीआई