कभी भी बरस सकते हैं गगन पर छाए बदरा

टेचपरेचर में दस फीसदी से ज्यादा का अंतर

साठ फीसदी से ऊपर पहुंची नमी, लोगों को भीषण गर्मी से राहत

<कभी भी बरस सकते हैं गगन पर छाए बदरा

टेचपरेचर में दस फीसदी से ज्यादा का अंतर

साठ फीसदी से ऊपर पहुंची नमी, लोगों को भीषण गर्मी से राहत

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: इन दिनों आसमान पर जो बादल दिख रहे हैं। उन्हें प्री मानसून समझने की गलती न करें। बल्कि अब एक्टिव मानसून का दौर शुरू हो चुका है और ये कभी भी बरस सकते हैं। मानसूनी हवाएं पूर्वी उत्तर प्रदेश को अपनी आगोश में ले चुकी हैं। फ्राइडे को पूरे दिन पूर्वी उत्तर प्रदेश में आने वाले इलाहाबाद और आसपास के इलाकों में हल्की फुल्की बूंदाबांदी और नम हवाओं का दौर चला। जिससे दिन और रात के पारे में भी अच्छी खासी गिरावट दर्ज की गई और लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिली।

मानसूनी हवाओं ने चेंज किया वेदर

बता दें कि करेंट सीजन में केरला के तट पर मानसून देरी से पहुंचा। जिससे समूचे उत्तर भारत में भीषण गर्मी का सिलसिला भी लम्बा खिंचा। मानसून की देरी के चलते लोकल लेवल पर प्री मानसून का इफेक्ट भी देखने को नहीं मिला। ऐसे में एक्टिव मानसून की समयावधि भी देखते देखते करीब आ गई। गगन पर मंडरा रहे बादल पूर्ण मानसून का संकेत दे रहे हैं। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आने वाली मानसूनी हवाओं के चलते वेदर कंडीशन पूरी तरह से चेंज हो गई है।

पहले दस फीसदी के अन्दर थी नमी

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में ओसियन एंड एटमॉसफेरिक साइंस सेंटर के आटोमेटिक वेदर स्टेशन ने दिन में क्:ब्भ् मिनट पर अधिकतम तापमान फ्भ्.ख् डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया है। स्टेशन से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सुबह साढ़े छह बजे हवा की अधिकतम नमी म्ख्.म् फीसदी और न्यूनतम नमी दोपहर के दो बजे फ्8.7 फीसदी रिकार्ड की गई है। वेदर स्टेशन से जुड़े एक्सपर्ट्स ने बताया कि हवा में लगातार बढ़ती नमी के कारण ही टेम्परेचर में भी नरमी आयी है। बता दें कि कुछ दिनों पहले तक दिन का तापमान ब्7.8 डिग्री सेल्सियस था और उस समय हवा में नमी भी दस फीसदी के भीतर ही थी।

जारी है अल नीनो का प्रभाव

करवट लेते मौसम की बावत इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वेदर एक्सपर्ट एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। सुनीत द्विवेदी का कहना है कि मानसूनी हवाएं पूरी तरह से एक्टिव हैं। इससे अब गर्मी में भी धीरे धीरे नरमी आती जाएगी। उन्होंने कहा कि अल नीनो इफेक्ट का प्रभाव कम नहीं हुआ है। क्योंकि इसकी पुष्टि अधिकृत एजेंसीज ने नहीं की है। डॉ। सुनीत द्विवेदी ने कहा कि प्रशांत महासागर में पेरू के तट पर समुद्र के पानी के गर्म होने के कारण पैदा हुए अल नीनो प्रभाव के कारण ही बरसात में लेट लतीफी हो रही है। कहा कि बारिश तो होगी। लेकिन यह सामान्य से कम ही रहेगी।

ये है मानसून का क्रम

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सामान्य तौर पर एक जून को मानसून केरल में दस्तक देता है। आगे यह बाकी हिस्सों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु होते हुए पूर्वोत्तर में प्रवेश करता है। मूलत: केरल में आने के बाद मानसून दो हिस्सों में बंट जाता है। एक अरब सागर वाला हिस्सा और दूसरा बंगाल की खाड़ी वाला। अरब सागर वाला हिस्सा मुंबई, महाराष्ट्र, गुजरात होते हुए राजस्थान की तरफ बढ़ता है। बंगाल की खाड़ी वाला हिस्सा तमिलनाडु, ओडिशा, झारखंड, बिहार होते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर जाता है।